रिटायर्ड एडमिरल लक्ष्मी नारायण दास, रिटायर्ड एडमिरल आरके धवन, रिटायर्ड एडमिरल विष्णु भागवत, रिटायर्ड एडमिरल अरुण प्रकाश और रिटायर्ड एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी की तरफ से साइन किए गए इस पत्र में…
दुनिया के सबसे लंबे संविधान की लिस्ट में आने वाले भारतीय संविधान के बारे में आज आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बताएंगे। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, तो हर नागरिक को भारत के संविधान…
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से चल रहे आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले राकेश टिकैत ने मोदी सरकार के कानून वापस लेने के फैसले के बाद भी आंदोलन समाप्त…
अभिव्यक्ति के विरोधियों की भावनाएं बड़ी जल्दी जल्दी आहत होने लगती हैं और उन्हें अभिव्यक्ति की हर आज़ादी, देश के मौलिक अधिकारों के दुरुपयोग और देशद्रोह के रूप में नज़र आने लगता है।…
उच्चतम न्यायालय ने इस प्रवित्ति पर यह टिप्पणी भी की है कि आईपीसी की धारा 124 (ए) (राजद्रोह के अपराध) का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से…
कांग्रेस के लोकप्रिय जमीनी नेता हरीश रावत खासी मेहनत कर रहे हैं । भावी चुनावों में जीत के लिए। पार्टी हाईकमान का भी इशारा है। अर्से से उत्तराख॔ड में वे दूरदराज और पास…
मुझे स्वयं को योगेन्द्र यादव का प्रशंसक स्वीकारने में तनिक भी हिचक नहीं है। भारत की संसदीय राजनीति में वे एक आदर्श व्यवहार स्थापित करते लगते हैं और सामयिक मुद्दे पर उनकी नपी-तुली…
सावरकर समर्थक जितना ही सावरकर के बचाव में अजीबोगरीब तर्क गढ़ेंगे, वे उतने ही एक्सपोज होंगे। पर उनके तर्कों को यूं ही नही छोड़ दिया जाना चाहिए, बल्कि उनका पूरी जानकारी और गम्भीरता…
आशीष कुमार गांधी और सावरकर पर भ्रमित करने वाले बयान के लिए मोदी सरकार में रक्षा मंत्री और संघ परिवार के महत्त्वपूर्ण सदस्य राजनाथ सिंह का शुक्रिया | मंत्री जी का कहना है की हिन्दू महासभा के अध्यक्ष विनायक दामोदर सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रेजों से माफ़ी मांगी थी | जो इतिहास जानते हैं उन्हें मालूम है, की यह कथन अर्धसत्य है – असत्य से ज्यादा खतरनाक | उतना ही खरतनाक है जितना हिन्दुतवा के नाम पर सांप्रदायिक ज़हर | सत्य तो गांधी के हिन्दु धर्म की तरह है जो…
भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पेनल कोड (आईपीसी) में इसीलिये हत्या को परिभाषित करने के लिए दो अलग धाराओं का प्रावधान भी है- धारा 299 और धारा 300 । यूँ तो दोनों धारा…
मौलाना आजाद का चरित्र यह प्रमाणित करता है कि अपनी धार्मिक आस्था के साथ मजबूती से जुड़े रहकर भी, एक बहुलतावादी समाज के सर्वधर्म समभाव या सेक्युलर मूल्यों के साथ जुड़ा रहा जा…
देश के गृह मंत्रालय का नेतृत्व जिन नेताओ के पास है, वे हत्या और हत्या के प्रयास जैसी संगीन धाराओं के मुल्जिम भी हैं। खुद गृहमंत्री अमित शाह भी, एक समय अदालत के…
बीसवीं सदी के इतिहास पर जब भी चर्चा छिड़ेगी, महात्मा गांधी की स्थिति उस कालखंड की सबसे महत्वपूर्ण शख्सियत के रूप में मानी जायेगी। उनका योगदान भारत के स्वाधीनता संग्राम में तो है…
डॉयच्लान्ट् यानि फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी( संघीय जर्मनी गणराज्य ) के रविवार के चुनाव के घोषित परिणामों ने नई सहस्त्राब्दी में नए वामपंथ के नए द्वार खोल दिए हैं। लेकिन ये वो वामपंथ…
झूठ और साजिश के लिये भी हुनर चाहिए। पर जब, यह सब करने की आदत और इरादा तो हो, हुनर न हो तो वही झूठ और साज़िश, बहुत जल्द एक्सपोज भी हो जाता…
2014 का चुनाव समाप्त हो गया था । भाजपा को लोकसभा में पूर्ण बहुमत मिल चुका था। कांग्रेस अपने इतिहास के सबसे बुरे दिनों में थी। मोदी का जादू सिर चढ़ कर बोल…
सोवियत संघ में मिखाइल गोर्बाचेव ने ग्लासनोश्त (खुलेपन) और पेरेस्त्रोइका (पुनर्रचना) के जो प्रयोग किए, वे आत्मघाती साबित हुए। चीन ऐसे जोखिमों से मुक्त है, ये दावा कोई नहीं कर सकता। लेकिन प्रयोग…
स्त्री सुरक्षा के मुद्दे को एक सामान्य समीकरण के रूप में देखा जा सकता है- जहाँ स्त्री नेतृत्व और निर्णय की भूमिका में नहीं होगी, वहाँ असुरक्षित रहेगी | सामाजिक ही नहीं, राजनीतिक…
बीएचयू की पूरी ज़मीन काशी नरेश द्वारा दान में दी गयी है, और शुरुआती आर्थिक सहायता महाराजा दरभंगा ने प्रदान की थी। इनके अतिरिक्त, तमाम राजाओं और यहां तक कि निज़ाम हैदराबाद और…
2014 के बाद बड़े पूंजीपति या वे पूंजीपति जो सत्ता के नज़दीक हैं, के घर और अन्य ठिकानों पर, आज तक न तो किसी छापे की खबर आई और न ही किसी सर्वे…
अपनी सघन सक्रियता के दौर में राजा महेन्द्रप्रताप ने लेनिन से भी भेंट की थी। उनका जीवन अत्यंत विशिष्ट अनुभवों से भरा-पुरा रहा। दुनिया के कितने ही देशों में उनकी कीर्ति और काम…
किम वैगनर, ब्रिटिश इतिहासकार है, जिन्होंने 22 मई 2018 को 2 तस्वीरें ट्वीट की थीं और बताया था कि पंजाब के कसूर में लोगों को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे गये थे. उन्होंने…
क्या कारण रहा कि हमारी हिन्दी जो किसी समय किसानों और कारीगरों की जुबान थी, बुनकरों, कुम्हारों, दर्ज़ियों, मोचियों की जुबान थी,जो कबीर, रैदास, मीरा, रसखान, तुलसी और सूर जैसे फटेहाल और मिहनतक़श…
क्या भारतीय संविधान में मतदाता का जातीय/धार्मिक समूहों में बंट कर अपने प्रतिनिधि चुनने की अवधारणा निहित है? स्वतंत्रता पूर्व गाँधी के नेतृत्व में चले राष्ट्रीय आन्दोलन ने और स्वतंत्रता के बाद अम्बेडकर…
राजा महेन्द्र प्रताप को केवल जाट राजा के रूप में देख कर उनका मूल्यांकन करना उनका अपमान करना होगा। आज जब आज़ादी के प्रतीकों की अलग तरह से व्याख्या की जा रही है,…