![](https://mediavigil.com/wp-content/uploads/2021/08/IMG-20210821-WA0122.jpg)
कोरोना महामारी में गरीब परिवारों की मदद करने के लिए केंद्र सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) के लाभार्थियों को फ्री राशन देने का ऐलान किया था। लेकिन इस योजना को लेकर बीजेपी सरकार पर नाम चमकाने के आरोप लग रहे हैं। दरअसल बीजेपी सरकार जिस थैले में लाभार्थियों को राशन दिलवा रही है उसमे पीएम मोदी की तस्वीर के साथ-साथ BJP का चुनाव चिन्ह ‘कमल’ भी बना हुआ है। जिसे लेकर बिहार की विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर स्कीम का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए और गलत तरीके से करने का आरोप लगा रही है।
कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय समेत बीजेपी के कई नेताओं ने राशन की थैली बांटते हुए अपनी फोटो साझा की थी।
देश बीजेपी और आरएसएस के नियमों पर नही चलता..
न्यूज वेबसाइट क्विंट की एक खबर के अनुसार, बीजेपी का इस स्कीम के जरिए अपनी पार्टी का ‘प्रचार’ करने पर बिहार की आरजेडी पार्टी को आपत्ति है। इस प्रचार पर आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बीजेपी सरकार पर सवाल उठाए है उनका कहना है की यह योजना भारत सरकार की है बीजेपी की नही। सरकार की योजना में किसी पार्टी का चिन्ह नहीं होना चाहिए। हमारी पार्टी इसको लेकर शिकायत करोगी, ये सिर्फ सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है। बीजेपी ने संविधान का मजाक बना दिया है। देश बीजेपी और आरएसएस के बनाए नियमों पर नही बल्कि संविधान पर चलेगा। इस मामले पर चुवाव आयोग को भी नज़र रखनी चाहिए थी।
बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने आरजेडी के इन आरोपों के जवाब में कहा है की थैला बांटना केंद्र सरकार की योजना नहीं है,केवल मुफ्त अनाज देना ही केंद्र की योजना में शामिल है। बीजेपी गरीब जनता को थैला दे रही है। यह थैला कोई भी बनवा सकता है। केंद्र सरकार की योजना से लोगों को जोड़ने के लिए हमने एक संगठन के तौर पर ही मुहीम की शुरुआत की है। जिससे लोगों को लाभ मिल सके।
पीएम को फोटो से जागरूकता पैदा करने में मदद..
यह कोई पहली बार नही है जब विपक्ष ने पीएम मोदी की फोटो को लेकर सवाल उठाए हो, इससे पहले पीएम मोदी की फोटो को लेकर तब सवाल उठे थे जब कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद मिलने वाले सर्टिफिके पर पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी पाई गई, कुछ गैर बीजेपी शासित राज्यों से पीएम की तस्वीरें वैक्सीन सर्टिफिकेट से हटाने की खबरें भी आई थीं। इस समय भी विपक्ष इसे लेकर हमलावर था।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व जर्नलिस्ट कुमार केतकर ने बीजेपी सरकार से वैक्सीन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की फोटो को लेकर सवाल भी किया था कि सर्टिफिकेट पर पीएम की तस्वीर छापना क्या जरूरी है? जिसपर बड़ा ही अटपटा जवान आया था। स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में इसका जवाब देते हुए कहा था की सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी के मैसेज के साथ फोटो लगी होने से लोगों में जागरूकता पैदा करने में मदद मिलती है।
अजीब बात है अगर फोटो से जागरूकता पैदा होती है तो क्यों सरकार सड़कों पर लाउड स्पीकर लगवा कर कोरोना से लड़ने के लिए जागरूकता फैला रही है? क्यों वैक्सीन लगवाने के लिए लाउड स्पीकर से जागरूक किया जा रहा है? जबकि इस अवधारणा के अनुसार तो हर जगह पीएम मोदी की फोटो वाले पोस्टर लगवाने चाहिए थे।
बीजेपी, चुनाव और पार्टी के प्रचार को लेकर समझौता नहीं करती..
बात करे राशन के बोरियों पर पार्टी का चुनाव चिन्ह और पीएम की तस्वीर की तो इसे पार्टी का प्रचार कहा जा सकता है। क्योंकि इससे पहले किसी प्रधानमंत्री ने पोलिया, खसरा आदि के सर्टिफिकेट पर तो चुनाव चिन्ह के साथ अपनी फोटो नही बनवाई है। बीजेपी, चुनाव और पार्टी के प्रचार प्रसार को लेकर कोई समझौता नहीं करती है इसका एक उदाहरण कोरोना के समय में पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी की रैलियां हैं। किस तरह उस समय हज़ारों की भीड़ वाली रैलियां लगातार निकाली जा रही थी जिसके बाद दूसरी लहर देश में तबाही लेकर आई थी।