काउंटडाउन यूपी पोल्स 2022- भाग 2
हिंदुस्तान में बच्चेे और बुजुर्ग भी लूडो खेलने के बाद उसी के पाँसे से पेपर बोर्ड के ही दूसरे साइड में उपलब्ध साँप–सीढ़ी का खेल भी बड़े मजे से खेलते हैं। ये खेल विदेशों में शायद कम ही खेला जाता है।
हमें नहीं मालून ‘ इंडिया दैट इज भारत ‘ के प्रधानमंत्री की गद्दी पर पिछले सात बरस से बैठे हुए नरेंद्र मोदी ने कभी लूडो और साँप–सीढ़ी का खेल खेला है। हमें नहीं मालूम कि उत्तर प्रदेश के पिछले पाँच बरस से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बचपन में ये खेल अपने पाँच भाई बहनों के साथ खेला था। तब उनका नाम अजय सिंह बिष्ट था। वह बिष्ट जी से कब, क्यों और कैसे योगी जी बन गए इसकी अलग कहानी है। फिलहाल तो इतना ही कि मूलतः उत्तराखंड के अजय सिंह बिष्ट को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में नाथ संप्रदाय के मतावलम्बियों के महंत बन गए अवैधनाथ ने गोद ले लिया। इस गोदभराई के कानूनी दस्तावेज किसी अदालत में शायद दाखिल नहीं किये गए। इसलिए भी वे दस्तावेज सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं हैं।
महंत अवैधनाथ लोक सभा की गोरखपुर सीट से कई बार ‘अखिल भारतीय हिन्दू महासभा’ के प्रत्याशी के रूप में जीते। ये निर्वाचन आयोग से पंजीकृत वही सियासी पार्टी है जिसके सदस्य रहे विनायक सावरकर आदि के रचे एक बहुत बड़े षड्यन्त्र के तहत उनके सखा नाथुराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 की सुबह नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की रिवॉल्वर से गोली मार कर हत्या कर दी थी।
उस हत्याकांड के अदालती मामले में सावरकर अभियुक्त थे। पर उन्हें संदेह का लाभ देकर अदालत ने कोई सजा नहीं दी। ये कहना रिकॉर्डडेड अदालती इतिहास के साथ बचकाना खिलवाड़ ही होगा कि सावरकर, बाइज्जत रिहा कर दिए थे।
सब जानते हैं आरएसएस ने तय कर अपना फरमान मोदी जी के दोनों कान को सुना दिया है उत्तर प्रदेश में नई विधान सभा के लिए अगला चुनाव होने तक योगी जी जनगणना के हिसाब भारत के इस सबसे बड़ा सूबा के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। आरएसएस का ये भी फरमान है यूपी का ये अहम चुनाव निपटने तक मोदी जी ही प्रधानमंत्री बने रहेंगे। इस चुनाव में कौन जीतेगा ये प्रश्न भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। भागवत जी शिक्षा से पशु डाक्टर है। जानते होंगे कि गर्भस्थ बच्चा का लिंग परीक्षण संभव है। लेकिन चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी करना किसी भी डाक्टर के बूते के बाहर की बात है।
मोदी जी ने बेशक दिल्ली यूनिवर्सिटी से ‘ एनटायर पॉलिटिकल सायन्स ‘ के कल्पित पाठ्यक्रम में स्नातक उत्तीर्ण होने का दावा कर रखा है। लेकिन मोदी जी भी न तो डाक्टर हैं और न ही फलित ज्योतिष गणना के महारथी। लेकिन मोदी जी भली भांति जानते हैं कि यूपी के नए चुनाव बाद उनकी भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) जोड़-तोड़ करके नई सरकार बनाने की स्थिति में प्रगट होती है तो मुख्यमंत्री कौन बने इस सवाल पर उनका सिक्का नहीं चलेगा ।
सब जानते हैं कि यूपी विधान सभा के पिछले चुनाव के बाद भी जों मुख्यमंत्री बने उनका निर्धारण मोदी जी और भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों ने नहीं बल्कि आरएसएस ने किया था। मोदी जी तो मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। मगर ये हो न सका। क्यों नहीं हो सका , ये बात मोदी जी से बेहतर कोई नहीं जानता है।
मोदी जी ने इस बार के चुनाव के ऐन पहले अपना पाँसा फेंक उनके ख़ास अफसर रहे अरविंद कुमार शर्मा को योगी सरकार में उपमुख्यमंत्री बनानी की चाल चली थी । लेकिन उफ ये लेकिन। साँप-सीढ़ी के सियासी खेल में मोदी जी का पाँसा योगी जी ने आरएसएस के इशारा पर पलट दिया । मोदी जी के शर्मा जी का सियासी कद लाखनवी दर्जी की कैंची से कुछ ‘ बिलाँग ‘ छोटा कर उन्हें प्रदेश भाजपा के सत्रहवें उपाध्यक्ष का पद पकड़ा दिया गया । पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष की सूची में पहले नंबर पर लक्ष्मण आचार्य, दूसरे पर पंकज सिंह, तीसरे नंबर पर राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्र के खासम खास विजय बहादुर पाठक, चौथे नंबर पर कांता कर्दम और सोलहवें नंबर पर सुनीता दयाल हैं। इसके बाद ही मोदी जी के शर्मा जी का नंबर है।
साँप- सीढ़ी के सियासी खेल में मोदी जी की मुसीबतें और भी बढ़ने वाली हैं। मोदी के कट्टर विरोधी माने जाने वाले पूर्व आरएसएस प्रचारक संजय जोशी की भाजपा में संभावित वापसी की खबरें छन कर इस स्तंभकार को मिली हैं।
राम जन्म भूमि न्यास के जमीन घोटाले और इसमें विश्व हिन्दू परिषद के चम्पत राय की कथित भूमिका के पर्दाफ़ाश से भी मोदी जी की मुसीबत ही बढ़ी है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार द्वारा बनाए विशेष न्यास के न्यासी पूर्व आईएएस अफसर नृपेन्द्र मिश्रा हैं। ये उत्तर प्रदेश काडर के ही वही मिश्रा जी हैं जों 2014 में मोदी जी के प्रधानमंत्री बन जाने पर उनके प्रधान सचिव नियुक्त किये गए थे।वह इसके पहले‘ टेलिकॉम रेगुलेटरी कमीशन ऑफ इंडिया ‘ (ट्राई) के चेयरमैन रहे थे। ट्राई नियमावली के अनुसार उसके चेयरमैन या किसी भी सदस्य को उन के रिटायरमेंट के दो बरस के पह ले किसी भी सरकारी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता हैं।
मोदी सरकार का पहला ही काम उनके प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के भी पूर्व कानून को ठेंगा दिखाना था। मिश्रा जी को मोदी जी के बतौर प्रधानमंत्री, प्रमुख सचिव नियुक्त करने के लिए अध्यादेश जारी कर ट्राई नियमावली को ताक पर रख दिया गया।
योगी जी की लीला अपरम्पार है. मोदी जी अगर साँप–सीढ़ी के सियासी खेल में साँप के भरोसे हैं तो योगी जी को आरएसएस की सीढ़ी नसीब हो चुकी है। बहरहाल, मोदी जी और योगी जी के सियासी साँप सीढ़ी के खेल में यूपी के चुनाव तक दोनों तरफ से पाँसे बहुत डाले जाएंगे। वादा है मीडिया विजिल के इस कॉलम में उनकी पूरी खबर ली जाएगी। ठीक है ?
*मीडिया हल्कों में सीपी के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं।