हाथरस माॅडल वाले योगी आदित्यनाथ किस मुँह से बिहार में वोट माँगने आये- दीपंकर


उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के रेलवे को बेचा जा रहा है। नौजवानों को रोजगार नहीं मिल रहा है। रेलवे में एक सुरक्षित नौकरी की गारंटी थी, लेकिन आज उस नौकरी को खत्म किया जा रहा है। रेलवे का अपना स्कूल, अपना अस्पताल होता है, लेकिन आज रेलवे में छंटनी हो रही है। और रेलवे के नौकरी का नहीं मतलब आरक्षण का भी खत्म हो जाना है। निजीकरण का मतलब आरक्षण को भी खत्म करना है।


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भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पर पलटवार करते हुए कहा कि हाथरस की बर्बर घटना को प्रश्रय देने वाले मुख्यमंत्री आखिर किस मुंह से बिहार में वोट मांगने आए हैं। हाथरस में एक दलित की बेटी के साथ सामूहिक बर्बर बलात्कार की घटना हुई, उसकी जुबान काट दी गई और उसकी कमर तोड़ दी गई। दम तोड़ने के पहले जिन लोगों का उस लड़की ने नाम लिया था, उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्योंकि कत्ल करने वाले लोग ही सत्ता में बैठे हैं। दलितों के हत्यारों, बलात्कारियों को संरक्षण देने वाले को बिहार में वोट मांगने का कोई अधिकार नहीं है।

भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य आज जेडीयू के पूर्व सांसद अली अनवर और झारखंड से माले  विधायक विनोद सिंह के साथ भोजपुर के अगिआंव विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन समर्थित भाकपा माले उमीदवार मनोज मंज़िल और तरारी विधानसभा से महागठबंधन समर्थित भाकपा माले के उम्मीदवार सुदामा प्रसाद के समर्थन में कई जनसभाओं को संबोधित करते हुए ये बाते कहीं।

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि उसी तरह बिहार ने बर्बर मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की घटना को देखा है। जिसने पूरी दुनिया में बिहार की छवि को नष्ट किया। सत्ता के संरक्षण में छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार किया गया। उनकी हत्या की गई और पूरे आश्रय गिरोह को दमन-उत्पीड़न का केंद्र बना दिया गया। भाजपा वाले बिहार में भी हाथरस माॅडल लागू करने की कोशिशें कर रहे हैं, लेकिन बिहार उन्हें करारा जवाब देगा।

उन्होंने आगे कहा कि आज दुनिया दो तानाशाहों से परेशान है और ये दोनों हिटलर के चेले हैं। अमेरिका परेशान है ट्रम्प से और भारत परेशान है मोदी से। इन तानाशाहों से न केवल बिहार को बल्कि पूरी दुनिया को छुटकारा चाहिए।

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माले महासचिव ने कहा कि मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत का नारा देती है, लेकिन जो वह नई शिक्षा नीति लेकर आई है वह निजीकरण का दरवाजा खोलता है, विदेशी विश्वविद्यालयों का दरवाजा खोलता है। निजीकरण का मतलब है महंगी शिक्षा, महंगी चिकित्सा। सरकारी व्यवस्था को चैपट किया जा रहा है। गरीबों के बच्चों के लिए सरकारी व्यवस्था पर शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए, सरकारी व्यवस्था पर उनका इलाज होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के रेलवे को बेचा जा रहा है। नौजवानों को रोजगार नहीं मिल रहा है। रेलवे में एक सुरक्षित नौकरी की गारंटी थी, लेकिन आज उस नौकरी को खत्म किया जा रहा है। रेलवे का अपना स्कूल, अपना अस्पताल होता है, लेकिन आज रेलवे में छंटनी हो रही है। और रेलवे के नौकरी का नहीं मतलब आरक्षण का भी खत्म हो जाना है। निजीकरण का मतलब आरक्षण को भी खत्म करना है।

किसानों के खिलाफ जो बिल आया है, उसके खिलाफ आज पूरे देश के किसान आंदोलित हैं। यह छोटे किसानों से लेकर बड़े किसानों के हाथ से जमीन व खेती छीन लेने का कानून है। मोदी सरकार ने किसानों से खेती छीनकर काॅरपोरेटों के हवाले कर दी है।

बिहार में दलित-गराीबों को वासभूमि से लगातार विस्थापित किया जा रहा है। उनपर तरह-तरह के हमले हो रहे हैं। यही कारण है कि बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू के खिलाफ सभी तबकों के आक्रोश का महाविस्फोट हो रहा है और बौखलाहट में भाजपा-जदयू के नेता अनाप-शनाप बक रहे हैं।

माले महासचिव का कार्यक्रम

14 अक्टूबर केा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य आरा विधानसभा का दौरा करेंगे, जहां वे महागठबंधन समर्थित माले प्रत्याशी कयामुद्दीन अंसारी के पक्ष में रोड शो करेंगे। 26 अक्टूबर को वे तरारी व अगिआंव विधानसभा का दौरा करेंगे।


भाकपा-माले, बिहार राज्य कार्यालय सचिव, कुमार परवेज द्वारा जारी