मशहूर फ़िल्म अभिनेता इरफान खान ने 53 वर्ष की उम्र मे 29 अप्रैल को दुनिया को अलविदा कह दिया। थियेटर से शुरुआत करने वाले इरफान ने बज़रिये रुपहले पर्दा एक बेहतरीन अभिनेता…
डॉ.स्कन्द शुक्ल वर्तमान कोविड-19-पैंडेमिक के सन्दर्भ में विश्व-स्वास्थ्य-संगठन पर जो प्रश्न-चिह्न लग रहे हैं , वे सर्वथा असत्य नहीं हैं। इस संक्रमण के वैश्विक महामारी बनने से पहले और दौरान भी अनेक गतिविधियों…
पूरा विश्व कोरोनावायरस और कोविड-19 के संकट से जूझ रहा है। अमरीका जैसी महाशक्ति को भी इस वायरस ने हिलाकर रख दिया है। विश्व भर के वैज्ञानिक जब इस वायरस का तोड़ ढूँढने…
निर्जीव रेगिस्तान को यही रंग-बिरंगे लोग जीवंत बनाते हैं. किंतु इनकी जिंदगी अब बदरंग हो गई है. ये वही लोग हैं जिन्होंने मूमल ओर महेंद्र की कहानी को हमारी स्मृतियों में जिंदा रखा…
इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ सिनेमा-सिनेमा की चौथी कड़ी है। मक़सद यह…
रविवार 26 अप्रैल को रेडियो पर मन की बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के प्रसिद्ध क्रांतिकारी संत बासव को उनकी जयंती पर भगवान कहके याद किया। लेकिन बासव के विचार…
डॉ.स्कन्द शुक्ल सत्य की पड़ताल में हम तनिक समय नहीं लगाते और तुरन्त निष्कर्षों पर पहुँचने लगते हैं। सिगरेटपान इस समय विवाद में है। कई ख़बरें संचारित हो रही हैं कि धूमपान…
राजनीति जारी है. बिहार ने अपने प्रवासी मजदूरों और कोटा में फंसे छात्रों को किसी भी तरह की राहत देने से अब तक साफ मना किया है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बस भेजकर…
इस कोरोना काल में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत की लहर सी आयी हुई है। तबलीगी जमात को केंद्र मे रखते हुए मुसलमानों को भारत मे कोरोना महामारी के फैलाव के लिए जिम्मेदार…
इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ सिनेमा-सिनेमा की तीसरी कड़ी है। मक़सद यह…
इस हफ्ते की खबरों में खास रहा नोएडा के एक मृत्युंजन शर्मा का क्वारंटाइन होने का अनुभव। निश्चित रूप से उन्होंने इसका शानदार विवरण लिखा है और उसमें सरकार तथा व्यवस्था के खिलाफ…
बहुजन दृष्टि-1 आजादी के तुरंत बाद 1947 में जवाहरलाल नेहरू ने यूनेस्को से एक खास निवेदन किया। विकास कार्यों को आरंभ करने के लिए जरूरी था कि इस देश और समाज की…
अशोक कुमार पाण्डेय दिल्ली के दंगा-पीड़ित इलाक़ों में घूमते हुए एक तरफ़ वर्षों की सरकारी उपेक्षा के चलते फैली गंदगी और अव्यवस्था, लटकते हुए बिजली के तारों के गुच्छे और संकरी सड़कों के…
सुभाष गाताडे बीसवीं सदी के महान लोगों की अज़ीम शख्सियतों में शुमार डा अम्बेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसम्बर 1956 ) को कौन नहीं जानता ? हिन्दोस्तां की सरज़मीं पर…
संजय श्रमण बाबा साहब आंबेडकर के जन्म दिवस के अवसर पर भारत मे लोकतंत्र की कल्पना के बारे में कुछ गंभीर विचार किया जा सकता है। बीते एक दशक में लोकतंत्र का विचार…
क्या हमें कोई फ़र्क़ पड़ता है? ख़ैर, सवाल यह है कि क्या सरकार को कोई परवाह है? चूंकि,आपका काम आपके शब्दों से ज़्यादा बोलता है, इसलिए इस सवाल का स्पष्ट जवाब है- नहीं।…
सिनेमा-सिनेमा की दूसरी कड़ी : इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ सिनेमा-सिनेमा…
भारत सरकार ने कोरोना से लड़ने की अपनी रणनीति नहीं बताई है. किसी योजना की भी घोषणा नहीं की है. अचानक घोषित लॉकडाउन 21 दिन के बाद नहीं बढ़ेगा ऐसा कैबिनेट सचिव बोल…
प्रधानमंत्री मोदी की 5 अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट तक बत्ती बुझाकर दिया जलाने की अपील की अपार सफलता से कई लोगों के दिमाग़ की बत्ती जल गयी है। उनका कहना…
कहावत है, “हाथी जिये तो लाख का और मरा तो सवा लाख का”। आज मैं अपने पुराने (असल में मैंने कायदे से नौकरी एक ही की है लगभग 15 साल) अखबार जनसत्ता की…
इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवाएंगे. मकसद यह है कि हिन्दुस्तानी सिनेमा के साथ –साथ पूरी दुनिया के सिनेमा जगत की पड़ताल हो सके और…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को हमेशा की तरह अपने अंदाज में रात के 8 बजे घोषणा की कि रात के 12 बजे से पूरे देश में लॉकडाउन हो जाएगा. इससे चार…
लंदन से प्रकाशित दैनिक ‘इंडिपेंडेंट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की है कि कई देशों की सरकारें कोरोना वायरस पर नियंत्रण के बहाने अपने उन कार्यक्रमों को पूरा करने में लग गयी हैं जिन्हें पूरा करने…
“पिछले कुछ साल में गैर-जिम्मेदार नेताओं ने जान-बूझ कर विज्ञान, सरकारी संस्थाओं और मीडिया से जनता का विश्वास डिगाया है. ये ग़ैर-ज़िम्मेदार नेता अधिनायकवाद का रास्ता अपनाने को लालायित हैं, उनकी दलील होगी…
तीसरी दुनिया यानी एशिया, अफ्रीका और लातिन अमेरिका के विकासशील देश जिनकी खबरें 1980 के दशक के बाद से ही बड़े सुनियोजित ढंग से हाशिए पर पहुंचती चली गईं। सारा स्पेस विकसित देशों…