वाराणसी में पिछले दिनों सीवर लाइन में जहरीली गैस के कारण हुई दो सफाई कर्मचारियों की दर्दनाक मौत पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) के निदेशक डॉ. लेनिन रघुवंशी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर दो महीने बाद भी प्रति शपथपत्र ने दाखिल न करने को कोर्ट ने गम्भीरता से लिया है और आगामी 17 मई को वाराणसी के नगर आयुक्त और जल निगम में जनरल मैनेजर को कोर्ट में समस्त रिकॉर्ड के साथ प्रस्तुत होने को कहा है।
जनहित याचिका संख्या 521 / 2019, पीवीसीएचआर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में यह आदेश शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अदालत संचख्या 21 में जस्टिस पीकेएस बघेल और जस्टिस आरआर अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया। याची की ओर से अधिवक्ता चार्ली प्रकाश, अधिवक्ता केके राय, सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री मनीष गोयल, एलएंडटी के सुप्रीम कोर्ट से आये वरिष्ठ अधिवक्ता ने अपनी दलीलें रखीं।
बीते 2 मार्च को वाराणसी के पांडेपुर में सीवर लाइन में काम कर रहे दो सफाई कर्मचारियों की मौत जहरीली गैस से दम घुटने से हुई थी। सीवर लाइन का ठेका एलएंडटी कम्पनी के पास ळै पर उसने एक स्थानीय ठेकेदार से यह काम कराया जिसे इस काम का कोई अनुभव नही था।
इसके अलावा मैन्युअल स्केवेंजिंग एक्ट 2013 के प्रावधानों के अनुरूप किसी भी प्रकार के सुरक्षा उपकरण, ऑक्सीजन मास्क, दस्ताना, टॉर्च, हेलमेट, आदि नहीं दिए गए थे और मौत के बाद सभी ठेकेदार व अभियंता आदि वहां से भाग खड़े हुए।
इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी। गौरतलब है कि वाराणसी लोकसभा सीट पर मतदान 19 मई को होना है।