BBC के जवाब में गोदी मीडिया की डॉक्यूमेंट्री:’एक अकेला सब पर भारी!’  

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
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चापलूसी वाली खबरों से भी बीबीसी जैसी डॉक्यूमेंट्री बन सकती है 

 

एक सामान्य सी खबर है। आप कह सकते हैं एक देसी समूह की कामयाबी की खबर है और अखबारों में छपी थी। शीर्षक था, अडाणी समूह इस सप्ताह ऑस्ट्रेलियाई खदान से कोयले का निर्यात शुरू करेगा और विवादित खदान से पहली खेप भेजने को तैयार अडानी ग्रुप (27 दिसंबर 2021) 

इसके बाद एक और खबर छपी उसका शीर्षक था, भारत सरकार ने एन्थ्रेसाइट, पीसीआई और कोकिंग कोल से आयात शुल्क हटाया। यह दैनिक जागरण की खबर का शीर्षक है। इसमें कोयले जैसी आम समझ और जरूरत की चीज का नाम एन्थ्रेसाइट और  पीसीआई के बाद तथा वहां भी कोयले की जगह कोकिंग कोल लिखने पर मैं कोई शक नहीं कर रहा। लेकिन बताया जाता है कि नेहरू जी के जमाने में जब भ्रष्टाचार का बोलबाला था और घूसखोर आम रहने का प्रचार किया जा रहा है और इतिहासकारों पर जिसका वर्णन नहीं करने का आरोप है तब के बारे में लोग बताते थे कि अखबार में डेस्क वालों को इसी लिए भाव दिया जाता था। शीर्षक में आवश्यकतानुसार सेवा भाव से ऐसे खेल डेस्कवाले ही करते रहे हैं। सन 2002 तक जब मैं डेस्क पर नौकरी करता था तो बहुत सारे नेता और अफसर डेस्क पर लोगों से मिलने आते रहते थे। बाद में सौदा मालिकों से ही होने लगा पर वह अलग मुददा है।  यह 21 मई 2022 की खबर है लिंक यह रहा। 

अडानी ने ऑस्ट्रेलिया में कोयले का खान लिया और निर्यात करना शुरू किया उसके बाद भारत में कोयले की कमी हो गई, आयात शुल्क कम कर दिया गया – यह संयोग है या प्रयोग मैं नहीं जानता लेकिन तथ्य है। संबंधित खबर का शीर्षक था, “सरकार का कोल इंडिया को 1.2 करोड़ टन कोयले के आयात के लिए तैयार रहने का निर्देश”। शीर्षक और निर्देश जैसे शब्दों से ही लगता है कि यह कोयले की कमी को महसूस करने और करवाने के लिए है। वरना सीधे आदेश दिए जाते, आवश्यकता कोल इंडिया को भी मालूम होनी चाहिए थी आदि आदि। यह 3 जून 2022 की खबर है। नेट पर यही लिखा है। अखबार में चार जून को छपी होगी। अभी वह महत्वपूर्ण नहीं है। लिंक यह रहा। 

अगली खबर का शीर्षक है, “एनटीपीसी को 10 लाख टन कोयला सप्लाई करेगा अडानी समूह एक और सरकारी कंपनी भी दे सकती है इतना ही बड़ा ठेका।” सरकार ने कोल इंडिया को कोयले के आयात के लिए तैयार रहने को कहा और सात महीने बाद, 5 जनवरी 2022 को सरकारी कंपनी ने अडानी को ठेका दिया। सात महीने का समय तैयारी करने के कम, ज्यादा या सामान्य है मैं नहीं जानता पर एनटीपीसी तो कुछ समय पहले से तैयारी कर ही रही होगी, कोल इंडिया को भी टटोला होगा पर भारत सरकार ने कोल इंडिया को निर्देश दिया और उसकी खबर छपवाई इसका मकसद क्या हो सकता है आप समझना चाहें तो समझिए। मेरी दिलचस्पी नहीं है, मैं पूरा मामला समझ रहा हूं। 

इस तरह सरकार जी ने या एनटीपीसी ने कोल इंडिया को छोड़कर अडानी को आयात का ठेका दिया। संभव तो यह भी था कि कोल इंडिया अडानी से खरीद कर एनटीपीसी को देता और ऐसा नहीं हुआ इसके लिए आप इन्हें कोस सकते हैं या अडानी की कमाई कम हुई इसका अफसोस कर सकते हैं लेकिन अभी मेरे लिए यह मुद्दा नहीं है। मुद्दा यह है कि इन तथ्यों के बावजूद (जरूरी नहीं है कि सभी सांसद इन तथ्यों को जाने और याद रखें) सरकार के पास प्रहलाद जोशी जैसे मंत्री और लोकसभा में प्रधानमंत्री के पीछे बैठकर मेज थपथपाने और मोदी-मोदी करने वाले सांसद हैं जो कह सकते हैं कि सरकार का अडानी से कोई लेना देना नहीं है। और अखबार (देश का बहुसंख्यक मीडिया) बिना किसी सवाल के, पुरानी खबरों की चर्चा के खबर छाप सकते हैं। इसके बाद भी अगर आप समझते हैं कि अपनी सरकार को जानते हैं, मोदी जी अच्छा काम कर रहे हैं तो आपको मुबारक।  

