Mediavigil Exclusive: अपने रिवर्स स्टिंग का शिकार हुए हैं अंडरकवर पत्रकार पुष्प शर्मा!



आयुष मंत्रालय द्वारा एक ‘नीति’ के तहत मुस्लिमों को योग प्रशिक्षक न नियुक्त करने संबंधी खबर कर के चर्चा में आए पत्रकार पुष्प शर्मा से सरकार को क्या दिक्कत है? क्या इस खबर के बहाने उनसे कोई पुराना बदला चुकाया जा रहा है? आखिर किसके लिए काम करते हैं शर्मा? उनका बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से क्या रिश्ता है? खबर प्रकाशित करने वाले अखबार दि मिली गजेट के संपादक ज़फरुल इस्लाम ने हालांकि मज़बूती से अपने पत्रकार और प्रकाशित खबर का बचाव किया है, लेकिन शर्मा के समर्थन में पत्रकारों की किसी भी तरह की संभावित एकजुटता से पहले कुछ तथ्यों को ध्यान में रखा जाना ज़रूरी है। मीडियाविजिल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: 

गौरतलब है कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर दि मिली गजेट में खबर लिखने पर उठे विवाद और मंत्रालय द्वारा किए गए खंडन के बाद खोजी पत्रकार पुष्प शर्मा को मंगलवार शाम दिल्ली पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया था। देर रात उन्हें दिल्ली के कोटला मुबारकपुर थाने से छोड़ा गया और अगले दिन सवेरे दस बजे आने की हिदायत दी गई। थाने से छूटने के बाद देर रात एक बजे के करीब शर्मा ने अपने पाठकों के नाम एक संदेश जारी किया जिसे अखबार की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।

इस संदेश में उन्होंने लिखा है, ”मुझे गालियां दी गईं, आरोप लगाए गए और मुझसे पूछा गया कि तुम्हारी मंशा क्या है और कौन है तुम्हारे पीछे? मैंने उन्हें बताया कि खबर लिखने के पीछे मेरी मंशा केवल पत्रकारीय होती है। ज़ाहिर है, सत्ता में बैठे लोग अफ़वाह फैलाने की कोशिश करेंगे, मेरा चरित्र हनन करेंगे और मुझे किसी राजनीतिक धड़े से जोड़ने की कोशिश करेंगे… अगर मेरी आज़ादी कायम रही तो जल्द ही मैं योग पर एक और उद्घाटन करूंगा।”

आखिर कौन हैं पुष्प शर्मा? आयुष मंत्रालय उनकी लिखी एक खबर से इतना क्यों हिला हुआ है? दिल्ली पुलिस को उनसे पूछताछ करने की ज़रूरत क्यों पड़ी जब उन्होंने मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाबों की प्रतियां तक ऑनलाइन पोस्ट कर दी हैं? आखिर पुलिस उनसे क्या उगलवाना चाहती है? ये सवाल इसलिए ज़रूरी हैं क्योंकि दिल्ली के पत्रकारों के बीच भी शर्मा का नाम बहुत जाना-पहचाना नहीं है। दूसरे, दि मिली गजेट मुख्यतः मुस्लिम समुदाय की खबरों से ताल्लुक रखता है जिसके चलते उसे मुख्यधारा में ज्यादा फॉलो नहीं किया जाता है। क्या ताज़ा मामला केवल आयुष मंत्रालय से जुड़ी खबर से ताल्लुक रखता है या इसका कोई और आयाम है?

पुष्प शर्मा के काम को जानने के लिए थोड़ा पीछे जाने की ज़रूरत है जब छह साल पहले तहलका ने हेडलाइंस टुडे के साथ मिलकर हिंदूवादी संगठन श्रीराम सेने के नेता प्रमोद मुथालिक के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन ”रेंट ए रायट” के नाम से किया था जिसमें दिखाया गया था कि यह संगठन पैसे लेकर दंगा करता है। इस स्टोरी के बाद पहली बार शर्मा प्रकाश में आए थे जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही चैनल में नौकरी शुरू की थी। यह स्टिंग हालांकि अकेले उनका नहीं था, बल्कि कह सकते हैं कि उनका नाम इसमें बाद में जोड़ा गया। इसे मशहूर अंडरकवर रिपोर्टर के. आशीष ने अंजाम दिया था जिन्होंने पिछले दिनों पटियाला हाउस कोर्ट में वकीलों द्वारा मारपीट का भी स्टिंग किया है।

