लोकसभा में कृषि कानून वापसी विधेयक पास होने के बाद इसे राज्यसभा में भी पास कर दिया गया है। राज्यसभा की बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया। इस दौरान विपक्ष का हंगामा जारी रहा क्योंकि दोनो सदनों में यह बिल मीना चर्चा के पास हुआ। विपक्ष ने बिना चर्चा के विधेयक पारित करवाने को लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया तो वहीं सरकार ने विपक्ष पर जानबूझकर हंगामा करने और सदन की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप लगाया। ब दें कि पिछले मॉनसून सत्र के दौरान हुए हंगामे के चलते पहले ही दिन पूरे सत्र के लिए 12 सांसदो को निलंबित कर दिया गया है।
सरकार चर्चा करने से डरती है: राहुल गांधी
दोनों सदनों से बिल पारित होने के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि “पहले हमने कहा था कि सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना होगा और आज इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कृषि कानूनों को बिना चर्चा के निरस्त कर दिया गया। यह सरकार चर्चा करने से डरती है।”
लोकतंत्र के लिए काला दिन: सुप्रिया सुले
कानून वापसी बिल पारित होने के बाद एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि “यह लोकतंत्र के लिए काला दिन है। सरकार मन की बात करती है लेकिन जन की बात से भागती है”
सरकार सिर्फ यह साबित करना चाहते हैं कि वे किसानों के पक्ष मेंं हैैं: मल्लिकार्जुन खड़गे
वहीं, इस बिल को लेकर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि लोकसभा में कृषि कानून वापसी बिल पास होने के बाद अब राज्यसभा में भी बिना चर्चा के ही सरकार इसे पेश करेगी। हम चाहते हैं कि कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 पर चर्चा हो। लेकिन इस बिल को लोकसभा में जल्दबाजी में पास कर वे सिर्फ यह साबित करना चाहते हैं कि वे किसानों के पक्ष में हैं।
बीजेपी की ‘मन की बात’ कुछ और है: अधीर रंजन चौधरी
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि सरकार डर के कारण चर्चा से भाग गई। उन्होंने कहा, “सदन को चलने नहीं देने के लिए सरकार हम पर आरोप लगाती है। लेकिन कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पेश किया गया और बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। विरोधी दल सरकार से एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे थे। हम चाहते थे कि कृषि कानूनों की वापसी वाले विधेयक पर चर्चा हो ताकि हम एमएसपी पर, किसानों को मुआवजे पर और किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर अपनी बात कह सकें, लेकिन सरकार ने बिना चर्चा के ही बिल को पारित करवा दिया। भले ही सरकार ने कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया हो, लेकिन इसकी ‘मन की बात’ कुछ और है।”
सरकार व्यापारियों को फसल लूटने की छूट देना चाहती है: राकेश टिकैत
आपको भी दें, कि किसान अभी भी आंदोलन कर रहे है उनकी कृषि कानूनों के अलावा भी कई मांगे है जो वह अब सरकार से पूरा करना चाहते है। जब लोकसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक पारित हुआ तब किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि ” आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इस बिल की वापसी का श्रेय मरने वाले 700 किसानों को जाता है। एमएसपी भी एक बीमारी है। सरकार व्यापारियों को फसल लूटने की छूट देना चाहती है।” दरअसल, किसानों का कहना है कि एमएसपी पर सरकार अलग कानून बनाए उनकी मांग हैै सरकार लिखित गैटेंटी दे।
विपक्षी दलों के 12 सांसद निलंबित..
राज्यसभा से मौजूदा शीतकालीन सत्र के लिए विपक्षी दलों के 12 सांसद निलंबित कर दिए गए हैं। यह कार्रवाई पिछले सत्र में अनुशासनहीनता को लेकर की गई है। निलंबित किए गए सांसदों में कांग्रेस के 6, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 2, सीपीआई का 1 और शिवसेना के 2 सांसद शामिल हैं।
हमारा पक्ष जाने बिना कार्रवाई की गई: प्रियंका चतुर्वेदी
राज्यसभा के 12 निलंबित सांसदों में एलामाराम करीम (सीपीएम), फूलो देवी नेतम (कांग्रेस), छाया वर्मा (कांग्रेस), आर बोरा (कांग्रेस), राजमणि पटेल (कांग्रेस) , सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस), बिनय विश्वम् (सीपीआई), डोला सेन और शांता छेत्री (टीएमसी), प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई (शिवसेना) शामिल हैं। इस सभी को बाकी बचे पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिए गए। वहीं, राज्यसभा से निलंबित किए जाने पर शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि हमारा पक्ष जाने बिना कार्रवाई की गई है।