सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज़ ने 13 राज्यों में भ्रष्टाचार पर एक विशद अध्ययन किया है। इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पिछले चार साल की मोदी सरकार के दौरान इन राज्यों में न केवल भ्रष्टाचार बढ़ा है बल्कि लोग यह मान रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर नहीं हैं।
याद करें प्रधानमंत्री मोदी का 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले दिया मशहूर बयान: ”न खाऊंगा न खाने दूंगा”। देश की जनता ने इस वाक्य पर भरोसा कर के भारतीय जनता पार्टी को बहुमत दिया और मोदी प्रधानमंत्री बन गए। अब चार साल के मोदीराज पर हुए इस सर्वे ने ठीक उलटी ही तस्वीर सामने रख दी है।
आप चाहें तो सीएमएस की यह रिपोर्ट नीचे पढ़ सकते हैं और डाउनलोड भी कर सकते हैं।
CMS_ICS_2018_Reportसीएमएस ने कुल 13 राज्यों में अपना अध्ययन किया है जिनमें छह में बीजेपी की सरकार है। इसके अलावा 11 नागरिक सेवाओं पर भी सर्वे किया गया है। इन इलाकों में 75 फीसदी परिवारों का मानना है कि या तो बीते चार साल में नागरिक सेवाओं में भ्रष्टाचार बढ़ा है या फिर पहले के ही स्तर पर है।
अध्ययन में बताया गया है कि केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार कम करने की प्रतिबद्धता पर लोगों को 2017 में 41 फीसदी भरोसा था। अब यह घट कर 31 फीसदी पर आ गया है। इन राज्यों में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है जहां 52 फीसदी लोग मोदी सरकार के भ्रष्टाचार निरोध वादों पर शक करने लगे हैं।