प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट पर विकास के नाम पर पहले प्राचीन मकानों और मंदिरों को तोड़ा गया। अब एक घाट और उस पर बने महल को बेचे जाने की साजिशें सामने आई हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर को होल्कर राज्य की जिस यशस्वी महारानी अहिल्याबाई ने बनवाया, उन्हीं के नाम का घाट और होल्कर वाड़ा खतरे में पड़ गया है।
गंगा के घाट के किनारे सैकड़ों प्राचीन भवनों व मंदिरों को तोड़ कर बनारस में बनाए गए काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि बनारस में होल्कर राज्य की महारानी अहिल्याबाई के बनवाए अहिल्याबाई घाट और महल पर भू-माफिया के कब्ज़े की कोशिशों की बात सामने आई है। भू-माफिया यहां होटल बनाना चाह रहा है और प्रशासन की मदद से पीढि़यों से बसे बनारस के लोगों को यहां डराया, धमकाया जा रहा है।
शुक्रवार को अहिल्याबाई घाट पर महारानी अहिल्याबाई स्मृति संरक्षण समिति की ओर से श्रुति नागवंशी, विभा मिश्रा, अमला सिंह और पार्वती देवी ने एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने पहली बार इस बात का उद्घाटन किया कि देश भर में महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा कराए गए 12,672 निर्माणों का संरक्षण करने वाले खासगी ट्रस्ट और भू-माफिया मिलकर बनारस में मौजूद संपत्तियों की अवैध खरीद-फरोख्त में लगे हुए हैं। इसमें आपराधिक बात यह है कि खासगी ट्रस्ट एक पब्लिक ट्रस्ट है जो कानूनन अपनी संपत्तियां बेच नहीं सकता, लेकिन इस अपराध के लिए उसके ऊपर मध्यप्रदेश से लेकर हरिद्वार तक कई मुकदमे चल रहे हैं।
काशी का और घाट खतरे में
महारानी अहिल्याबाई ने न केवल बनारस के मशहूर काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था बल्कि गंगा किनारे यहां उनका बनवाया अहिल्याबाई घाट और महल भी है जिसे होल्कर वाड़ा कहते हैं। होल्कर वा़ड़ा का सरकारी पता है भवन संख्या डी-18/16, जिसमें मां गंगा की दुर्लभ और अतिप्राचीन मूर्ति रखी है। यह भवन प्राचीन धरोहर, पुरातात्विक स्थल व अवशेष अधिनियम 24, सन् 1958 के अंतर्गत संरक्षित है। होल्कर राज्य के भारत में विलय के काफी पहले से यहां वैधानिक अध्यासी, सेवक, भक्त, अनुयायी किरायेदार रहते आए हैं और ट्रस्ट को किराया चुकाते आए हैं।
पिछले कुछ दिनों से हो ये रहा है कि होल्कर वाड़ा और अहिल्याबाई घाट पर पुश्तों से रहते आए लोगों को प्रशासनिक अधिकारियों और ट्रस्टियों के साथ मिलकर भू-माफिया बाहर खदेड़ने में लगा हुआ है। तकरीबन हर रोज़ यहां रहने वाले लोगों के यहां पुलिस और अधिकारी आ धमकते हैं, डराते धमकाते हैं और औरतों से बदतमीजी करते हैं। मीडियाविजिल पिछले कुछ समय से इस खबर पर काम कर रहा था।
शुक्रवार को संरक्षण समिति की ओर से अचानक हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भू-माफिया से जुडे कुछ लोगों के नाम भी उजागर किए गए। विशाल उर्फ मोनू खन्ना, रमेश उपाध्याय, नीरज झा, रघु कालरा नाम के रियल एस्टेट व्यवसायी किसी तरह होल्कर वाड़ा में बरसों से चली आ रही व्यवस्था को खत्म कर के इसे होटल का रूप देना चाह रहे हैं। महिलाओं का कहना है कि खन्ना उन्हें और बच्चों को धमकाता है और अभद्र व्यवहार करता है। हर दिन उन्हें गाली-गलौज कर के वहां से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है। बिलकुल यही तरीका काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के लिए जलासेन घाट स्थित मलिन बस्ती के लोगों को बेदखल करने के लिए अपनाया जा रहा था, जिनके मकान अब काफी हद तक तोड़ दिए गए हैं और मुआवजा अब तक नहीं मिला है।
क्या है खासगी ट्रस्ट?
