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देश के 6 वाम महिला संगठनों के आह्वान पर महिलाओं के जीवन, जीविका और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा, सभी जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार, सभी के स्वास्थ्य सुविधा हेतु हर पंचायत में सरकारी अस्पताल बनाने, स्वंय सहायता समूह का लोन माफ करने और सभी तरह के छोटे लोन की वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाने की मांग पर आज पूरे देश में प्रतिवाद दर्ज किया गया. AIPWA, AIDWA, NFIW, AIMSS और AIPMS ने संयुक्त रूप से राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था।
दिल्ली में महिला संगठनों की नेताओं ने जीवन, जीविका और जनवाद के मुद्दे पर योजना और श्रम शक्ति भवन के पास एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शऩ किया। इस मौके पर महिला संगठनों ने सभी श्रमिकों के बैंक खाते में प्रति माह 7500 रुपये डालने, समूह का कर्जा माफ करने, स्कीम वर्कर्स को 10 हजार रु लॉकडॉन भत्ता देने, सभी पंचायतों में स्वास्थ्य सुविधाएं बहाल करने की मांग की। महिला संगठनों ने कहा कि देश में लोकतंत्र के साथ छेड़छाड़ की जा रही है जिसको महिलाएं नहीं सहेंगी। महिला संगठनों ने कहा कि मोदी सरकार प्रतिरोध की आवाजों को दबाने का काम कर रही है, उसने कई महिला कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाला दिया है। महिला संगठनों ने सभी सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की।
बिहार की राजधानी पटना में जहां सभी महिला संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रतिवाद किया, वहीं ग्रामीण इलाकों में ऐपवा की पहलकदमी पर सैंकड़ों गांवों में महिलाओं ने विरोध कार्यक्रम में हिस्सा लिया. विदित हो कि छोटे लोन की माफी को लेकर बिहार में महिलाओं की उठी आवाज एक मजबूत आंदोलन का स्वरूप ग्रहण कर चुकी है और जगह-जगह सैंकड़ों-हजारों की तादाद में महिलायें सड़क पर उतर रही हैं.
पटना के कार्यक्रम में महिलाएं अपनी मांगों के समर्थन में पोस्टर व बैनर के साथ शामिल हुईं. डाक बंगला चैराहे पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महिला संगठनों की प्रतिनिधियों ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में सरकार ने जिस राहत पैकेज की घोषणा की वह आम लोगों के लिए नहीं बल्कि पूंजीपतियों के लिए था. आज प्राइवेट जॉब करनेवाली महिलाएं हों या गरीब घरेलू कामगारिनों समेत अन्य मजदूर महिलाएं सबका रोजगार छूट गया है लेकिन सरकार ने इन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया. महिला संगठनों ने यह भी मांग की कि स्वयं सहायता समूहों, माइक्रो फायनेंस कम्पनियों से कर्ज लेने वाली महिलाओं का कर्ज माफ किया जाए, उन्हें रोजगार दिया जाए और छोटे कर्जों की वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगे.
महिला संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस महामारी ने सिद्ध किया है कि संकट के समय प्राइवेट अस्पताल जनता की नहीं अपने मुनाफे की चिंता करता है. जबकि स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच हर व्यक्ति का अधिकार होना चाहिए. इसलिए बिहार के हर पंचायत में सरकारी अस्पताल बनाया जाए. महिलाओं ने बिहार में महिलाओं पर बढ़ती हिंसा और अपराध पर अंकुश लगाने में बिहार सरकार की विफलता की भी आलोचना की.इस कार्यक्रम में ऐपवा, एडवा, बिहार महिला समाज, एआईएमएसएस,घरेलू कामगार यूनियन, बिहार मुस्लिम महिला मंच, एएसडब्लूएफ समेतकई संगठन शामिल थे.
पटना के कार्यक्रम का नेतृत्व ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, एडवा की रामपरी, बिहार महिला समाज की राजश्री किरण, एआईएमएसएस की अनामिका कुमार, बिहार घरेलू कामगार यूनियन की सि. लीमा, एएसडब्ल्युएफ की आस्मां खान और बिहार मुस्लिम महिला मंच की शमीमा ने किया.
इस मौके पर ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, राज्य सह सचिव अनिता सिन्हा, अनुराधा सहित ऐपवा से जुड़ी कई महिलायें उपस्थित रहीं.
मधुबनी के कैटोला में ऐपवा की जिला सचिव पिंकी सिंह, किरण दास व शीला देवी के नेतृत्व में मार्च हुआ. वहीं, पटना जिले के धनरूआ में ऐपवा के साथ-साथ रसोइया संघ के कार्यकर्ताओं ने भी प्रतिवाद में हिस्सा लिया. इसी प्रखंड के किश्ती में स्वयं सहायता महिला संघर्ष समिति की सचिव व ऐपवा की नेता रिंकू देवी के नेतृत्व में कार्यक्रम हुआ. नई हवेली नर्मदा नरवा, मंझावली, मधुबन, चकबीर, बडिहा, मिश्रीचक, छोटकी धमौल आदि गांवों में भी प्रदर्शन हुआ.
दरभंगा के पोलो मैदान में महिलाओं ने अपने सवालों पर धरना दिया. जहानाबाद के मांदेबिगहा में मुखिया पिंकी देवी के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ. मुजफ्फरपुर के मुशहरी, आरा सिवान, गोपालगंज, नालंदा, गया, जहानाबाद, अरवल आदि जिलों के कई गांवों में महिलाओं की व्यापक भागीदारी देखी गई. बेगूसराय में रसोइया संघ से संबद्ध ऐक्टू नेत्री किरण देवी के नेतृत्व में कार्यक्रम हुआ. मीरा देवी, अहिल्या देवी, संजू देवी आदि महिलायें शामिल हुईं.
विज्ञप्ति पर आधारित