28 सितम्बर को जब मैं रूपेश कुमार सिंह से गया सेंट्रल जेल में मिली। तब मुझे पता चला कि मेरे जीवनसाथी रूपेश जो कि एक निर्भीक पत्रकार और सामाजिक चिंतक हैं, को गया सेंट्रल जेल के बेहद ही खराब स्थिति वाले ‘सेल’ में अकेला रखा गया है। उस कमरे की छत 80% जर्जर है जिससे बारिश के कारण 80 % जगह से लगातार पानी टपक रहा है। उस कमरे में न तो पानी की सुविधा है और न ही पंखा है। साथ ही रूपेश को जहां रखा गया है वहाँ अपराधिक गतिविधियों के आरोप लगे बंदियों को रखा जाता है।
25 सितम्बर को रूपेश को वहाँ शिफ्ट किया गया है,उस वक्त वहाँ एक और बंदी मौजूद था। रूपेश ने जेल प्रशासन को कमरे की हालत से अवगत कराया जिसके बाद जेल प्रशासन द्वारा उस अन्य बंदी को तो दूसरे कमरे में डाल दिया मगर रूपेश को उसी कमरे में छोड़ दिया।
गौरतलब है कि रूपेश सहित 8 बंदियों को पिछले 25 सितम्बर को शेरघाटी जेल से गया सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया है। जिसमें 7 लोगों को एक साथ अन्य ‘सेल’ में रखा गया है जहाँ नल और पंखा की सुविधा है। बताते चलें कि बीते 4 सितम्बर को लगभग 100 बंदियों ने रूपेश कुमार सिंह के नेतृत्व में जेल प्रशासन द्वारा की जा रही अनियमितता और अन्य बंदियों के साथ किए जा रहे अमानवीय व्यवहार के खिलाफ बंदियों द्वारा 8 सूत्री मांगों को लेकर भूख हड़ताल किया गया था। जिसे वहाँ की स्थानीय अखबारों ने भी कवर किया था। जेल प्रशासन के करीब 22 घंटो के बाद बंदियों की मांगों को मानने के वायदे के बाद भूख हड़ताल खत्म किया गया था। इन मांगों पर जेल प्रशासन बहुत हद तक अमल तो कर रहा था पर प्रतिदिन के हो रहे गैर कानूनी आर्थिक उगाही के नुकसान के कारण अंदर ही अंदर क्षुब्ध भी था और अतंतः जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप न केवल मांगों को लेकर आगे रहे 9 बंदियों (इनमें 1 को हड़ताल के दूसरे ही दिन) को न केवल वहाँ से हटाया गया वरन् ‘सेल’ में रखा गया और नेतृत्व कर रहे रूपेश कुमार सिंह को अकेले बेहद खराब माने जाने वाले ‘ सेल ‘ में जर्जर कमरे में डाल मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की जा रही है । छत से लगातार टपक रहे पानी की वजह से उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ेगा। पानी फैलने की वजह से सोने की जगह भी पर्याप्त नहीं मिल पा रही है। कमजोर छत होने की वजह से कई और अनहोनी की संभावना भी बन पड़ती है,पर जेल प्रशासन द्वारा जानबूझकर लापरवाही बरती जा रही है।
गौरतलब है कि रूपेश सहित तीन साथियों को जिनमें वकील और उनके रिश्तेदार मिथिलेश कुमार सिंह और ड्राइवर मो कलाम का बीते 4 जून को मिथिलेश जी के पैतृक गांव औरंगाबाद जाने के क्रम में शासन – प्रशासन की मिली भगत से अपहरण किया गया था।जिसे बाद में झूठे आरोपों के साथ 6 जून की फर्जी गिरफ्तारी की खबर बनाकर जेल में डाल दिया गया। पुलिस द्वारा किए गए FIR के मुताबिक रूपेश पर प्रतिबंधित नक्सली संगठन ERB CC tech में SAC के पद पर होने, लाल चिंगारी का संपादक होने तथा स्वतंत्र पत्रकार के रूप में पत्र, पत्रिका, सोशल साइट तथा अन्य प्लेटफार्म से सरकार की जन विरोधी नीतियों को उजागर करने का आरोप है।(यहां गौर करने वाली बात है कि पुलिस भी सरकार की नीतियों के जनविरोधी होने की पुष्टि करती है)।
झूठे आरोप लगाकर रूपेश पर UAPA तथा IPC की कई धाराएँ लगाकर 7 जून से जेल में डाल दिया गया है और अब जब उनके जुझारूपन में कोई कमी नहीं दिखा है तो अलग-अलग तरह से शारीरिक व मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है। और इस तरह एक जनपक्षधर पत्रकार जिसने हमेशा पत्रकारिता के पेशे के साथ ईमानदारी निभाई है उसके सही अर्थ को रखा है,कि लेखनी को शांत करने की पूरी कोशिश की जा रही है।