उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि के विवाद पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में निर्मोही अखाड़े ने समूची विवादित ज़मीन पर नियंत्रण और प्रबंधन का दावा ठोंक दिया। इस मामले में निर्मोही अखाड़ा एक पक्षकार है।
मंगलवार से अयोध्या विवाद पर दैनिक सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई है। अदालत में पहली सुनवाई पर हिंदू संतों के इस अखाड़े ने दावा किया कि राम की जन्मभूमि शुरू से ही अखाड़े की रही है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष कहा कि अखाड़ा अपने महंत के माध्यम से इस परिसंपत्ति का प्रबंधन करता रहा है और वहां श्रद्धालुओं से मिलने वाले पैसे का भी हिसाब रखता है।
अखाड़े ने कोर्ट से कहा कि ”मंदिर परिसर में कोई भी मुसलमान कभी भी नहीं घुसाहै। 1934 से ही स्थिति यह रही है कि एक भी मुसलमान ने इसमें प्रवेश की कोश्शिश नहीं की” और इसलिए ज़मीन पर अखाड़े का दावा कानूनी है और उसका सम्मान किया जाना चाहिए।
अखाड़े के पैरोकार वकील ने अदालत को बताया कि सैकड़ों साल से बाहर का आंगन और राम जन्मस्थान अखाड़े के पास रहा है। बाहरी आंगन में सीता रसोई, चबूतरा, भंडार गृह उन्हीं के पास था और विवादित केस का हिस्सा कभी नहीं रहा।
खंडपीठ 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दिए फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है। इस फैसले में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों- सुन्नी वक्फ़ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लल्ला के बीच बराबर बांटने का आदेश दिया गया था। अखाड़े ने इसी 2.77 एकड़ ज़मीन पर दावा ठोंक दिया है।