मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली बॉर्डर्स पर चल रहा आंदोलन आज 124वें दिन भी जारी रहा। इस बीच एक दुखद खबर पटियाला से आई। पटियाला के थापर यूनिवर्सिटी चौक पर एक दुखद दुर्घटना में सरदार इंदरजीत सिंह की मृत्यु हो गयी व कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। ये लोग चौक पर किसान आन्दोलन के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे थे। किसान नेताओं और विभिन्न संगठनों ने प्रशासन से मांग की कि दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ड्राइवर प्रितपाल सिंह को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उसके खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजा जाए।
किसान संगठनों के नेताओं ने मांग की कि सरदार इंद्रजीत सिंह को किसान आंदोलन का शहीद मानते हुए, उनके परिवार को पंजाब सरकार व केंद्र सरकार द्वारा तय मुआवजा दिया जाना चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि वह घायल व्यक्तियों का पूरा इलाज करवाए। नेताओं ने कहा कि सभी घायलों की पहचान की जानी चाहिए और सभी परिवारों की सहायता की जानी चाहिए।
वहीं जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय NAPM द्वारा मिट्टी सत्याग्रह का आयोजन किया जा रहा है। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि आज तक, 320 से ज्यादा किसानों ने इस आंदोलन में शहादत दी है, इसके बावजूद भी यह आंदोलन अहिंसक सत्याग्रह के साथ सरकार की आक्रामकता और दमन का सामना कर रहा है। इस आंदोलन की जड़ें भारत के स्वतंत्रता संग्राम के साथ जुड़ी है। 1919 में आए रॉलेक्ट एक्ट को शांततापूर्ण ढंग से विरोध कर रहे हजारों बेकसूरों पर जालियांवाला बाग में ब्रिटीश हुकूमत ने गोलियाँ चलाई। पूरा देश आक्रोश से भर गया। इसी दौर में गांधीजी ने “असहयोग आंदोलन” का नारा देकर इस बेरहम हुकूमत के कानूनों का सहयोग ना करने का आह्वान किया। असहयोग आंदोलन में सत्याग्रह की प्रेरणा हमें ऊर्जा प्रदान कर रही है। कृषि, किसानों, खाद्य सुरक्षा को बचाने के लिए आज नमक नहीं, मिट्टी की जरूरत है। इस उद्देश्य से युवाओं ने शिद्दत के साथ “मिट्टी सत्याग्रह’ का आयोजन किया है।
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि ‘मिट्टी सत्याग्रह’ के माध्यम से गाँव की सड़कों पर पहुँचना देश के जल, जंगल, जमीन, प्राकृतिक संसाधनों और साथ ही आजीविका को बचाने की कोशिश की जा रही है। यह माँग लोकतंत्र और संविधान के मूल्यवान ढांचे को बचाने के लिए भी है। जाति-धर्म-दुर्भाव के माध्यम से भी हो रहे अत्याचारों को नकारकर समानता का आह्वान करना आवश्यक है। विभिन्न राज्यों में विभिन्न संगठन – विभिन्न रूप से कार्यक्रमों का समन्वय कर रहे हैं। वे गाँव के प्रमुख ऐतिहासिक स्थानों, आज़ादी के नायकों की प्रतिमाओं और संघर्ष के प्रतीकों से एक मुट्ठी मिट्टी कलश में इकट्ठा करेंगे और लोगों से संवाद करेंगे।
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा विकेन्द्रित रूप में 12 मार्च से 28 मार्च तक देश के कई राज्यों में जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, आसाम और पंजाब में जन संवाद अभियान चला रही है। मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 30 मार्च को दांडी से शुरू होकर गुजरात के कई जिलों से होकर, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब होते हुए 5 अप्रैल की सुबह 9 बजे शाहजहाँपुर बॉर्डर पहुँचेगी।
सयुंक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यात्रा के आखिरी दौर में पूरे देश की विकेन्द्रित यात्राएँ किसान बॉर्डर पर अपने राज्य के मिट्टी कलश के साथ यात्रा में शामिल होंगे। शाहजहाँपुर बॉर्डर से यात्रा टिकरी बॉर्डर जाएगी। अप्रैल 6 की सुबह 9 बजे सिंघु बॉर्डर और शाम 4 बजे गाजीपुर बॉर्डर पहुँचेंगी। बॉर्डर पर ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के सभी वरिष्ठ किसान नेता इस मिट्टी सत्याग्रह यात्रा का हिस्सा रहेंगे। पूरे देश से आई मिट्टी किसान आंदोलन के शहीदों को समर्पित की जाएगी। बॉर्डर पर शहीद स्मारक बनाए जाएंगे। स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों की पुनर्स्थापित करने के विचार को आगे बढ़ाने के लिए हम संकल्पित हैं।
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ की ओर से डॉ दर्शन पाल द्वारा जारी