उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में कोर्ट परिसर में एक वकील की गोली मारकर हत्या करने की खबर आई है। जानकारी है कि एसीजेएम कार्यालय में दिन दहाड़े अधिवक्ता भूपेंद्र प्रताप सिंह को किसी ने गोली मार दी। इस वारदात से कोर्ट में सनसनी फैल गई है। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर आरोपित की तलाश शुरू कर दी है।
सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल…
जानकारी के मुताबिक, मृतक वकील थाना जलालाबाद के रहने वाले हैं। सोमवार को करीब 11:45 बजे अधिवक्ता भूपेंद्र सिंह की कोर्ट की तीसरी मंजिल स्थित एसीजेएम कार्यालय में गोली मारकर हत्या की गई। गोली की आवाज़ सुनकर कोर्ट में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। शूटर ने बंदूक को मौके पर ही छोड़ दिया और आराम से वहां से फरार हो गया। दिन दहाड़े हुई इस हत्या की के बाद से वकीलों में आक्रोश है। कोर्ट के अंदर एक शख्स के तमंचे के साथ घुसने से सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। घटना के वक्त कार्यालय में कोई मौजूद नहीं था। सूचना मिलते ही एसपी एस आनंद, डीएम इंदर विक्रम सिंह मौके पर पहुंचे और जांच पड़ताल की। पुलिस सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाल रही है।
पिछले साढ़े चार साल में यूपी में कोई दंगा नहीं: सीएम
रविवार को ही विपक्ष को घेरते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि पिछले साढ़े चार साल में यूपी में कोई दंगा नहीं हुआ। सीएम ने किस दंगे की बात की इसपर भ्रम की स्थिति पैदा होती है। क्योंकि अगर दंगे दो धर्मों के बीच मार पीट घर जलाने को ही कहते हैं, तो अपराधियों के खुले आम हत्या करने या गाड़ियों से कुचलने को क्या कहेंगे? अगर इसे भी अपरोधियों द्वारा किए गए दंगे ही कहते हैं तो यूपी सीएम शायद किसी और राज्य की बात कर थे।
क्योंकि यूपी में आज सरे आम कोर्ट में दिन दहाड़े घुस कर वकील को मारा गया। लखीमपुर में किसानों पर गाड़ी चढ़ा कर हत्या की गई। अब यूपी के बेखवाफ अपराधी इससे ज्यादा और क्या दंगे करेंगे? सीएम ने कहा था कि दंगाइयों को पता है कि अगर दंगा किया तो सात पीढ़ियों को जुर्माना भरना पड़ेगा। तो क्यों किसानों की हत्या का आरोपी मंत्री के बेटे की पीढ़ियों से जुर्माना भरने की मांग नही की जाती। उल्टा मंत्री ने पुलिस पर ही लापरवाही के आरोप लगाए है। लेकिन यूपी के सीएम और केंद्र दोनो ही मौन है। क्यों?