प्रधानमंत्री के तीन कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बाद किसान अभी भी आंदोलित हैं। MSP पर अलग कानून की मांग तो है ही, लेकिन कहीं ना कहीं उन्हें प्रधानमंत्री की बात पर आशंका है जिससे वह पार्लियामेंट में कानून वापस लेने की प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। किसानों में आंदोलन खत्म करने के असमंजस के बीच राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कृषि कानून को वापस लेने पर एक बयान दिया, जिसके बाद किसान ज़्यादा सोचने पर मजबूर हो गए है। राष्ट्रीय किसान आयोग (डॉ स्वामीनाथन आयोग) के पूर्व सदस्य और अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अंजन ने उनके बयान पर पलटवार किया।
क्या कहा राज्यपाल ने…
दरअसल, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र शनिवार को फिल्म निर्माता कृष्णा मिश्रा की बेटी की शादी में शामिल होने यूपी के भदोही पहुंचे। यहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर सरकार के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो तीनों कृषि कानून फिर से बनाए जाएंगे। सरकार ने किसानों को कानून के बारे में समझाने की कोशिश की लेकिन किसान आक्रोशित हो गए। वह इस बात पर अड़े थे कि तीनों कानूनों को वापस ले लिया जाए। अंत में सरकार को लगा कि इसे वापस ले लिया जाना चाहिए। अगर इस संबंध में दोबारा कानून बनाने की जरूरत पड़ी तो वह बनाया जाएगा। केंद्र सरकार ने तीनों कानून किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए बनाए थे।
अतुल कुमार अंजन का पलटवार..
राजस्थान के राज्यपाल के इस बयान पर रविवार को प्रेस विज्ञापन जारी कर अतुल कुमार अंजन ने कहा कि आरएसएस एवं भाजपा के सक्रिय नेता वर्तमान में संवैधानिक पद पर आसीन राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा ने स्पष्ट किया है कि कृषि कानूनों को फिर से संसद में नए तरीके से पेश किया जाएगा। कलराज मिश्रा ने आरएसएस और भाजपा के केंद्र सरकार की मंशा को जाहिर कर दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि संसद में तीन काले कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते और सभी कृषि उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की कानूनी गारंटी नहीं दी जाती। अंजन ने विद्युत विधेयक 2020 को वापस लेने की मांग दोहराई।
उन्होंने कहा, तीन कृषि कानूनों सहित बिजली बिलों की वापसी, श्रम संहिता की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 28 नवंबर को देशभर में मशाल जुलूस निकाला जाएगा। 29 नवंबर को किसान टिकरी बॉर्डर से ट्रैक्टरों के माध्यम से संसद की ओर कूच करेंगे और वहां सरकार को अपना ज्ञापन सौंपेंगे।