चश्मदीद पत्रकार की कहानी, इमरजेंसी की कहानी- 3 सुशील कुमार सिंह फिर हमने इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी देखी। इससे पहले किसी ने इस घटना की कल्पना भी नहीं की होगी, हालांकि…
चश्मदीद पत्रकार की ज़बानी, इमरजेंसी की कहानी-2 सुशील कुमार सिंह सब तरफ अब इमरजेंसी की कहानियां थीं। आजादी के बाद देश इन्हें पहली बार सुन रहा था। कितने लोग पकड़े…
चश्मदीद पत्रकार की ज़ुबानी, इमरजेंसी की कहानी.. सुशील कुमार सिंह दिल्ली की शक्ल बदलने में सबसे ज्यादा तीन चीजों का हाथ रहा है। एशियाड 1982, मेट्रो का आगमन और 2010 के…
जितेन्द्र कुमार बात सन् 1971 के जून की है। कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री बने कुछ ही महीने हुए थे। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष ठाकुर जी की ही पार्टी के धनिक लाल…
अनुराग द्वारी आज मैंने सूर्य से बस ज़रा सा यूँ कहा ‘‘आपके साम्राज्य में इतना अँधेरा क्यूँ रहा ?’’ तमतमा कर वह दहाड़ा—‘‘मैं अकेला क्या करूँ ? तुम निकम्मों के लिए मैं ही…
फ़राह ख़ान न्यूज़ 18 इंडिया में ऐंकर हैं, लेकिन पत्रकारिता की मौजूदा गिरावट पर मुखर रहती हैं। हाल में अलीगढ़ मुस्लिम विश्विविद्यालय के आंदोलन को लेकर जिस तरह की रिपोर्टिंग हुई उससे फ़राह…
[आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है और यह हिंदी पत्रकारिता का गहनतम संकटकाल भी है। सवाल उठता है कि इस दिन को कैसे मनाएं? महान पत्रकारों को याद कर के? अतीत का गौरवगान कर…
गुरुवार 6 अक्टूबर को एनडीटीवी पर बरखा दत्त द्वारा पी. चिदंबरम का लिया साक्षात्कार न चलाए जाने और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी एक आंतरिक ईमेल की ख़बर जब सिद्धार्थ वरदराजन ने दि वायर पर…