बनारस की वाआइपी लोकसभा सीट पर नामांकन के आखिरी वक्त में बीएसएफ से बरखास्त जवान तेज बहादुर यादव को सपा की ओर से गठबंधन का प्रत्याशी बनाए जाने के चलते मीडिया की सारी बहस मोदी बनाम तेज बहादुर पर केंद्रित हो गई और जाने-अनजाने में स्थानीय प्रत्याशी अजय राय पर कोई बात नहीं हुई, जो कांग्रेस से नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं।
अजय राय पिछले पांच साल से बनारस में मंदिरों को तोड़े जाने, तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल बनाए जाने, गंगा की सफाई से लेकर विकास के मसलों पर स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम करते रहे हैं। अक्टूबर 2015 में गंगा में मूर्ति विसर्जन के मसले पर जब शहर में साधु-संतों ने विरोध किया था और समाजवादी पार्टी की राज्य सरकार ने उन पर लाठियां चलवायी थीं जिसमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को भी चोट आयी थी, तो इस घटना का अजय राय ने विरोध किया था। नतीजा यह हुआ कि केंद्र सरकार की सहमति से राय के ऊपर रासुका लगाकर उन्हें सात महीने के लिए जेल भेज दिया गया।
जेल से लौटकर भी राय ने अपना काम जारी रखा और इस चुनाव में बिना किसी हो-हल्ले के चुपचाप अपना काम कर रहे हैं। मीडियाविजिल के शिव दास ने नामांकन के अगले दिन शाम को राय के आवास पर उनसे विभन्न मुद्दों पर बात की। तब तक गठबंधन प्रत्याशी तेज बहादुर का नामांकन खारिज नहीं हुआ था।
उस वक्त भी अजय राय ने यही कहा था कि बनारस की लड़ाई त्रिकोणीय नहीं, वन टु वन है। पूरा इंटरव्यू नीचे प्रस्तुत है: