पुलिस स्टेट या पुलिस राज के बारे में अब तक सुनते ही आये थे एमरजेंसी को झेला नहीं इसलिए उसकी कोई याद भी नहीं, लेकिन अब जो उत्तर प्रदेश में हो रहा है उस से अंदाज़ा कर सकते हैं कि पुलिस राज क्या होता है. इससे यह भी अंदाज़ा लगा सकते की कश्मीर में क्या हो रहा होगा। 19 दिसंबर को जो हुआ वह दुखद है, लेकिन उसके बाद सरकार ने पुलिस द्वारा जो तांडव किया, जिस प्रकार प्रदर्शनकारियों पर बर्बरतापूर्वक लाठी चार्ज ही नहीं किया गया बल्कि सीधी गोली मारी गयी जिसमे अब तक 20 नवजवान हलाक हो चुके हैं। प्रदेश पुलिस के मुखिया कहते हैं कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई अर्थात प्रदर्शनकारियों ने खुद अपने ऊपर गोली चला ली? बहरहाल बिजनौर में एक नवजवान की पुलिस गोली से मौत की FIR 6 पुलिस वालों पर लिखी जा चुकी है। अन्य मामलों की भी जांच हो तो सच्चाई सामने आ जायेगी।
नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रोटेस्ट की यह अपील सिविल सोसाइटी की ओर से की गयी थी किसी मुस्लिम तंज़ीम द्वारा नहीं। प्रदर्शन में मुसलमानों के अलावा भारी संख्या में इंसाफ पसंद संविधान की रक्षा की चाह रखने वाले हिन्दू भी बड़ी संख्या में शरीक हुए थे, लेकिन सरकार और मीडिया केवल मुसलमानों को ही सामने रख कर बात कर रहे हैं।
Authorities in India’s most populous state of Uttar Pradesh have declared a war on Muslims after UP Chief Minister Yogi Adityanath vowed to “take revenge” on people protesting against the controversial Citizenship Amendment Law.https://t.co/chC6IA7SGg
— The Express Tribune (@etribune) December 26, 2019
प्रदर्शन रोकने के लिए योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में धारा 144 लगा दी थी इससे पहले भी प्रदर्शन रोकने के लिए यह दफा लागू की जाती रही है उसका उल्लंघन भी होता था, कहीं-कहीं हिंसा भी हो जाती थी, क्योंकि प्रोटेस्ट करना जनता का संवैधानिक अधिकार है। लोग गिरफ्तार किये जाते, उन्हें गाड़ियों में भर कर अक्सर पुलिस लाइन ले जाया जाता था या कुछ और दूर ले जाकर शाम को छोड़ दिया जाता था। लोकतंत्र में यह होता ही है और होते रहना चाहिए।
लेकिन इस बार योगी सरकार दफा 144 की पाबंदी मार्शल ला की तरह करा रही है। प्रदर्शनकारियो को उपद्रवी और दंगाई कह कर उन से दुश्मन की तरह बर्ताव किया जा रहा है, जो गिरफ्तार किये गए हैं उन्हें जेल भेजने से पहले थानों में ले जा कर बुरी तरह पीटा गया। यहां तक की मुज़फ्फर नगर में 82 साल के एक बुज़ुर्ग अध्यापक और धर्म गुरु मौलाना सय्यद रज़ा हुसैनी को भी बुरी तरह मार पीट कर उनके हाथ पेर तोड़ दिए गए।
सदफ जाफर नाम की महिला एक्टिविस्ट और उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता को प्रदर्शन के दौरान इस कारण पकड़ लिया गया क्योंकि वह वहां तैनात पुलिस वाले से एक पत्थर फ़ेंक रहे दंगाई को गोएर्फ़तर करने को कह रही थी और उसका वीडियो बना रही थी उसे थाने पर ले जा कर मर्द पुलिस कर्मियों द्वारा बुरी तरह मारा पीटा गया रात भर थाने में रखा गया और सुबह जब एक अन्य सोशल एक्टिविस्ट दीपक कबीर उनका पता लगाने पहुंचे तो उन्हें भी बुरी तरह मार पीट कर जेल भेज दिया गया पुलिस के पूर्व आईजी रह चुके सोशल एक्टिविस्ट एस आर दारापुरी और सीनियर अधिवक्ता शोएब साहब को भी पहले कयी दिनों तक नज़र जेल भेज दिया गया। इन सब अपर दफा 307 समेत दर्जन भर से अधिक संगीन धाराओं में मुक़दमा लिखा गया है। ज़मानत के लिए इन्हें जब ऐडा कचेहरी लाया गया तो संघ से संबंधित वकीलों ने उन पर हमला करने की कोशिश की और उन्हें देशद्रोही आदि कह कर नारे बाज़ी करने लगे उनके बचाव में कुछ मुस्लिम और अन्य सही सोच के वाक्जीलों उनके गिर्द मानव शृंखला बना ली तब वह सी जे एम पेश हुए जहाँ उनकी ज़मानत ख़ारिज कर दी गयी।
SR Darapuri's family shocked he was arrested by the very police he served.
“No question of my father being involved in anything violent. As a police officer and staunch Ambedkarite, he strictly believes in both the letter of the law and the Constitution.”https://t.co/9h6WF2sfOd
— Supriya Sharma (@sharmasupriya) December 30, 2019
यही नहीं, गिरफ्तारियों का एक लम्बा सिलसिला शरू कर दिया गया है। यह कब रुकेगा कुछ नहीं कहगा जा सकता। पुलिस देर रात लोगों के घर में सीढ़ी लगा कर घुसती है मर्दों को गिरफ्तार करती है, औरतों से बदतमीज़ी गली गलौज करती है फिर मर्दों को बुरी तरह मार पीट कर जेल भेजा जाता है। वीडियो में आये फोटो के आधार पर गिरफ्तारियां की जाती है भगोड़े मुल्ज़िमों की तरह इनके फोटो कई जगह लगाए गए हैं और जनता से ख़ुफ़िया तौर से पुलिस को सूचित करने को कहा गया है ऐसे में लोग एक दुसरे से दुश्मनी भी निकाल रहे है और पुलिस के मुखबिरों की चांदी हो गयी है उनकी वसूली का रेट दोगुना हो गया है।
बहुत से परिवार अपने घर छोड़ कर गाँव या दुसरे मोहल्लों में अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं। इसके साथ ही सम्पतियों के नुकसान की वसूली का भी आदेश दिया गया है और बिना अदालती प्रक्रिया के नोटिस जारी कर के प्रॉपर्टी सील की जा रही हैं। उत्तर प्रदेश ही नहीं देश भर में प्रोटेस्ट और प्रदर्शन के दौरान सरकारी और निजी सम्पतियाँ को नुकसान हुआ है। जाट आंदोलन गुज्जर आंदोलन करनी सेना के आंदोलन मराठा आंदोलन और स्वयं अयोध्या आंदोलन के दौरान सरकारी सम्पतियों का कितना नुकसान हुवा अब तक किस्से वसूली की गयी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पर ही दंगा भड़काने हत्या हत्या के प्रयास आगज़नी आदि के कई मुक़दमें हैं उन से कोई वसूली हुई क्या ? उलटे उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने पर दर्ज मुक़दमे वापस ले लिए, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन पर मुक़दमा चलने की अनुमति नहीं दी थी। प्रशासन ने एक बार उन पर सख्ती की थी तो लोक सभा में फूट फूट कर रोने लगे थे। वही अब प्रदर्शनकारियों से बदला लेने की बात कह रहे हैं आज तक किसी मुख्यमंत्री ने ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं किया।
लेख में लेखक की निजी राय है.