अखिल भारतीय किसान संघर्ष समीति (एआईकेएससीसी) ने मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बड़े अभियान का ऐलान किया है। एआईकेएससीसी ने देश के सभी किसानों से 25-26 नंबर को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया है। एआईकेएससीसी ने ऐलान किया है कि देशभर के किसान 2 अक्टूबर को उन पार्टियों व जनप्रतिनिधियों के बहिष्कार का संकल्प लेंगे, जिन्होंने इन किसान विरोधी कानूनों का विरोध नहीं किया है।
एआईकेएससीसी ने ऐलान किया है कि 14 अक्टूबर एमएसपी अधिकार दिवस के रूप में मनाएंगे और सरकार के इस झूठ का खुलासा करेंगे कि किसानों को स्वामीनाथन आयोग के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है। इसके साथ ही किसान संगठनों ने 6 अक्टूबर को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चैटाला के इस्तीफे की मांग को लेकर उनके घर के सामने धरना देने का फैसला किया है।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा आज दिल्ली के प्रेस क्लब में किसान आंदोलन के अगले संघर्ष और अभियान की घोषणा की गई। प्रेस वार्ता को समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव हन्नान मौलाह, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा और अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के राष्ट्री महासचिव सत्यवान ने संबोधित किया।
एआईकेएससीसी देशभर के किसानों, कृषि मजदूरों, व आमजनों को 25 सितम्बर के ऐतिहासिक भारत बंद व प्रतिरोध कार्यक्रमों की सफलता के लिए बधाई दी है और केन्द्र सरकार के किसान विरोधी व जन-विरोधी कानून व नीति के विरूद्ध प्रतिरोध का समन्वय करने के लिए सभी संगठनों की सराहना की है। इतिहास में पहली बार देश भर के किसानों ने केन्द्रीय कानून पारित होने के 5 दिन के अन्दर ऐसा विरोध आयोजित किया है। यह तत्कालिक विरोध किसानों के जीवन व जीविका पर हो रहे आघात के विरूद्ध, किसानों के गुस्से की झलक 20 राज्यों में प्रदर्शित हुई।
एआईकेएससीसी से सम्बद्ध संगठनों ने ‘चक्का जाम’ धरना तथा कानून की प्रतियां जलाकर 10 हजार से ज्यादा स्थानों पर करीब 1.5 करोड़ किसानों की भागीदारी कराई। जहां केन्द्र सरकार एक गलत धारणा प्रस्तुत कर इस विरोध को केवल उत्तर भारत में केन्द्रित दर्शाने के प्रयास में है, इस बंद व विरोध के अखिल भारतीय चरित्र का असर दक्षिणतम प्रांत तमिलनाडु में भी दिखा जिसमें 300 से अधिक स्थानों पर 35 हजार से ज्यादा किसान सड़कों पर उतरे और राज्य की भाजपा की मित्र सरकार ने 11,000 से ज्यादा को गिरफ्तार किया। अन्य कई संगठनों व असंगठित किसानों द्वारा भी बंद में भाग लेने की खबर है। इस बंद ने स्पष्ट रूप से दिखा दिया की देश के किसानों ने केन्द्र सरकार के इन तीन काले कानूनों को नकार दिया है।
स्मरण हो कि 9 अगस्त को एआईकेएससीसी ने इन विरोधों की शुरूआत की थी और घोषणा की थी कि जब तक ये तीनों कानून वापस नहीं लिये जाते तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। क्योंकि केन्द्र सरकार इन तीन किसान विरोधी कानूनों को आगे बढ़ा रही है और एमएसपी/सरकारी खरीद पर गलत जानकारियां दे रही है। एआईकेएससीसी किसानों के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए इन कानूनों को अमल नहीं होने देगी।
एआईकेएससीसी केन्द्र सरकार से अपील करती है कि वह किसानों की मांगों का सम्मान करे और इन्हें अमल होने से रोक दे। वह राज्य सरकारों व उन विपक्षी दलों से, जिन्होंने किसानों के पक्ष का समर्थन किया है, अपील करती है कि वे राज्यों द्वारा इन कानूनों के अमल ना होने देने के कानूनी तरीके ढूंढ़ निकालें।
इसके अतिरिक्त एआईकेएससीसी राज्य विधान सभाओं से अपील करती है कि वे प्रस्ताव पारित कर घोषित करें कि क्योंकि यह देश के संघीय ढांचे पर और किसानों के अधिकारों पर गम्भीर हमला हैं। इसलिए वे इसे अमल नहीं करेंगी।
इन तीन किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ एआईकेएससीसी अपने संघर्ष को और तेज करेगी। एआईकेएससीसी की बहुत सारी राज्य इकाईयों ने गांव से ब्लाक स्तर तथा मंडियों में विरोध सभाएं सम्मेलन आयोजित कर केन्द्र सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे हमले पर शिक्षित करने, सरकार के धोखे को उजागर करने, क्रमिक व नियमित भूख हड़तालें चलाने, आदि का निर्णय लिया है। एआईकेएससीसी अपनी राज्य इकाइयों और विभिन्न संगठनों के साथ समन्वय करते हुए पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटका, तमिलनाडु, तेलंगाना के आन्दोलनों के साथ भी समन्वय करते हुए आन्दोलन के आगे के कदमों की घोषणा करेगी और इस बीच वह सभी राज्य स्तर पर तय कार्यक्रमों व आन्दोलनों का समर्थन व घोषणा करना चाहती है।
राज्य स्तर पर आंदोलन के कार्यक्रम
– पंजाब के किसान संगठनों द्वारा रेल रोको का आह्वान।
– 6 अक्टूबर 2020 को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चैटाला के घर के सामने धरना व उनके इस्तीफे की मांग।
– कर्नाटका के किसान संगठनों द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार के किसान विरोधी आन्दोलनों द्वारा रोक की अपील।
ये राज्य स्तरीय विरोध अन्य केन्द्रीय कार्यक्रमों के साथ आयोजित होंगे
– 2 अक्टूबर, 2020 को देश के किसान उन पार्टियों व जनप्रतिनिधियों के बहिष्कार का संकल्प लेंगे, जिन्होंने इन किसान विरोधी कानूनों का विरोध नहीं किया है और केन्द्र सरकार के किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ गांव सभा के प्रस्ताव अपनाएंगे।
– 14 अक्टूबर, 2020 को देश के किसान एमएसपी अधिकार दिवस के रूप में मनाएंगे और सरकार के इस झूठ का खुलासा करेंगे कि किसानों को स्वामीनाथन आयोग के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है।
ये सभी विरोध एक राष्ट्रीय विरोध के रूप में 26 व 27 नवम्बर, 2020 को दिल्ली में संगठित होंगे
एआईकेएससीसी इसके साथ भारत के सभी किसानों से ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान करती है ताकि केन्द्र सरकार किसानों के भविष्य व जीविका पर किए जा रहे अमानवीय हमले को वापस लेने के लिए मजबूर हो सके। एआईकेएससीसी ने संकल्प लिया है कि जब तक देश के किसान नहीं जीत जाते तब तक संघर्ष जारी रहेगा – हम लड़ेंगे, हम जीतेंगे।
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एआईकेएससीसी मीडिया सेल द्वारा जारी