महारानी अहिल्याबाई की देश भर में स्थित संपत्तियों का संरक्षक खासगी ट्रस्ट खुद इस अवैध खेल में शामिल है। इस ट्रस्ट का विस्तार 27.06.1962 को एक अदालती आदेश से किया गया था और मध्यप्रदेश के राज्यपाल को इसका संरक्षक बनाया गया था। इस हिसाब से फिलहाल ट्रस्ट की संरक्षक राज्य की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल हैं। अदालत ने इस ट्रस्ट का अध्यक्ष और सेटलर होल्कर वंश की महारानी उषा राजे को बनाया था और निम्न को सदस्य बनाया था:
- सुमित्रा महाजन, तत्कालीन सांसद
- एके चिताले, वरिष्ठ अधिवक्ता
- यशवंत राव, पुत्र रिचर्ड उर्फ शिवाजीराव होल्कर
- रंजीत मल्होत्रा, पुत्र सतीश मल्होत्रा
इनके अलावा राज्य सरकार के प्रतिनिधि के बतौर इंदौर के कलक्टर को ट्रस्ट में रखा गया था। ध्यान देने वाली बात है कि सतीश मल्होत्रा ट्रस्ट की अध्यक्ष उषा राजे के पति हैं। इसके अलावा भारत सरकार का एक प्रतिनिधि और इंदौर के राजस्व आयुक्त सहित रिटायर्ड जस्टिस पीडी मुले पहले से ही ट्रस्ट के सदस्य थे। अदालती आदेश के आठवें बिंदु में कहा गया है कि इस ट्रस्ट के तहत आने वाली धार्मिक संपत्तियों को कभी भी बेचा नहीं जाएगा। अगले बिंदु में कहा गया है कि यदि बहुत जरूरत हो और धार्मिक कार्य के लिए उक्त संपत्ति का उपयोग न हो रहा हो तो ट्रस्टियों की रजामंदी से ही उसको बेचा जा सकेगा।
हरिद्वार में सतीश मल्होत्रा पर मुकदमा
इसके बावजूद ट्रस्ट ने अदालती आदेश का पालन नहीं किया और पिछले दिनों हरिद्वार में अहिल्याबाई के बनवाए कुशावर्त घाट का भू-माफिया के साथ सौदा कर लिया। यह मामला काफी लंबे समय से चल रहा था। खासगी ट्र्स्ट की ट्रस्टी और इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन ने 18.04.2012 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को कुशावर्त घाट की बिक्री के सबंध में एक चिट्ठी लिखी थी और इसका दोषी उषा राजे के पति सतीश मल्होत्रा को ठहराया था। इसके बाद कई पत्राचार हुए। यह मामला सात साल में यहां तक पहुंचा कि इसी माह कुशावर्त घाट को बेचने के मामले में सतीश मल्होत्रा के खिलाफ हरिद्वार कोतवाली थाने में एक केस दर्ज हो गया है। यह केस हरिद्वार जिला अदालत के आदेश पर पुलिस ने 9 अप्रैल की शाम दर्ज किया।
कुशावर्त घाट की बिक्री के लिए तीसरे पक्ष यानी राघवेंद्र सिंह और उनके भाई व घाट के खरीददार अनिरुद्ध सिखौला सहित पत्नी निकिता सिखौला के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। एफआइआर में आइपीसी की धारा 120बी, 420, 467 व 471 सहित कई धाराएं लगाई गई हैं। अदालत में यह मामला लेकर अखिल भारतीय होल्कर महासंघ के उत्तराखंड अध्यक्ष विजय पाल गए थे। याचिका पर सुनवाई के बाद हरिद्वार की जिला अदालत ने 1 अप्रैल को पुलिस को एफआइआर दर्ज करने का आदेश जारी किया।
बताया जाता है कि मल्होत्रा ने ट्रस्ट के एक प्रस्ताव का फायदा उठाकर 2007 में महारानी अहिल्याबाई की बनवाई संपत्तियों की अवैध बिक्री शुरू की थी। कुशावर्त घाट की बिक्री की पावर ऑफ अटॉर्नी राघवेंद्र सिंह को 2009 में सौंपी गई थी। राघवेंद्र ने अपने ही भाई और भाभी के नाम पूरा घाट मात्र 50 लाख रुपये में बेच दिया। ऐसा ही एक केस इंदौर की हाइकोर्ट में भी मल्होत्रा के खिलाफ चल रहा है जिसमें ट्रस्टी व इंदौर के तत्कालीन कलक्टर आकाश त्रिपाठी ने संपत्ति बिकने के खिलाफ आपत्ति लगाई थी।
अब क्यों चुप हैं सुमित्रा महाजन
इंदौर और हरिद्वार से होते हुए अब खासगी ट्रस्ट के सतीश मल्होत्रा के कुकृत्य बनारस तक पहुंच चुके हैं। स्थानीय भू-माफिरूा के साथ मिलकर अहिल्याबाई घाट और उनके महल को बेचने की साजिश जारी है। अफ़सोस की बात ये है कि इस मसले पर अब तक ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्यों जैसे सुमित्रा महाजन और रायपाल आनंदीबेन पटेल का अब तक कोई हस्तक्षेप नहीं देखा जा सका है। उधर बनारस के प्रशासन की मिलीभगत से घाट पर पीढि़यों से रहते आ रहे लोगों का जीना दूभर हो गया है।
महारानी अहिल्याइस कहानी में सभी तस्वीरें, काग़ज़ात और वीडियो बनरस में टीम मीडियाविजिल के सौजन्य से हैं। मीडियाविजिल पर खासगी ट्रस्ट की बनारस स्थित संपत्तियों को बेचने की साजिश पर यह पहला अध्याय है। इस कहानी और खासगी ट्रस्ट के दूसरे पहलुओं पर आगे पाठकों के लिए और सामग्री प्रकाशित की जाएगी।