कश्मीर से लेकर दिल्ली तक लगातार दर्ज हो रहे मुकदमों के सिलसिले में अगला नाम कश्मीर के चर्चित लेखक-पत्रकार गौहर गीलानी का है। उनके ख़िलाफ़ साइबर पुलिस स्टेशन, श्रीनगर में मुकदमा दर्ज़ किया…
दिल्ली पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों में अगुआ रहे जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद पर यूएपीए लगा दिया है। उमर के साथ, जामिया छात्रों मीरान हैदर और सफूरा…
जर्मनी के अग्रेज़ी टी.वी चैनल डी.डब्ल्यू न्यूज़ पर प्रसारित उपन्यासकार, प्रख्यात लेखिका एवं राजनीतिक-कार्यकर्ता अरुंधति राय के अंग्रेजी-साक्षात्कार का लिप्यान्तरण और अनुवाद – दुनियाभर में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बहुत…
इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ सिनेमा-सिनेमा की तीसरी कड़ी है। मक़सद यह…
पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिक राजनीति की बोतल से मॉब लिंचिंग का जो जिन्न आज़ाद करके लोकतंत्र के पीछे छोड़ दिया गया था, वह अब किसी भी नियंत्रण से बाहर जा चुका है।…
कोरोना वायरस के हमले के कारण और निवारण को लेकर दुनिया भर की प्रयोगशालाओं में हज़ारों विज्ञानी आँखें फोड़ रहे हैं, लेकिन भारत में इसका कारण तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम (जो लॉकडाउन…
अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन, आरबीआई के पूर्व गवर्नर और शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल में फाइनेंस के प्रोफेसर रघुराम राजन, नोबेल पुरस्कार…
‘वो जिनके हाथ में छाले हैं, पैरों में बिवाई है, उन्हीं के दम से रौनक आपके बंगले में आई है.’ और दिन होते तो देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ केन्द्र बल्कि राज्यों…
इस हफ्ते की खबरों में खास रहा नोएडा के एक मृत्युंजन शर्मा का क्वारंटाइन होने का अनुभव। निश्चित रूप से उन्होंने इसका शानदार विवरण लिखा है और उसमें सरकार तथा व्यवस्था के खिलाफ…
इस दौर-ए-आख़िरी की जहालत तो देखिए जिसकी ज़बाँ दराज़ हुकूमत उसी की है – बशीर महताब भोजपुरी में एक कहावत है- कतनो करब जोगा टोना, बबुआ सुतिहें ओही कोना. मतलब यह कि आदत…
एक तरफ़ जब देश की गरीब जनता के खातों में जनधन योजना के तहत 500 रुपये डालने का ढिंढोरा अश्लील सरकारी प्रचार अभियान के सहारे पीटा जा रहा था, हरियाणा के गुड़गांव के…
बहुजन दृष्टि-1 आजादी के तुरंत बाद 1947 में जवाहरलाल नेहरू ने यूनेस्को से एक खास निवेदन किया। विकास कार्यों को आरंभ करने के लिए जरूरी था कि इस देश और समाज की…
केरल हाईकोर्ट में दायर की गयी एक याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा है कि वह फ़िलहाल विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस नहीं ला सकती। सरकार का कहना है कि…
अशोक कुमार पाण्डेय दिल्ली के दंगा-पीड़ित इलाक़ों में घूमते हुए एक तरफ़ वर्षों की सरकारी उपेक्षा के चलते फैली गंदगी और अव्यवस्था, लटकते हुए बिजली के तारों के गुच्छे और संकरी सड़कों के…
दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल में ऑर्थोपेडिक विभाग में डीएनबी (नेशनल बोर्ड ऑफ डिप्लोमेट) छात्र व प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ पीयूष पुष्कर सिंह को अस्पताल प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से…
महाराष्ट्र के लातूर जिले के निजी अस्पतालों में बिना निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किटों के डॉक्टरों द्वारा लॉकडाउन के पहले चरण में तकरीबन 500 बच्चों की डिलीवरी कराने का मामला सामने आया है।…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राष्ट्र के नाम संदेश दिया…पर उसमें संदेश कम संदेह ज़्यादा था…लॉकडाउन बढ़ाने का स्वागत करते हुए, हम प्रधानमंत्री के संबोधन में कही गई कुछ बातों को…
कोरोना वायरस ने अपनी प्रकृति में चाहे कोई भेदभाव न दिखाया हो, गुजरात के अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमित मरीज़ों और संदिग्धों के लिए धर्म के आधार पर अलग-अलग वार्ड बनाने…
सुभाष गाताडे बीसवीं सदी के महान लोगों की अज़ीम शख्सियतों में शुमार डा अम्बेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसम्बर 1956 ) को कौन नहीं जानता ? हिन्दोस्तां की सरज़मीं पर…
संजय श्रमण बाबा साहब आंबेडकर के जन्म दिवस के अवसर पर भारत मे लोकतंत्र की कल्पना के बारे में कुछ गंभीर विचार किया जा सकता है। बीते एक दशक में लोकतंत्र का विचार…
(हम भारतीय संविधान के निर्माता बाबासाहेब भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के जन्म के 130वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। ये एक ऐसा समय है, जब पूरी दुनिया एक भयानक संकट से…
आंबेडकर उत्सव-2020 ‘आपको एक ऐसी राजनीतिक पार्टी की जरूरत है, जो वर्गहित और वर्गचेतना पर आधारित हो और ऐसी पार्टी कोई दूसरी नहीं, सिर्फ ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ है, जिसमें आप अपने हितों को…
क्या हमें कोई फ़र्क़ पड़ता है? ख़ैर, सवाल यह है कि क्या सरकार को कोई परवाह है? चूंकि,आपका काम आपके शब्दों से ज़्यादा बोलता है, इसलिए इस सवाल का स्पष्ट जवाब है- नहीं।…
आज कल टीवी स्क्रीन पर फिर से आंकड़ों का दौर आया है! एक ऐसा विचित्र समय आया है की, हर चैनल पर कोरोना संक्रमित, संक्रमण से बाहर निकले और कोरोना संक्रमण से मरने…
सिनेमा-सिनेमा की दूसरी कड़ी : इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ सिनेमा-सिनेमा…