हाल ही में गणतंत्र दिवस पर, दिल्ली के आईटीओ पर ट्रैक्टर पर सवाल एक आंदोलनकारी किसान की मौत को लेकर उठे विवाद में देश ने देखा कि कैसे आनन-फ़ानन में सरकार/पुलिस की ओर से-इस मृत्यु पर सवाल करने वाले पत्रकारों पर एफआईआर के ज़रिए दमन की कोशिश की गई। राजदीप सरदेसाई, ज़फ़र आग़ा, मृणाल पांडेय, विनोद जोसे और सिद्धार्थ वरदराजन समेत कई पत्रकारों पर गंभीर धाराओं में मुकदमे इसलिए दर्ज कर दिए गए, क्योंकि उन्होंने बस वो ही सवाल दोहराया था – मृतक किसान 25 साल के नवरीत सिंह के परिजन और वहां मौजूद आंदोलनकारी किसान दोहरा रहे थे। सवाल ये था कि क्या नौजवान नवरीत सिंह की मृत्यु ट्रैक्टर पलटने से हुई या फिर उनके गोली लगी थी?
Media Vigil की टीम ने तय किया कि वह इस मामले के दूसरे पक्ष पर मृतक नवरीत सिंह के परिवार से सीधे मिल कर, उनका बयान लेने की कोशिश करेगी। इस कोशिश में हमारे एक्सीक्यूटिव एडिटर मयंक और सुप्रीम कोर्ट की वकील अवनि बंसल जा पहुंचे, दिल्ली की ग़ाज़ीपुर प्रोटेस्ट साइट से 232 किलोमीटर दूर, नवरीत सिंह के गांव – यूपी के रामपुर ज़िले की बिलासपुर तहसील में स्थित उनके गांव ‘डिबडीबा’ में। वहां हमने न केवल उनके परिवार से मुलाक़ात की, बल्कि उनके दादा हरदीप सिंह ‘डिबडीबा’ और उनकी मां परमजीत कौर के बयान भी कैमरे पर दर्ज किए।
अहम बात ये थी कि उन्होंने वही बात दोहराई, जो वो लगातार कहते आ रहे हैं और जिसे उनके पक्ष के तौर पर कहने के कारण, इन पत्रकारों पर राजद्रोह और दंगे भड़काने की कोशिश जैसी धाराओं में मुकदमे दर्ज कर दिए गए हैं।
हमसे मृतक नवरीत सिंह के दादा, हरदीप सिंह ‘डिबडीबा’ ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ठुड्डी के पास के LW (किसी वस्तु के ऐसी गति से शरीर से टकराने से बना घाव कि त्वचा में वह तेज़ गति की वस्तु अंदर चली जाए) घाव और उसके तिरछी सीध में कनपटी पर उसी आकार का घाव होने की बात, LW घाव के हड्डी को छेदने वाला होने की बात और मृतक के शरीर पर मौजूद उन घावों, उनके वीडियो के आधार पर गोली लगने का दावा किया। उन्होंने ये भी कहा कि नवरीत के कपाल के, एक्सरे की रिपोर्ट में भी ऐसी ही पुष्टि हो रही है, लेकिन उनको एक्सरे की कॉपी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है।
नवरीत के परिवार ने ऑफ द रेकॉर्ड भी हमसे ये ही बात दोहराई, हालांकि उनकी मां ने हमारे कैमरे पर दर्ज किए बयान में ये शंका जताई कि उनके गोली ही लगी है। परिवार ने हमको पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की कॉपी भी सौंपी, जो आप यहां देख सकते हैं। हमारी मृतक नवरीत के परिवार से मुलाक़ात का वीडियो आप नीचे दिए गए लिंक्स पर देख सकते हैं;
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अथवा यूट्यूब पर ये वीडियो देखें;
फिलहाल हमारी इस स्पेशल रिपोर्ट से ये तो साबित होता ही है कि जिन पत्रकारों पर FIR दर्ज की गई है, वे सिर्फ वही बात दोहरा रहे थे – जो नवरीत का परिवार दोहरा रहा है और आंदोलनकारी किसान भी लगातार कह रहे हैं। ऐसे में सवाल ये उठना चाहिए कि इसकी जांच करवाने की जगह, पत्रकारों पर एफआईआर कर के सरकार क्या सिर्फ अपना पल्ला छुड़ा रही है या फिर कुछ ऐसा है, जिसे छुपाया जा रहा है?
(ये स्टोरी मीडिया विजिल के लिए मयंक सक्सेना के साथ सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट अवनि बंसल ने की है।)