संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन सरकार प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर घिर गई है। दरअसल, विपक्ष ने सरकार से पूछा था कि लॉकडाउन में कितने मजदूरों की जान गई। इस पर केंद्र ने कहा कि उसके पास इस संबंध में आंकड़ा नहीं है। सरकार से पूछा गया था कि मरने वाले मजदूरों के परिजनों को मुआवजा या आर्थिक मदद दी गयी या नहीं। सरकार का कहना है कि जब आँकड़ा ही नहीं तो मुआवजा कैसे दिया जाए। साथ ही ये भी पूछा गया था कि क्या सरकार ने प्रवासी मजदूरों में बेरोज़गारी का स्तर मापा है। इस सवाल के जवाब में भी सरकार ने आँकड़ों की कमी का हवाला दे दिया।
सरकार के इस बयान के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने शायराना अंदाज में ट्वीट कर कहा कि “मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर मरे और कितनी नौकरियाँ गयीं।”
राहुल गांधी ने आगे लिखा- “तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई? हाँ मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई, उनका मरना देखा ज़माने ने, एक मोदी सरकार है जिसे ख़बर ना हुई।
मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर मरे और कितनी नौकरियाँ गयीं।
तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई?
हाँ मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई,
उनका मरना देखा ज़माने ने,
एक मोदी सरकार है जिसे ख़बर ना हुई।— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 15, 2020
इसके पहले एक अन्य ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा था कि “कोरोना संक्रमण के आँकड़े इस हफ़्ते 50 लाख और ऐक्टिव केस 10 लाख पार हो जाएँगे। अनियोजित लॉकडाउन एक व्यक्ति के अहंकार की देन है जिससे कोरोना देशभर में फैल गया। मोदी सरकार ने कहा आत्मनिर्भर बनिए यानि अपनी जान ख़ुद ही बचा लीजिए क्योंकि PM मोर के साथ व्यस्त हैं।”
कोरोना संक्रमण के आँकड़े इस हफ़्ते 50 लाख और ऐक्टिव केस 10 लाख पार हो जाएँगे।
अनियोजित लॉकडाउन एक व्यक्ति के अहंकार की देन है जिससे कोरोना देशभर में फैल गया।
मोदी सरकार ने कहा आत्मनिर्भर बनिए यानि अपनी जान ख़ुद ही बचा लीजिए क्योंकि PM मोर के साथ व्यस्त हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 14, 2020
वहीं ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने केंद्र सरकार को संवेदनहीन बताते हुए प्रवासी मजदूरों और बेरोजगारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। अनुपम ने कहा कि श्रम एवं रोज़गार मंत्री द्वारा संसद में दिए ये उत्तर सरकार की प्राथमिकताओं का परिचायक हैं। एक तरफ जहाँ देश कराह रहा है, वहीं मोदी सरकार का कोई ध्यान या इच्छाशक्ति ही नहीं है इन गंभीर मुद्दों को सुलझाने की।
लॉकडाउन में गांव घर लौटने के क्रम में कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई और क्या उनके परिजनों को मुआवजा दिया गया?
आज जब ये सवाल संसद में पूछा गया तो सरकार ने कहा कि उनके पास मरने वालों का कोई आंकड़ा नहीं है, इसलिए मुआवजा भी नहीं दिया जा सकता।
बताइए, ये "सरकार" कहलाने लायक भी हैं?
— Anupam | अनुपम (@AnupamConnects) September 14, 2020
‘युवा हल्ला बोल’ ने पिछले कुछ दिनों से अर्थव्यवस्था के बंटाधार होने पर बेरोज़गारी की समस्या पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। देश भर के युवा तरह तरह के तरीकों से अपना आक्रोश जताया रहे हैं। इसीके तहत आगामी 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस को “जुमला दिवस” की तरह मनाने की घोषणा हुई है। बेरोज़गार युवा मोदी जी के किसी जुमले को कागज़ पर लिखकर गुरुवार सुबह 11 बजे ट्वीट करेंगे।