कृषि कानून: बिहार में 25 जनवरी को मशाल जुलूस, 30 को बनेगी मानव शृंखला!

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तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में पटना के गर्दनीबाग में विगत 7 जनवरी से जारी अनिश्चितकालीन धरना 30 जनवरी को महागठबंधन के आह्वान पर आयोजित मानव शृंखला को ऐतिहासिक बनाने के आह्वान के साथ आज समाप्त हो गया। पूरे बिहार में चल रहे किसान धरने भी आगे की लड़ाई जारी रखने के संकल्प के साथ सम्पन्न हो गए। कृषि कानूनों के खिलाफ 25 जनवरी को पूरे बिहार में मशाल जुलूस भी निकाले जाएंगे।

आज समापन मौके पर धरना को संबोधित करते हुए माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि यह लड़ाई अब किसानों की लड़ाई भर नहीं रह गई है, बल्कि यह यह लड़ाई अब देश की आजादी की दूसरी लड़ाई साबित हो रही है। खेती की गुलामी का मतलब है देश की गुलामी। यदि ये तीन कानून लागू हो गए तो न केवल खेती चौपट हो जाएगी, बल्कि पहले से भुखमरी की शिकार देश की बड़ी आबादी का भूगोल और विस्तृत हो जाएगा। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के देश सोमालिया का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कॉरपोरेट खेती ने पूरे देश को बर्बाद करने का काम किया। वही कहानी भाजपा सरकार देश मे दुहराना चाहती है। उन्होंने शिमला का एक उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पहले अडानी ग्रुप ने मार्केट से कम कीमत पर सेव की खरीददारी कर ली और अब 100 रुपया प्रति सेव बेचकर भारी मुनाफा कमा रहे हैं। इन कानूनों के जरिये मोदी सरकार ऐसे ही कॉरपोरेटों को फायदा और देश की बर्बादी करने पर आमादा है।

खेग्रामस के महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि जिन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग किसान कर रहे हैं उन पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थगन का आदेश आन्दोलनकारी किसानों और भारत की जनता के लिए भरोसेमंद नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा कि भाकपा-माले की एक टीम आज ही दिल्ली के सिंघु-टिकरी बॉर्डर से आंदोलन का जायजा लेकर आई है। किसानों का मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय के जरिये भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है, जिसे किसान कत्तई स्वीकार नहीं करेंगे। यह भी कहा कि 26 जनवरी का किसान परेड दिल्ली में ऐतिहासिक होने वाली है।

किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिव सागर शर्मा ने कहा कि आज किसानों के साथ-साथ देश की आम जनता समझने लगी है कि इस देश में आज अम्बानी-अडानी का राज चल रहा है। आज देश की आजादी व लोकतंत्र खतरे में है। हमें इसे बचाना है।

अन्य नेताओं ने कहा कि किसानों के आन्दोलन और उनके इस फैसले कि वे तीन कानूनों को सम्पूर्ण रूप से रद्द हो जाने तक अपने आन्दोलन को जारी रखेंगे, का हम बिहार में चल रहे किसान धरनों के माध्यम से समर्थन और स्वागत करते हैं। हम अह्वान करते हैं कि पूरे देश में सभी लोग किसानों के समर्थन में हर तरह से आगे आयें।

धरना से आह्वान किया गया- ‘खेत-खेती-किसानी बचाओ, गरीबों का राशन बचाओ, देश बचाओ-संविधान बचाओ-गणतंत्र दिवस पर किसानों की परेड को सफल बनाओ’!

किसानों के महाधरना में ऐपवा की शशि यादव, किसान महासभा के राज्य सह सचिव उमेश सिंह, कार्यालय सचिव राजेन्द्र पटेल, जिला सचिव कृपा नारायन सिंह, मुन्ना चौहान, मुखिया जयप्रकाश पासवान, ऐकटू के रणविजय कुमार, जल्ला किसान मोर्चा के मनोहर लाल आदि शामिल थे।