‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ के नेतृत्व में दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसान आंदोलन का आज 80वां दिन हैं। वहीं किसान संगठनों द्वारा किसान महापंचायतों का दौर भी जारी है। किसान नेताओं ने कहा है कि देशभर में किसानों से मिल रहे भारी समर्थन से यह तय है कि सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस करना पड़ेगा। आज बिलारी और बहादुरगढ़ में आयोजित महापंचायतों में किसानों एवं जागरूक नागरिकों का भारी समर्थन मिला। रोटी को तिजोरी की वस्तु नहीं बनने देंगे और भूख का व्यापार नहीं होने देंगे।
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार की किसान विरोधी और कॉरपोरेट पक्षीय मंशा इसी बात से भी स्पष्ट होती है कि बड़े बड़े गोदाम पहले ही बन गए और कानून फिर कानून बनाये गए।
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ के नेताओं ने कहा कि हाल ही में सरकार ने संसद में जवाब दिया कि किसान आंदोलन के शहीदों को कोई सहायता देने का विचार नहीं है। कल संसद की कार्रवाई में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने में भी भाजपा व सहयोगी दलों के सासंदो ने जो असंवेदनशीलता दिखाई उसकी हम निंदा करते हैं। अब तक 228 किसान शहीद हो चुके हैं। हम सरकार से पूछना चाहते है कि ओर कितने किसानों का बलिदान चाहिए?
किसान नेताओं का कहना है कि इस सरकार का कलम और कैमरे पर सख्त दबाव है। इसी कड़ी में पत्रकारों की गिरफ्तारी और मीडिया के दफ्तरों पर छापेमारी हो रही है। हम न्यूज़क्लिक मीडिया पर बनाये जा रहे दबाव की निंदा करते है। ऐसे वक़्त में जब गोदी मीडिया सरकार का प्रोपोगेंडा फैला रहा है, चंद मीडिया चैनल लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की लाज बचाये हुए है व उन पर हमला निंदनीय है।
नेताओं ने कहा कि 14 फरवरी को, पुलवामा हमले के शहीदों को याद करते हुए, भाजपा सरकार के छद्म राष्ट्रवाद को बेनकाब करने के लिए, एक मीडिया हाउस के एंकर के लीक गुप्त व्हाट्सएप चैट की पृष्ठभूमि के खिलाफ और यह दिखाने के लिए कि किसान सही मायने में हमारे जवानों का सम्मान करते हैं, पूरे भारत के गाँवों और कस्बों में मशाल जूलूस और कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा। आंदोलन में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी। ‘जय जवान, जय किसान’ के आंदोलन के आदर्श को दोहराया जाएगा।
13 फरवरी को, कर्नाटक राज्य रैता संघ के संस्थापक जाने-माने किसान नेता प्रो नंजुंदस्वामी की जयंती पर SKM ने प्रगतिशील और न्यायसंगत समाज के लिए अपनी सोच को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें किसानों के अधिकारों पर ज़ोर दिया।
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ की ओर से डॉ दर्शन पाल द्वारा जारी