आदिवासी बहुल राज्यों में भाकपा (माओवादी) के खिलाफ सीआरपीएफ व राज्य पुलिस का संयुक्त अभियान चलते ही रहता है और इस दौरान आम आदिवासियों को माओवादी बताकर हिरासत में लेना और फिर माओवादी घटना में शामिल बताकर जेल भेजना भी आम बात है। कई बार तो पुलिस के अभियान में उनके घर जलाये गये हैं, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ से लेकर सामूहिक बलात्कार तक किया गया है, यही नहीं बल्कि फर्जी मुठभेड़ दिखाकर आदिवासियों की हत्या भी की गयी है। लेकिन जब ये जुल्म के खिलाफ तनकर खड़े हो जाते हैं, तब फिर पुलिस को पीछे हटना ही पड़ा है।
ठीक ऐसी ही घटना कल झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला के सोनुवा थानान्तर्गत घटी। सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस माओवादियों के खिलाफ अभियान चला रही थी और 30 जनवरी को सोनुवा साप्ताहिक हाट से लोंजो पंचायत के केडाबीर गांव के रहनेवाले छोटे भूमिज अपने गांव लौट रहे थे।
पुलिस ने माओवादी होने के शक के आधार पर उसे हिरासत में लेकर सोनुवा थाना लेते आई। इस बात की खबर जब केडाबीर गांव में पहुंची, तो वहाँ से सैकड़ों महिला-पुरुष 31 जनवरी को अपने परंपरागत हथियार तीर-धनुष से लैस होकर चल पड़े और सोनुवा थाना को घेरकर सोनुवा-गोईलकेरा मार्ग को जाम कर दिया। यह घेराव तब तक चलता रहा, जबतक कि हिरासत में लिए गए छोटे भूमिज को छोड़ नहीं दिया गया।