हाईकोर्ट ने योगी सरकार को फटकारा-‘माई वे ऑर नो वे’ का रवैया छोड़ो! 135 कर्मचारियों की मौत पर नोटिस!

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कोरोना रोकथाम के मामले में दिखायी गयी भीषण लापरवाही के लिए यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार अब निशाने पर है। मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए मेरा क़ायदा क़ायदा, वरना कोई क़ायदा नहीं जैसा रवैया छोड़ने को कहा। यही नहीं, अदालत ने योगी सरकार की कोरोना कार्ययोजना को भी खारिज कर दिया। इसी के साथ हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान 135 कर्मचारियों की मौत पर भी कड़ा रुख अख़्तियार करते हुए राज्य चुनाव आयोग को न्यायिक नोटिस जारी किया है। अदालत ने पूछा है कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों न की जाये?

मंगलवार को योगी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में कोरोना कार्ययोजना पेश की थी। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘सरकार को मेरा कायदा कायदा, वरना कोई कायदा नहीं जैसा रवैया अब त्याग देना चाहिए।’ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बारह बिंदुओं का दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिस पर कोर्ट ने योगी सरकार को अमल करने के लिए कहा है।

मंगलवार को योगी सरकार द्वारा पेश की गई कार्ययोजना को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि योगी सरकार ने कोरोना कार्ययोजना में बहुत देरी कर दी, लेकिन इस देरी के बावजूद सरकार कोरोना को नियंत्रित करने का दावा करती है। हाईकोर्ट ने योगी सरकार को एक मर्तबा फिर नए सिरे से कोरोना कार्ययोजना कोर्ट के समक्ष पेश करने के लिए कहा है, इस पर कोर्ट 3 मई को सुनवाई करेगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार पर भरोसा न करते हुए कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित दस ज़िलों के ज़िला न्यायाधीशों को हाईकोर्ट के आदेश की निगरानी करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने ज़िला न्यायाधीशों से सिविल जज या उससे बड़े न्यायिक अधिकारी को नामांकित करने के लिए कहा है। यह अधिकारी हर हफ्ते के अंत में रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट देंगे और यह बताएंगे कि हाई कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है या नहीं?

उधर, उत्तर प्रदेश में चुनाव ड्यूटी के दौरान 135 कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से हुई मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस संबंध में एक अख़बार में छपी ख़बर का संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करके पूछा है कि पंचायत चुनाव के दौरान कोविड के दिशा निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया? निर्देशों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों न की जाये?

पंचायत चुनावों के हालिया चरणों के दौरान चुनाव ड्यूटी पर तैनात 135 शिक्षिक, शिक्षामित्रों और जांचकर्ताओं की मौत का मामला दैनिक समाचार ‘अमर उजाला’ में 26 अप्रैल को छपा था। कोर्ट ने खबर की पुष्टि करने के बाद न्यायिक नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि, “हम यह स्पष्ट करते हैं कि हम उठाए गए कदमों और इसकी पर्याप्तता को दिखाने के लिए किसी भी कागजी कार्रवाई या सार्वजनिक घोषणाओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि यह अब एक खुला रहस्य है कि सरकार 2020 के अंत तक राज्य में वायरस के प्रभाव कम होने के कारण बहुत संतुष्ट हो गई और सरकार पंचायत चुनावों सहित अन्य गतिविधियों में शामिल हो गई।”

इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय ने COVID-19 के बढ़ते मामलों के बावजूद भी राज्य पंचायत चुनाव स्थगित करने से इनकार कर दिया था। ऐसा करते समय उच्च न्यायालय ने कहा था कि सरकार ने चुनाव बूथों पर होने वाले पर्याप्त स्वास्थ्य प्रोटोकॉल को अधिसूचित किया है और यह आशा करती है कि राज्य द्वारा पंचायती राज चुनावों के दौरान संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सभी आवश्यक देखभाल की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोविड के किसी भी दिशानिर्देश का पालन नहीं किया गया। अगली सुनवाई 3 मई को होगी।


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