यूपी: हाईकोर्ट ने पूछा, छात्रा की मौत के बाद मैनपुरी एसपी पर कार्रवाई क्यों नही? जवाब नहीं दे सके डीजीपी!

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नवोदय विद्यालय मैनपुरी में छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर सवाल भी किए। डीजीपी हाईकोर्ट के सवालों का जवाब नहीं दे पाए। इससे नाराज़ कोर्ट ने उनको बृहस्पतिवार को फिर से जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने आईजी मोहित अग्रवाल और जांच कर रही एसआईटी के सदस्यों को भी हाज़िर रहने का आदेश दिया है। साथ ही मैनपुरी के तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं। आज इस मामले पर आगे सुनवाई के बाद फैसला होगा।

मामले की जानकारी डीजीपी को भी नहीं…

बता दें कि कोर्ट के इस निर्देश के बाद सरकार ने मैनपुरी के तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश सिंह तृतीय और पुलिस उपाधीक्षक प्रायंक जैन को निलंबित कर दिया है। अदालत ने कहा कि कोर्ट द्वारा मामले को गंभीरता से लेने और दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बल्कि मामले की जानकारी डीजीपी को भी नहीं दी जा रही है।

पुलिस अधीक्षक मैनपुरी के खिलाफ कार्रवाई क्यों पूरी नहीं हुई: HC

कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी और एसआईटी के सदस्य अदालत में उपस्थित होकर जांच करने में पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई की व्याख्या करेंगे और आगे बताएंगे कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मैनपुरी के खिलाफ उनकी सेवानिवृत्ति से पहले अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों पूरी नहीं हुई? जबकि वह छह महीने पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

पूरा मामला..

दरअसल, यह पूरा ममता तब शुरू हुआ जब 16 सितंबर 2019 को जवाहर नवोदय स्कूल में 16 साल की एक छात्रा फांसी के फंदे से लटकी मिली थी। पुलिस ने इस मामले की शुरुआत में दावा किया था कि यह आत्महत्या का मामला है। लेकिन दूसरी ओर, छात्रा कि मां ने आरोप लगाया था कि छात्रा को परेशान किया गया, पीटा गया और जब उसकी मृत्यु हुई, तो उसे फांसी पर लटका दिया गया। इस घटना के बाद न्याय की उम्मीद में परिवार ने कई दिनों तक धरना दिया था। अन्य छात्रों ने घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया था। जब मृतक के पिता ने राज्य के मुख्यमंत्री से जांच की गुहार लगाई तो एसआईटी ने जांच की और 24 अगस्त 2021 को एसआईटी ने हाईकोर्ट में केस डायरी पेश की थी।

आरोपी से उचित समय के भीतर पूछताछ नहीं की गई..

बता दें कि इस मामले की पिछली सुनवाई में एसआईटी ने अदालत को बताया था कि घटना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी लेकिन आरोपी से उचित समय के भीतर पूछताछ नहीं की गई. घटना के तीन महीने बाद आरोपी से पूछताछ की गई। बता दें कि बुधवार की सुनवाई के दौरान अदालत को यह भी बताया गया था कि मामले में 12 लोगों का नार्को टेस्ट किया गया था लेकिन कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला। 150 लोगों के स्पर्म टेस्ट हुए लेकिन कोई मैच नहीं हुआ। 500 लोगों की कॉल डिटेल ट्रेस की गई, वह भी बेकार गई।

इतने गंभीर मामले में पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तार क्यों नहीं की: HC

महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश व न्यायमूर्ति ए के ओझा की पीठ ने छात्रा की मौत को लेकर डीजीपी से कुछ सवाल पूछे। कोर्ट ने अभियुक्तों का बयान लेकर छोड़ देने और उनकी गिरफ्तारी नहीं करने को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई की शुरुआत में छात्रा की फांसी के बाद शव के पंचनामे की वीडियो रिकॉर्डिंग देख कर डीजीपी से सवाल किया कि किसी के खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज होने पर सबसे पहले क्या करें? डीजीपी ने जवाब दिया कि गिरफ्तारी।

जिसके बाद कोर्ट के डीजीपी से फिर सवाल किया कि इतने गंभीर मामले में पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तार क्यों अभी तक नहीं की? कोर्ट के डीजीपी से एक और सवाल करते हुए जवाब मांगा। कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने छात्रा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ी है? डीजीपी ने जवाब दिया-नही, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम आपको बताते हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नाबालिग के कपड़े पर सीमेन पाया गया है। उसके सिर पर चोट के निशान थे। इसके बाद भी तीन महीने बाद अभियुक्तों का बयान ही लिया गया, ऐसा क्यों किया गया है?

हमें खुद बताना पड़ रहा है कि इस मामले में अब तक क्या हुआ है: HC

कोर्ट के रुख को देखकर डीजीपी मुकुल गोयल ने कहा कि फिर से एसआईटी का गठन कर देते हैं। डीजीपी के इस जवाब पर कोर्ट ने नाखुशी जताते हुए कहा कि तीन साल पहले एसआईटी ने क्या किया था? और अब एक और एसआईटी के गठन से क्या होगा तो क्या कर लिया जायेगा? कोर्ट ने पूछा कि आपने तीन साल में किसके खिलाफ कार्रवाई की? अब किस पर विश्वास करें? आगे अदालत ने कहा, हमें खुद बताना पड़ रहा है कि इस मामले में अब तक क्या हुआ है। पहले सारे रिकॉर्ड को अच्छे से देख लीजिए और पूरा मामला समझिए। इसके बाद कल सुबह 10 बजे पूरी तैयारी के साथ उपस्थित हों।

जांच अधिकारी भी कुछ नहीं बता सके..

कोर्ट में मौजूद जांच अधिकारी भी आरोपी से पूछताछ में हो रही देरी के बारे में कुछ नहीं बता सके। अदालत ने पाया था कि आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोपों के बावजूद जांच में लापाईवाही हुई, और यह गंभीर चूक है। इसके बाद कोर्ट ने आज डीजीपी को तलब किया है।


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