अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में काफ़ी समय से अलग-अलग ढंग से विरोध प्रदर्शन करने के बाद तमिलनाडु के 111 किसानों द्वारा इस लोकसभा चुनाव में वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद ख़बर है कि तमिलनाडु और तेलंगाना के 100 से अधिक किसान बनारस से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं।
अब तेलंगाना के निज़ामाबाद जिले के 50 हल्दी किसान भी इस चुनाव में नामांकन भरने बनारस पहुंच गये हैं। इन किसानों का कहना है कि वे किसी के विरोध में नहीं, केवल अपनी समस्याओं को सबके ध्यान में लाने और अपनी मांगों- जिनमें हल्दी बोर्ड का निर्माण और हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के मुद्दे शामिल हैं- को लेकर यहां आये हैं।
A group of 50 turmeric farmers from Telangana's Nizamabad arrived in Varanasi y'day to file their nomination for #LokSabhaElections2019 . Say, "Not opposing anyone. We just want to highlight our problem & demand creation of a turmeric board & Minimum Support Price for turmeric." pic.twitter.com/gYcXfuvxST
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 27, 2019
हल्दी किसानों की मांग है कि एक राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का गठन किया जाए और हल्दी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 15000 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया जाये। इसी मुद्दे को लेकर तमिलनाडु के इरोड से भी 50 हल्दी किसानों के बनारस पहुंच कर नामांकन भरने की खबर है। ये सभी किसान 29 अप्रैल को नामांकन दाखिल करेंगे।
इन किसानों के अलावा नरेंद्र मोदी की मज़बूत उम्मीदवारी को संत समाज की ओर से भी चुनौती मिल रही है। रामराज्य परिषद की ओर से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पांच संतों को मैदान में उतार रहे हैं। बीएसएफ से बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव भी मोदी को चुनौती देने के लिए मैदान में उतर रहे हैं जिन्होंने दो साल पहले फ़ौजियों को मिलने वाले खाने की शिकायत एक वीडियो में की थी, जिसके बाद उन्हें बरखास्त कर दिया गया था।
इस तरह देखा जाए तो कांग्रेस के अजय राय और सपा-बसपा गठबंधन की शालिनी यादव के अलावा नरेंद्र मोदी को बनारस में फौजी से लेकर संत और किसान सब एक साथ अपने-अपने तरीके से चुनौती दे रहे हैं।