प्रतिबद्ध वामपंथी लेखक सुभाष गाताडे की दीनदयाल उपाध्याय पर बहुप्रतीक्षित किताब बाज़ार में छप कर आ गयी है. किताब में गाताडे ने बहुत शोध कर के यह समझने की कोशिश की है कि आखिर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उपाध्याय को समकालीन ‘गाँधी’ बनाने पर क्यों तुले हुए हैं और इसके पीछे की उनकी राजनीति क्या है.
अगर आप आरएसएस के भीतर दीनदयाल उपाध्याय की स्थिति और उनकी राजनीति को संक्षेप में समझना चाहते हों, तो आपके लिए यह पुस्तक बहुत कारगर होगी.
प्रकाशन से पहले लेखक की इज़ाज़त से मीडियाविजिल ने इस पुस्तक की समूची सामग्री किस्तवार छापी थी जिसकी प्रतिक्रिया बेहद उत्साहजनक रही. इस पुस्तिका को उद्भावना प्रकाशन ने प्रकाशित और मुद्रित किया है.
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