अब तक ज़ीका वायरस सिर्फ कानपुर में ही कहर बरपा रहा था, लेकिन अब इसने लखनऊ में भी दस्तक दे दी है। हुसैनगंज और एलडीए कॉलोनी इलाकों में एक-एक ज़ीका वायरस का मामले सामने आए हैं। इस बात की पुष्टि उत्तर प्रदेश सरकार में चिकित्सा और स्वास्थ्य महानिदेशक, वेद व्रत सिंह ने की है।
इलाके में हड़कंप..
जिन इलाकों में ज़ीका के मरीज़ मिले हैं वहां हड़कंप मचा हुआ है। हुसैनगंज के फूलबाग में गलियां काफी सकरी हैं इसलिए लोगों में वायरस को लेकर और दहशत फैल गई है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इलाके के लोगों को जीका वायरस के प्रति जागरूक किया। लोगों को वायरस के लक्षण और बचाव के बारे में जानकारी दी गई। बुखार पीड़ितों को डॉक्टर से सलाह लेने के लिए कहा गया है। मच्छरदानी लगाकर ही सोने की हिदायत दी गई है।
मरीजों में लक्षण नहीं..
लखनऊ में ज़ीका वायरस से संक्रमित लोगों के सैंपल की जांच किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में की गई और गुरुवार शाम को रिपोर्ट आई। लखनऊ में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण के आधिकारिक प्रभारी के.पी. त्रिपाठी ने कहा, “दोनों मरीज (लखनऊ में) स्थिर हैं और उनमें कोई लक्षण नहीं है। हमने करीबी संपर्कों के नमूने लिए हैं और उनके घरों के आसपास फॉगिंग और एंटी-लार्वा स्प्रे किया है, इससे और नमूने लिए जाएंगे।”
तीन जिलों में इस वायरस के मामलों की पुष्टि..
आपको बता दें की कानपुर में ज़ीका के अब तक 105 मामले सामने आए हैं। अब तक तीन जिलों में इस वायरस के मामलों की पुष्टि हुई है। ऐसे में इन जगहों से आने वालों पर खास नज़र रखने की सलाह दी गई है।
- कानपुर ज़ीका वायरस के मामले मिलने वाला पहला जिला है।
- कन्नौज जिले से भी इसका एक मामला सामने आया है।
- लखनऊ तीसरा जिला है जहां से 2 मामले सामने आए हैं।
बाहर से आए लोगों की जांच के निर्देश..
स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि बुखार पीड़ित यात्रियों की जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। इन मरीजों की निगरानी भी कराई जा रही है। कोविड कमांड सेंटर की ओर से इन लोगों से नियमित सेहत का हाल लेने के निर्देश दिए गए हैं। जिससे बाद में लक्षण नज़र आने पर समय पर मरीज की पहचान और इलाज मुहैया कराया जा सके।
क्या है ज़ीका वायरस..
ज़ीका वायरस फ्लाविविरिडए विषाणु परिवार से है। जो दिन के समय सक्रिय रहते हैं। ज़ीका वायरस उन्हीं मच्छर की प्रजाति से फैलता है जिनसे डेंगू फैलता है, यानी एडीस मच्छर। ज़ीका वायरस सलाइवा और सीमेन जैसे शरीर के तरल पदार्थ के आदान-प्रदान से संक्रामक हो सकता है।
कब आया था सामने…
पहली बार वर्ष 1952 में ज़ीका अफ्रीका के जंगल में एक लंगूर में मिला। वर्ष 1954 में इस बीमारी का पता चला और इसे विषाणु करार दिया गया। यह अफ्रीका से एशिया तक फैला हुआ है।
ज़ीका के लक्षण..
ज़ीका वायरस का लक्षण डेंगू बुखार की ही तरह होते हैं। अधिकांश मामलों लगभग 60 – 80 % में कोई लक्षण नहीं दिखते। अगर कुछ लक्षण दिखते भी हैं तो वे लक्षण अमूमन हल्का बुखार, लाल आँखें, जोड़ों में दर्द, सिर दर्द, लाल चकत्ते, गुलेन बारी सिंड्रोम, न्यूरोपैथी होते हैं। आम तौर पर लक्षण हल्के और 7 दिनों से भी कम रहते हैं।
ज़ीका से क्या है खतरा..
ज़ीका वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक खतरनाक है। इससे गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास नहीं होता। हालांकि इसकी मृत्यु दर कम बताई जाती है। इस वायरस के केस वर्ष 2007 में एशिया और वर्ष 2021 में केरल और महाराष्ट्र में मिले।