शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के साथी क्रांतिकारी शिव वर्मा को काला पानी की सज़ा हुई थी। वे आज़ाद भारत में भी क्रांतिकारी विचारों की अलग जगाते रहे। यूएनआई अंप्लॉयिज फेडरेशन की 7 वीं कांग्रेस (9 मार्च 1996) का क्रांतिकारी कामरेड शिव वर्मा ने उद्घाटन किया था। यह उनके भाषण का मूल पाठ है-
“अपने स्वाधीनता संग्राम के समय हमें, अपने विचार और उद्येश्य आम जानता तक पहुंचाने के लिए मीडिया के समर्थन का अभाव प्रतीत हुआ था. शहीदे आजम भगत सिंह को इसी अभाव के तहत आत्म समर्पण करने देने का निर्णय लिया गया था जिससे कि हमारे विचार एवं उद्देश्य आम लोगों तक पहुँच सकें.
15 अगस्त 1947 को हमें विदेशी शासकों से स्वतन्त्रता तो मिल गयी किन्तू आज तक वैचारिक स्वतंत्रता नहीं मिल सकी. क्योंकि हमारे अख़बार तथा मीडिया पर चंद पूंजीवादी घरानों का एकाधिकार है. अब समय आ गया जबकि हमारे तरुण पत्रकारों को इसकी आज़ादी के लिए मुहिम छेड़ कर वैचारिक स्वतंत्रा प्राप्त करनी होगी. क्योंकि आज के युग में मीडिया ही कारगर शस्त्र है.
किसी पत्रकार ने लिखा था कि सोवियत रूस में बोल्शेविकों ने बुल्लेट का कम तथा बुलेटीन का प्रयोग अधिक किया था. हमारे भारतीय क्रांतिकारियों ने भी भगत सिंह के बाद अपनी अपनी आजादी की लड़ाई में बुल्लेट का प्रयोग कम करके बुलेटीन का प्रयोग बढ़ा दिया था.
अब हम जो लड़ाई लडनी है वह शारीरिक न होकर वैचारिक होगी जिसमे हमें मीडिया रूपी ब्रह्माश्त्र क़ी आवश्यकता होगी. विचारों क़ी स्वत्रंत्रता के लिए तथ्यात्मक समाचार आम जनता तक पहुचने का दायित्व यूएनआई-वार्ता जैसी संवाद समितिओं पर जाता है. अतः मीडिया तथा अखबारों को पूंजीवादी घराने से मुक्त करा कर जनवादी बनाया जाये. जिससे वह आर्थिक बंधनों से मुक्त होकर जनता के प्रति अपनी वफादारी निभा सके.
मैं लखनऊ में हो रहे यूएनआई एम्प्लोयीस फेडरेशन क़ी सातवीं कोंग्रेस के अवसर पर नयी पीढी को वैचारिक स्वत्रंतता लाने के लिए प्रेरित करते हुए स्वतंत्रता संग्राम पीढी की ओर से शुभकामनायें देते हुए विश्वास करता हूँ कि हमारे तरुण पत्रकार अपना दायित्व निर्वाह करनें में निश्चय ही सफल होंगें”.
हस्ताक्षर
शिव वर्मा
9 मार्च 1996
यह भाषण मशहूर पत्रकार चंद्र प्रकाश झा ने उपलब्ध कराया है। उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए फ़ेसबुक पर लिखा है-
क्रांतिकारी कामरेड शिव वर्मा का 9 मार्च 1996 को लखनऊ के सहकारिता भवन में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा, केंद्रीय कृषि मंत्री एवं भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता चतुरानन मिश्र, यूएनआई अंपल्योईज फेडरेशन के अध्यक्ष रहे पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं नागपुर के दिग्गज वकील एसडब्ल्यू ढाबे आदि की उपस्थिति में फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव चंद्रप्रकाश झा द्वारा पढ़ कर सुनाया गए उद्घाटन भाषण का मूल पाठ. कामरेड शिव वर्मा अस्वस्थ होने के बावजूद सम्मेलन का उद्घाटन करने कानपुर से लखनऊ आए थे. उन्होंने अपना ये भाषण बुलंद आवाज में पढ़ कर सुनाने का निर्देश दिया था. इस ऐतहासिक भाषण की हस्ताक्षरित मूल प्रति हमें ये कह कर सौंप दी थी, “हमारा दौर बीत चुका है. अब आगे का काम तुम लोगों को करना है “.
इस भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग भी है. उसकी एक प्रति हमने वरिष्ठ पत्रकार शेषनारायण सिंह की पुत्रवधू एवं यूएनआई लखनऊ ब्यूरो के दिवंगत प्रमुख आरएन द्विवेदी की मुंबई बस गई पुत्री स्निग्धा द्विवेदी को सौंप दी थी. आरएन द्विवेदी जी ने उस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की समाप्ति पर धन्यवाद भाषण दिया था.