4जी के दौर में हुआ ‘2जी घोटाला!’ सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार और बीएसएनएल को नोटिस भेजा



 

क्या किसी दुकान में तराज़ू उपलब्ध हो तो वहाँ किसी सामान को हाथ से तौला जाएगा। या कि साइकिल उपलब्ध होने पर लंबी दूरी पैदल जाएगा (सेहद वाला मामला अलग है, जल्दी पहुूँचने के लिए) ? सवाल पर मत हँसिए, अगर इरादा इरादा दुकान लुटाना हो तो दुकानदार ऐसा ही करेगा।

सरकारी दूसरंचार कंपनी यानी भारत दूरसंचार निगम लिमिटेड (बीएसएनल) वही दुकान है जिसे न सिर्फ़ कंपनी के लोग, बल्कि सरकार भी लुटा देना चाहती है। वरना 4जी के दौर में 2जी का धंधा क्यों किया जाता। अरुणाचल प्रदेश में ऐसा ही किया गया है। सुप्रीमकोर्ट ने मोदी सरकार और बीएसएनएल को नोटिस जारी की है। यह 4जी के दौर में नए किस्म का 2 जी घोटाला है!

बहुत लोगों के ज़ेहन में वह याद अभी भी धुँधली नहीं पड़ी होगी जब देश के दूर-दराज़ इलाकों में सरकारी बीएसएनल से बेहतर कोई दूसरा नहीं था। निजी कंपनियों के मोबाइल जहाँ अपना सर्किल छोड़ते ही हाँफने लगते थे, वहीं बीएसएनल का नेटवर्क समंदर किनारे से लेकर पहड़ी इलाकों तक में उपलब्ध रहता था। इस कंपनी के पास न तकनीक की कमी थी न संसाधनों की लेकिन देखते ही देखते यह जर्जर नज़र आने लगी। निजी कंपनियाँ दिन दूनी, रात चौगुनी के हिसाब से बढ़ने लगीं और 4 जी और जियो के दौर में तो इसकी ओर कोई देखना भी नहीं चाहता। आख़िर ऐसा क्यों हुआ, नेटवर्क और सेवा से जुड़ी अन्य सुविधाएँ क्यों ख़राब हुईं? इन सवालों का जवाब यही है कि ऐसा जानबूझकर किया गया ताकि निजी कंपनियों को फ़ायदा पहुँचे। इस कंपनी से निकलकर न जाने कितने विशेषज्ञ निजी कंपनियों के शीर्ष पदों पर हैं। ऐसा लगता है कि इसे कम्पटीशन से बाहर करने का कोई सुचंतित अभियान चल रहा है, सरकारी संरक्षण में।

हिंदी अख़बारों में इसकी चर्चा कम है, लेकिन पूर्वोत्तर से निकलने वाले अख़बारों में यह बड़ा मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने अरुणाचल प्रदेश और असम के दो जिलों को 2जी नेटवर्क मुहैया कराने का फैसला लिया है। ऐसा दो निजी कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए किय गया है। कीमत ऊँची दी गई है जबकि उससे कम कीमत पर 4जी नेटवर्क उपलब्ध है।

दरअसल, सरकार ने  अरुणाचल और असम के दो जिलों (कार्बी आंगलांग और दिमा हसाओ) को 2G नेटवर्क से जोड़ने का फैसला किया था। इस संबंध में दूरसंचार विभाग और BSNL के बीच 16 जनवरी, 2018 को समझौता हुआ था। टेलीकॉम वॉचडॉग नामक गैर सरकारी संस्‍था ने सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए कहा है कि बीएसएनएल ने 2G नेटवर्क के लिए जरूरी उपकरण खरीदने को लेकर दिल्‍ली की दो कंपनियों (विहान नेटवर्क्‍स लिमिटेड ओर हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्‍यूनिकेशंस लिमिटेड) के साथ करार किया था।  पुरानी पड़ चुकी 2G टेक्‍नोलॉजी हासिल करने के लिए दो निजी कंपनियों को संदिग्ध रूप से 2,258 करोड़ रुपये देना था। टेलीकॉम वॉचडॉग ने दूरसंचार आयोग के उस फैसले (दिसंबर, 2017) का भी हवाला दिया, जिसमें भविष्‍य की परियोजनाओं के लिए 2G-कम-4G स्‍पेक्‍ट्रम न खरीदने की बात कही गई थी। हालांकि, दिल्‍ली हाई कोर्ट ने सरकार के निर्णय को नीतिगत फैसला बताते हुए अगस्‍त में याचिका खारिज कर दी थी।