उत्तर प्रदेश के मऊ में महँगाई, बेरोज़गारी, महिला सुरक्षा और किसानों के मुद्दे पर मंगलवार को निकाले गये कांग्रेस के भाजपा गद्दी छोड़ मार्च पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया जिससे कई कार्यकर्ता बुरी तरह घायल हो गये। काँग्रेस के कुछ नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कांग्रेस ने 9 और 10 अगस्त को पूरे प्रदेश में विधानसभा स्तर पर यह मार्च निकाला था।
10 अगस्त को मऊ शहर के मिर्जाहादीपुर चौक से निकाले गये जुलूस को पुलिस ने टीसीआई मोड़ पर रोक दिया। पुलिस ने कोविड नियमों का हवाला देते हुए आगे मार्च न जाने देने का ऐलान किया लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता भी डट गये। इस बीच पुलिस ने कांग्रेस के बैनर-पोस्टर फाड़ने शुरू कर दिये जिस पर कार्यकर्ता उत्तेजित हो गये। देखते ही देखते पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। युवा कार्यकर्ता अकरम का हाथ टूट गया साथ ही दर्जनों कार्यकर्ताओं को चोटें आयीं।
इसमें अकरम प्रीमियर का जहां हाथ टूट गया तो दर्जन भर कार्यकर्ताओं को गंभीर चोटें लगीं। इससे नाराज कांग्रेसी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ता वहीं धरने पर बैठ गए। कार्यकर्ता गिरफ्तारी देने पर अड़ गए। पुलिस द्वारा वाहन उपलब्ध नहीं होने पर वे पैदल ही कोतवाली पहुंचे। यहां से पुलिस वैन में कार्यकर्ताओं को पुलिस लाइन भेज दिया गया। मार्च में जिला प्रभारी जनक कुशवाहा, माधवेंद्र बहादुर सिंह, सुरेश बहादुर सिंह, अजय कुमार पांडेय, जिलाध्यक्ष इंतेखाब आलम, राष्ट्रकुंवर सिंह, विष्णु कुशवाहा आदि सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।
कांग्रेस ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यह लाठीचार्ज योगी शासन का असली चेहरा बयान कर रहा है। जनता महँगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त है और विपक्ष के आवाज़ उठाने पर लाठीचार्ज किया जा रहा है। लोकतंत्र में विपक्ष का फ़र्ज ही नहीं, दायित्व है कि वह जनता के मुद्दों पर सड़कों पर उतरे। लगता है कि सीएम योगी लोकतंत्र का बुनियादी पाठ भी भूल गये हैं। जनता अगले चुनाव में उन्हें इसका पाठ ज़रूर पढ़ाएगी।