दिल्ली में स्टिंग ऑपरेशन की अंडरकवर दुनिया का हर शख्स पुष्प शर्मा को जानता है और सबके पास उनके बारे में सुनाने को एक से एक कहानियां हैं। एक कहानी हालांकि ऑन दि रिकॉर्ड यह है कि 2009 में शर्मा को अपने एक साथी पंकज कुमार के संग फर्जी स्टिंग के नाम पर वसूली करने के आरोप में दक्षिणी दिल्ली पुलिस द्वारा पकड़ा गया था। यह वसूली वाली कहानी सच्ची है या पुलिस की गढ़ी हुई, इस पर दावे के साथ कुछ भी नहीं कहा जा सकता लेकिन 2010 के बाद शर्मा के किए स्टिंग ऑपरेशनों ने भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार के लिए जैसी मुश्किलें खड़ी कीं, उनका लेना-देना शर्मा की ताज़ा गिरफ्तारी से बेशक हो सकता है।

इन्हीं स्टिंग ऑपरेशनों में सबसे अहम स्टिंग तुलसी प्रजापति और सोहराबुद्दीन शेख की मुठभेड़ में हुई हत्या से जुड़ा है जिसका उद्घाटन शर्मा ने 2013 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के प्रेस क्लब में किया था। इस स्टिंग से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर और भूपेंद्र यादव की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई थी। अंडरकवर रिपोर्टरों की दुनिया मानती है कि शर्मा उसी दिन से बीजेपी के निशाने पर आ गए थे और आयुष वाला ताज़ा मामला बस एक बहाना है। बात हालांकि इतनी आसान नहीं है। प्रेस क्लब में उस दिन शर्मा के साथ अंडरकवर रिपोर्टरों के गार्जियन अनिरुद्ध बहल और वकील प्रशांत भूषण भी मौजूद थे। यह बात अलग है कि शर्मा से दोनों ने एक सुरक्षित दूरी बना रखी थी। इस बात को कई पत्रकारों ने महसूस किया था।

चूंकि अंडरकवर रिपोर्टरों की दुनिया में मोटे तौर पर एक बुनियादी एकता यह काम करती है कि कोई भी किसी दूसरे के कवर को उघाड़ने का काम नहीं करेगा, इसलिए उनके बीच के मतभेद और अच्छाइयां-बुराइयां भी सतह के नीचे ही दबी रह जाती हैं। कोबरापोस्ट, आजतक और तहलका में अंडरकवर के तौर पर काम कर चुके एक वरिष्ठ पत्रकार ने मीडियाविजिल को बताया कि अपनी सुरक्षा के लिए अकसर कुछ पत्रकार स्टिंग करते वक़्त रिवर्स स्टिंग भी कर के रख लेते हैं। ऐसा करने वाले पत्रकार अधिकतर कुछ विशिष्ट कामों के लिए नेताओं द्वारा हायर किए जाते हैं। पुष्प शर्मा के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है।

नाम न छापने की शर्त पर उक्त पत्रकार ने बताया कि शर्मा को तुलसी प्रजापति, सोहराबुद्दीन शेख और इशरत जहां की फर्जी मुठभेड़ों के मामले में अपने पक्ष में सबूत जुटाने के लिए खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एक समय ”हायर” किया था। वे बताते हैं, ”अमित शाह के एक बेहद करीबी व्यक्ति मुझे यह बात बहुत पहले दिल्ली के एक होटल में अनौपचारिक मुलाकात के दौरान बताई थी”। शर्मा को वकीलों, तुलसी और शेख के परिवार व अहम काग़ज़ात तक खुद भाजपा नेताओं ने ”पहुंच” मुहैया कराई थी। शर्मा ने इस दौरान अपना तय काम करने के अलावा रिवर्स स्टिंग भी कर डाला यानी अमित शाह, जावड़ेकर और भूपेंद्र यादव के खिलाफ सबूत भी जुटा लिए और उन्हें भविष्य के लिए सुरक्षित रख लिया। बाद में पैसे आदि को लेकर हुए मतभेद के चलते शर्मा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रिवर्स स्टिंग को सार्वजनिक कर डाला और भाजपा नेताओं के निशाने पर आ गए।

शर्मा ने अपने बयान में ठीक कहा है कि वे किसी राजनीतिक धड़े से ताल्लुक नहीं रखते, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया है कि अतीत में उन्होंने किसके लिए काम किया है। दिल्ली में अनिरुद्ध बहल के लिए काम करने वाले अधिकतर ईमानदार अंडरकवर पत्रकारों की निगाह में शर्मा की विश्वसनीयता बहुत पहले ख़त्म हो चुकी थी। आयुष मंत्रालय वाली खबर सही है या नहीं, यह अलग सवाल है लेकिन शर्मा के ऊपर कसता सियासी शिकंजा अंडरकवर पत्रकारिता की गुमनाम दुनिया का एक धुंधला सच ज़रूर सामने लाता है। ताज़ा प्रकरण नेताओं और पत्रकारों की मिलीभगत का एक स्वाभाविक नतीजा है।