रोजगार की मांग और बहाली में भ्रष्टाचार के खिलाफ 23-24 मार्च को पटना में धरना देंगे छात्र-युवा!

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राजनीति Published On :


19 लाख रोजगार की मांग और बिहार की बहालियों में अनियमितता, भ्रष्टाचार, पेपर लीक के खिलाफ 23-24 मार्च को ‘बहाली-न्याय संयोजन समिति’ के बैनर तले छात्र-नौजवान पटना के गर्दनीबाग में 25 घण्टे का धरना देंगे। भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ, मनोज मंजिल, अजित कुशवाहा और कई प्रतियोगी छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों ने पटना में संवाददाता सम्मेलन कर इसका ऐलान किया।

संवाददाता सम्मेलन में पालीगंज विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि तमाम बहालियों के संकट और युवाओं की मांग को लेकर विभिन्न बहालियों के परीक्षार्थियों को एक मंच पर लाकर संयोजन समिति का गठन किया गया है। बहाली न्याय संयोजन समिति गठन करने का मुख्य उद्देश्य सभी तरह प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ियों का पर्दाफाश करना है इसके लिए पटना में प्रदेश स्तरीय कन्वेन्शन के जरिये बुकलेट लाई जाएगाी। साथ ही आगामी 23 मार्च को गर्दनीबाग में 25 घंटे का धरना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 1 मार्च 2021 को 19 लाख रोजगार की गारंटी को लेकर हमनें विधानसभा मार्च किया लेकिन सरकार हमारी बात सुनने के बजाए हम पर लाठीचार्ज किया, हम बता देना चाहते है कि इससे हम रुकने वाले नहीं हैं।

अगिआवँ विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि बिहार में विभिन्न विभागों को मिलाकर 19 लाख से ज्यादा पद रिक्त पड़े है। रोज़गार बहालियों में भारी अनियमितता, भ्रष्टाचार और पेपर लीक व्याप्त है। उन्होंने ये भी कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 83 प्रतिशत, शिक्षा में 61 प्रतिशत, PMCH में डॉक्टरों एवं नर्सो को मिलाकर 40 प्रतिशत एवं पीएचसी, सीएचसी समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में 65 प्रतिशत पद रिक्त पड़े है। शिक्षकों के रिक्त पदों के मामले को हमने विधानसभा में रखा है। शिक्षा की गुणवत्ता 30 छात्र पर 1 शिक्षक के मापदंड के आधार पर बिहार में  प्राथमिक, माध्यमिक एंव उच्च शिक्षा को मिलाकर बिहार में कुल 12 लाख शिक्षकों की जरूरत है।

डुमराँव विधायक अजित कुशवाहा ने कहा कि बेरोजगारी का सवाल बड़ा सवाल है, बगैर इसके समाधान के बिहार का विकास संभव नहीं है। चुनाव में भाजपा-जदयू गठजोड़ ने 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था लेकिन आज सत्ता में आते ही छात्रों-नौजवानों को स्वरोजगार के नाम लोन देने की बात हो रही है। लोन मुहैया करना किसी भी सूरत में स्थायी और पक्की नौकरी का समाधान नहीं हैं। बिहार सरकार नौकरी के नाम नियोजन शुरू कर दिया है लेकिन हम पक्की एवं सरकारी नौकरी की मांग को लेकर 23 मार्च को 25 घंटे का धरना देने जा रहे है। साथ ही हम बता देना चाहते हैं कि रोजगार के सवाल पर आगामी 5 वर्ष तक सदन में भाजपा-जदयू को शांति से बैठने नहीं देंगे।

आईटीआई अनुदेशक अभ्यार्थी राजेश झा ने कहा कि बिहार में 149 आईटीआई कॉलेज में सालाना 25000 छात्र नामांकन लेते है लेकिन उनको इंस्ट्रक्ट करने के लिए मात्र 400 अनुदेशक हैं। एक तरफ सरकार स्किल इंडिया की बात करती है दूसरी तरफ आईटीआई में अनुदेशक के पद को 10 वर्षी से लंबित रखी हुई है। जबकि बीएड की तरह इसके लिए भी सीआईटीएस की पढ़ाई करनी होती है लेकिन पढ़ाई पूरी करने के 10 वर्ष बाद भी नौकरी नहीं मिलती।

तकनीक छात्र संगठन की ओर से सवन कुमार ने कहा कि देश में बिहार मात्र एक ऐसा राज्य है जहाँ आप उच्च शिक्षा हासिल कर न्यूनतम योग्यता वाली परीक्षा नहीं दे सकते। बिहार में जुनियर इंजीनियर की नौकरी में डिप्लोमा वाले को वरीयता दी जाती है जबकि आईआईटी, एनआईटी समेत अन्य इंजिनीरिंग कॉलेज से पढ़ने के बाद भी इस नौकरी के लिए योग्य नहीं माना जाता है।

स्त्री अध्ययन विषय को बीपीएससी एवं बिहार स्टेट सिविल सर्विस में शामिल नहीं करने पर डॉ सुमित सौरभ ने कहा कि एक तरफ नीतीश कुमार महिला सशक्तिकरण की बात करते है लेकिन दूसरे तरफ़ सती अध्यन विषय को बिहार के मुख्य परीक्षाओं से बाहर होना सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करता है। स्त्री अध्ययन विषय को मुख्य परीक्षाओं में शामिल नहीं होने के कारण अलग अलग विश्वविद्यालयों में इस सत्र में नामांकन नहीं हुआ है।

प्रगति विद्युत कर्मी संघ के अध्यक्ष अविनाश कुमार ने कहा कि एक समय था जब लोग प्राइवेट नौकरी करते हुए सरकारी नौकरियां लेते रहे लेकिन आज मौजूदा दौर में सरकारी नौकरी को नियोजन में बदल कर प्राइवेट नौकरी भी छीनी जा रही है। बिजली विभाग के निजीकरण के बाद सरकारी कर्मियों का काम एजेंसी के द्वारा करवाया जाने लगा। 2016 में कर्मचारियों के द्वारा आंदोलन करने बाद इनको नौकरियों से निकाल दिया गया। धरनास्थल पर पुलिसकर्मियों द्वारा डराया और धमकाया जाता है। 2018 में बोर्ड के द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था की बात की गई लेकिन 15000 विधुतकर्मियों की आज तक जॉइनिंग नहीं हुई।

सांख्यिकी स्वयंसेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक सिंह का कहना है 2015 में आंदोलन कर रहे अभ्यार्थियों से नीतीश कुमार ने कहा था कि “झंडा नीचे करो,  नीचे करो नहीं तो जाएंगे दस्तखत करेंगे रोड पर आ जाओगे”। 2016 में सरकार ने हिटलरशाही फरमान के तहत पैनल निरस्त कर दिया। पुनः सरकार गठन के बाद सरकार अभ्यार्थियों को आज-कल करके दौड़ा रही है। विभागीय मंत्री से बार मिलने एवं नीतीश कुमार से मिलने के आग्रह के बावजूद भी आज तक पैनल का पुर्नगठन नहीं किया गया। साथ ही अनेकों बार मुख्यमंत्री सचिवालय में लेटर डालने के बाद भी मिलने के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

संवाददाता सम्मेलन में पुलिस मित्र, नियोजित एवं अनियोजित कार्यपालक सहायकों समेत कई प्रतियोगी छात्र संगठनों के अभ्यार्थि ने अपनी बात रखी।