उसको एस्ट्रोफ़िज़िक्स (खगोल भौतिकी) से प्यार था। वह चांद को अनंतकाल तक निहार सकता था। उसकी दिलचस्पियां, फिल्मों से कहीं आगे और इतर थी।
ऐसा सुशांत सिंह के दोस्त उसके बारे में बताते हैं। उसके घर से मिली एक सूची भी ये बताती है, जिसमें उसने तय किया है कि ज़िंदगी में उसे क्या-क्या करना है। हफ्ते भर तक, चांद, शुक्र और मंगल की परिक्रमा का पथ (ट्रैजेक्टरी) का चार्ट बनाना..हवाई जहाज़ उड़ाना सीखना..डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट (प्रकाश का एक भौतिकी का प्रयोग) करना..पढ़ाना..और न जाने क्या-क्या..
सुशांत मुंबई सिनेमा इंडस्ट्री के सबसे चमकते हुए नौजवान सितारों में से एक था। उनकी पिछली फिल्म ‘छिछोरा’ भी हिट थी।
फिर आख़िर क्यों?
सुशांत के एक करीबी ने कहा कि वह कभी-कभी अस्पष्ट या हकला कर बोलता था। ये बात उसके बारे में थोड़ी सी अलग थी। मैंने पूछा, ‘क्या वह हीन भावना से ग्रस्त था?’
“बिल्कुल भी नहीं! वह मैकेनिकल इंजीनियर था। ऐसा शख़्स, जो भौतिकी में अव्वल रहा हो। वह बेहद पढ़ा-लिखा और उदार था। वह किसी विषय पर, आपसे बातचीत कर सकता था।”
तो फिर?
“नहीं पता, लेकिन कभी-कभी…”
“वह एक प्रशिक्षित डांसर था और अद्भुत कुशलता से नृत्य करता था लेकिन किस्मत की बात ऐसी रही है…कि वह ज़्यादातर जगह दूसरे स्थान पर ही आया…जबकि उसे वहां अपनी योग्यता और मेहनत से विजेता होना चाहिए था..”
धैर्य?
“वह तुनकमिजाज़ था। शायद थोड़ा अधीर भी..”
“या फिर नहीं भी..जितना उसने अपने लिए सोचा था, उससे अधिक हासिल कर लिया था। शायद वो अब आराम करना चाहता था।”
हम्म…
शायद..
“वो सच्चा कलाकार था। वह एक मंझे हुए और संवेदनशील अभिनेता की तरह ही, अपनी फिल्मों को लेता था..उसे फ़र्क़ नहीं पड़ता था कि कोई फ़िल्म अगर न भी चले, लेकिन बशर्ते वह ढंग से बनाई गई हो…वह प्रयोगधर्मी था..”
“और वो भयानक ग़ैर परंपरागत था – वह हमेशा जोख़िम लेने में यक़ीन रखता था। जब वह करणी सेना से चिढ़ा, तो उसने तय किया कि वो अपना ‘राजपूत’ उपनाम हटा देगा। वह अपने काई पो चे के किरदार जैसा ही था..सेक्युलर और लिबरल..”
“लेकिन हाल ही में, वो सरकारी ट्वीट्स नहीं कर रहा था क्या?”, एक दूसरे दोस्त ने पूछा
और Me too कैंपेन के दौरान, यौन शोषण के आरोपों का क्या?
“जब संजना विदेश से लौटी, तो उन्होंने ख़ुद ही उन आरोपों का खंडन करते हुए – उनको आधारहीन करार दे दिया।”
“वो इस तरह की ग़ैर ज़िम्मेदाराना रिपोर्टिंग से बेहद आहत हुआ था। कैसे, कोई उस पर ऐसा गंभीर आरोप लगा सकता है – जबकि कथित पीड़ित ने ही कभी उसके ख़िलाफ़ कभी कोई, ऐसी बात न कही हो?”
“उसने दर्शन पढ़ा था। वह भौतिकी और दर्शनशास्त्र, दोनों में ही दिलचस्पी रखता था…इस तरह की विविध रुचियां रखने वाले लोग, या तो संतुष्ट होते हैं या फिर अवसादग्रस्त”
क्या वो चिकित्सकीय तौर पर, अवसादग्रस्त घोषित था?
“ऐसा अख़बार कह रहे हैं। मेरे पास ऐसी कोई जानकारी कभी नहीं रही..”
“आपको पता है..वो थोड़ा अजीब था…और थोड़ा प्रयोगधर्मी भी..उसने जीवन के साथ भी प्रयोग कर डाला…हां, शायद यही..”
रुक्मिणी सेन, वरिष्ठ पत्रकार-फिल्म पत्रकार और मीडिया विजिल की सलाहकार मंडल की सदस्य हैं। देश के तमाम बड़े समाचार चैनल्स में काम करने के बाद, देश के सबसे बड़े समाचार चैनल से संपादक – मनोरंजन के तौर पर, टीवी न्यूज़ चैनल की नौकरी को विदाई दी। 21st सेंचुरी फॉक्स जैसे संस्थान में वरिष्ठ पद पर काम करने के बाद से, फ्रीलांस लेखन और पत्रकारिता करती हैं। फिलहाल मुंबई में ही रहती हैं और लेखन-फिल्म लेखन में सक्रिय हैं।
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