इस सबंध में ये रहा आजतक का शीर्षक, “अडानी मामले पर संसद से सड़क तक विपक्ष का हंगामा, अब केंद्र सरकार ने दिया ये बयान”। आपको याद होगा कि हिन्डनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद कई घंटों और दिन तक सरकार के सभी लोग सदमे में थे और अपेक्षाकृत एक कनिष्ठ या कम चर्चित या लोकप्रिय मंत्री से यह बयान दिलवाया गया। मुझे नहीं पता यह एंटायर पॉलिटिकल साइंस की कोई चाल थी या कोई वरिष्ठ मंत्री इसके लिए तैयार नहीं हुआ पर जो खबर छपी थी वह इस प्रकार है, “हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट जारी है। इसी बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार का अडानी समूह से कोई भी लेना-देना नहीं है”। हो सकता है मंत्री जी सही बोल रहे हों और मंत्री जी कह रहे हैं तो उसे ऑथेंटीकेट करने की जरूरत भी नहीं है लेकिन अखबार सवाल तो पूछ सकते थे और नहीं तो अपने पाठकों को यही बता सकते थे कि पहले ऐसा हुआ है। पर नहीं बताएंगे क्योंकि जिसे आपने चुना है वह अकेला सबपर भारी है। जो बताएगा उसके पीछे सरकारी एजेंसियां लग जाएंगी। फिलहाल यह रहा प्रहलाद जोशी के बयान का लिंक  

अच्छी बात यह है कि अब (हालांकि, बहुत समय से) सरकार में शामिल लोग भी ऐसे तथ्यों को उजागर करने लगे हैं। ट्रोल ब्रिगेड इसपर चुप रहता है या सदमे में आ जाता है। इस आलेख में तथ्य मैंने सुब्रमण्यम स्वामी के ट्वीट से लिये हैं और इनकी जांच कर हिन्दी में उन खबरों का लिंक ढूंढ़ा है जिन्हें आपके लिए पेश कर रहा हूं। अंग्रेजी के अपने ट्वीट में उन्होंने इन खबरों और शीर्षकों का हवाला दिया है और कहा है कि यह एक पूर्व केंद्रीय मंत्री की खोज है। मैं नहीं जानता वो पूर्व केंद्रीय मंत्री भाजपा के हैं या यूपीए के या स्वयं श्री स्वामी पर भाजपा के हों, महालोकप्रिय तो सरकार की स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं। 

कहने की जरूरत नहीं है कि अडानी समूह ने ऑस्ट्रेलिया से कोयले का निर्यात शुरू किया उसके बाद भारत सरकार ने आयात शुल्क कम किया तो अडानी को फायदा होगा। लेकिन यहां तो शून्य कर दिया गया है और यह ऐसी छूट है जिससे बहुत सारी औपचारिकताओं की भी जरूरत नहीं रह जाती है। ऐसा देश की जरूरत को देखकर किया गया हो पर सुविधा अडानी को भी हुई। कोल इंडिया को तैयार रहने के लिए कहने की क्या जरूरत थी जब आयात एनटीपीसी को करना था और उसकी अपनी तैयारी थी। ट्वीट में जिस खबर का स्क्रीन शॉट है वह 4 जून 2022 का और दोनों खबरें एक ही दिन की हैं। जाहिर है मामला जांच का है और बिना जांच तो हम यही कह सकते हैं कि सरकार ने न सिर्फ अडानी की सेवा की बल्कि खबर छपवा कर बताया भी कि काम कर दिया है। 

राहुल गांधी ने अडानी के विमान में प्रधानमंत्री की तस्वीर को संसद में इसीलिए दिखाया था। पता नहीं वह रिकार्ड में है या नहीं पर भक्त गण पूछ रहे थे कि ये क्यों नहीं दिखाया वो क्यों नहीं दिखाया। यह अलग बात है कि दूसरी ओर से उसके बाद और भी तस्वीरें सामने आई हैं जो संबंधों को और अच्छी तरह दिखाती हैं। इस बीच कोई प्रहलाद जोशी से उनके कहे तो ऑथेंटीकेट करने के लिए कहे तो जानूं।  

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।