बिहार: माले का प्रखंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन; लॉकडाउन भत्ता, लोनमाफी की मांग

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
राजनीति Published On :


 

प्रवासी मजदूरों सहित सभी मजदूरों को 10 हजार रु. कोरोना लाॅकडाउन भत्ता देने, सभी ग्रामीण परिवारों को राशन-रोजगार देने, स्वयं सहायता समूह-जीविका समूह समेत तमाम तरह के छोटे लोन माफ करने, मनरेगा की मजदूरी 500 रु. करने व साल में न्यूनतम 200 दिन काम की गारंटी करने, दलित व गरीब विरोधी नई शिक्षा नीति 2020 वापस लेेने, सभी बाढ़ पीड़ितों को तत्काल 25 हजार रु. मुआवजा की राशि उपलब्ध करवाने, छूटे-बचे सभी गरीब परिवारों के लिए राशन कार्ड का प्रावधान करने, सभी दलित-गरीब छात्रों को कोरोना काल में पढ़ाई के लिए स्मार्ट फोन देने, मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने के सवाल पर आज भाकपा-माले व खेग्रामस के बैनर से बिहार के लगभग 300 प्रखंडों पर प्रदर्शन हुआ, जिसमें हजारों की तादाद में दलित-गरीबों की भागीदारी हुई.

खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा और पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद ने कहा है कि कोरोना लॉकडाउन में मजदूर-किसानों की उपेक्षा को लेकर पटना-दिल्ली सरकारों के खिलाफ आक्रोश चरम पर है. गांव-पंचायतों में नकदी की भारी किल्लत है. लोग भूखे-अधभूखे रह रहे हैं. ऐसी स्थिति में सरकार को सबके लिए जीवनयापन भत्ता की गारंटी करनी चाहिए थी, लेकिन बिहार की सरकार राज्य की जनता को कोरोना व बाढ़ की तबाही से जुझने के लिए छोड़कर चुनाव की तैयारी में लग गई है. यह चुनाव पूर्व दलित-गरीबों के आक्रोश का प्रदर्शन है जिसकी अभिव्यक्ति चुनाव में भी होगी. हमने नारा दिया है – लॉकडाउन भत्ता और लोनमाफी का करो ऐलान, नहीं तो गांव-पंचायतों में घुसना नहीं होगा आसान।

धीरेंद्र झा ने कहा कि जीवन यापन के लिए मजदूरों को 10 हजार लॉकडाउन भत्ता और समूह से जुड़ी महिलाओं को बिना ब्याज का 1 लाख का कर्ज अर्थव्यवस्था की गति के लिए जरूरी है. इसके बिना आज की तारीख में कुछ भी नहीं हो सकता है, इसलिए सरकार इस पर तत्काल कार्रवाई करे.

धनरूआ में प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए संगठन के राज्य सचिव गोपाल रविदास ने कहा कि गरीबों के बच्चों की पढ़ाई विगत 5 महीने से बंद है. इसलिए सरकार बच्चों की पढ़ाई के लिए सभी बच्चों के लिए स्मार्ट फोन की व्यवस्था करे. विधायक सत्यदेव राम ने सिवान में प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए कहा कि हजारों परिवार महीनों से बाढ़ की तबाही के कारण तटबंधों अथवा सड़कों के किनारे शरण लिए हुए हैं, लेकिन सराकर ने उन्हें मरने के लिए भूखे-प्यासे छोड़ दिया है. नाव और पाॅलिथिन की भी व्यवस्था सरकार नहीं कर पा रही है.

चंपारण में संगठन के राज्य अध्यक्ष बीरेंद्र गुप्ता चंपारण, रघुनाथपुर में पूर्व विधायक अमरनाथ यादव, सहार में तरारी विधायक सुदामा प्रसाद, मुजफ्फरपुर में शत्रुघ्न सहनी मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर में जीवछ पासवान समस्तीपुर, दरभंगा में लक्ष्मी पासवान-जंगी यादव आदि नेतााओं ने आज के कार्यक्रम का नेतृत्व किया.

राजधानी पटना के नौबतपुर, मनेर, फतुहा, मसौढ़ी, पालीगंज, विक्रम सहित अरवल, जहानाबाद, गया, नालंदा, नवादा, वैशाली, मधुबनी, पूर्णिया, भागलपुर, गोपालगंज, सारण, सहरसा, सुपौल, पूर्वी चंपारण आदि जिलों में भी प्रखंड मुख्यालय पर कार्यक्रम हुए जिसमें हजारों की तादाद में दलित-गरीबों की भागीदारी हुई.

 


भाकपा माले, राज्य कार्यालय सचिव, कुमार परवेज द्वारा जारी विज्ञप्ति पर आधारित