पिछले कुछ बरसों में हमारे महापुरुषों के बारे में बहुत अफवाहें फैलाई गई हैं, उनके बीच झगड़े और मतभेद दिखाने की कोशिशें की गई हैं। ऐसा करने वाले वही लोग हैं जो न कभी देश के लिए लड़े, न साथ मिलकर लड़ने का मतलब जानते हैं।
मेरे नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विमान हादसे की खबर मिली तो वे फूट-फूटकर रो पड़े। यह पहली और शायद आखिरी बार था जब वे सबके सामने रोये थे, क्योंकि उन्होंने अपना बहुत करीबी और पारिवारिक दोस्त खो दिया था।
नेहरू जी जब जेल में थे, उसी समय कमला नेहरू जी गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं। तब नेताजी ही वह व्यक्ति थे जो डटकर उनके साथ खड़े रहे। यहां से लेकर ऑस्ट्रिया और जर्मनी तक वे कमला नेहरू जी का इलाज कराने साथ-साथ गए। नेहरू जी जब कमला नेहरू जी का इलाज कराने के लिए वियना गए तो नेताजी वहां पहले से मौजूद थे। जब स्विट्जरलैंड में कमला नेहरू जी की मौत हुई तो वहां भी नेताजी मौजूद थे। नेहरू जी जेल में बंद थे तो भी नेताजी ने ही कमला नेहरू जी का ख्याल रखा। नेताजी उनके इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक हर कहीं साथ खड़े रहे।
दोनों के बीच कितना प्रेम भरा रिश्ता था, यह इससे भी पता चलता है कि नेताजी अपने पत्रों में नेहरू जी को ‘बड़ा भाई’ और ‘अपना नेता’ लिखते थे। यहां तक कि जब नेताजी ने आज़ाद हिंद फौज बनाई तो उसमें ‘गांधी ब्रिगेड’ और ‘नेहरू ब्रिगेड’ भी बनाई।
जो लोग आज हमारे महापुरुषों के बारे में अनाप-शनाप और मनगढ़ंत बातें करते हैं, ये वही लोग हैं जो स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने को भी पाप समझते थे और आज हमारे उन शहीदों का अपमान करते हैं जिन्होंने अपना तन-मन-धन सब देश के लिए कुर्बान कर दिया।
आइए, आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर संकल्प लें कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे और उनके द्वारा गढ़े गए भारत के विचार को आगे बढ़ाएंगे।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के फ़ेसबुक पेज से साभार।