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दुनिया के कई मशहूर और हाई-प्रोफाइल हस्तियों का ट्विटर अकाउंट बुधवार को इस कदर हैक कर लिया गया कि हर जगह तहलका मच गया। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन, माइक्रोसॉफ्ट फाउंडर बिल गेट्स, टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क, ऐमेज़ॉन के जेफ बिज़ू, कान्ये वेस्ट और माइकल ब्लूमबर्ग जैसे कई मशहूर हस्तियों के अकाउंट से ट्वीट कर दिया गया। इनके नाम से किये गए ट्वीट् में एक क्रिप्टोकरेंसी अकाउंट का एड्रेस देते हुए अपील की गई कि अगले 30 मिनट में जो लोग भी पैसे भेजेंगे उनको दुगुनी रकम वापिस मिलेगी।
खबर है कि इन मशहूर हस्तियों की विश्वसनीयता और भारी संख्या में फॉलोवर्स होने के कारण 510 लोगों ने $121,000 भेज भी दिए। ज़ाहिर सी बात है कि ये बड़े पैमाने पर सुनियोजित ढंग से किया गया ‘क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड’ था। ट्विटर के अनुसार हैक करने वालों ने “सोशल इंजीनियरिंग” तकनीक से कंपनी के इंटर्नल सिस्टम के माध्यम से ये सब किया।
देश दुनिया की राजनीति और सार्वजनिक जीवन पर आज ट्विटर का खूब प्रभाव है। कई राजनेता, सेलेब्रिटी और मीडिया घराने की ट्विटर पर काफी सक्रियता है। ज़्यादातर सरकारें और प्रशासन काम काज और संवाद के लिए भी ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं। अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प तो कई प्रमुख घोषणाएं और अहम बयान ट्विटर पर ही देते हैं।
इसी कारण से हैकिंग का यह प्रकरण और भी चिंताजनक हो जाता है। भले ही ये एक ‘बिटकॉइन स्कैम’ था, लेकिन ज़रा सोचिए कि इसी तर्ज़ पर अगर समाज में वैमनस्य और अराजकता फैलाने वाले कई ऐसे संदेश ट्वीट हो जाएं तो क्या होगा? अगर एक योजनाबद्ध ढंग से कई वेरिफाइड अकाउंट से ऐसे ट्वीट्स कर दिए जाएं जिससे देश की सुरक्षा से लेकर सामाजिक सौहार्द पर असर पड़े तो क्या करेंगे हम? और क्या इस तरह की हैकिंग से उन चुनावों पर असर नहीं डाला जा सकता जो पहले से ही राजनीतिक संवाद के लिए ट्विटर पर निर्भर हैं?
मामले की गंभीरता देखते हुए अमरीका की सरकार और प्रशासन में हड़कंप मच गया है और सब सतर्क हो गए हैं। हमारे देश में भी सबको सजग रहना चाहिए और किसी भी ट्वीट पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए, चाहे वो प्रधानमंत्री ही क्यों न कर रहे हों।
अमरीका की एजेंसी ‘फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ यानी एफबीआई ने इस मामले की जाँच शुरू कर दी है। दुनिया भर से राजनेताओं ने इस पर चिंता जताई है और जाँच एजेंसियां सक्रिय हो गयी हैं। इंग्लैंड की ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र’ ने ट्विटर को संपर्क किया है और आम लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा सतर्कता बरतने की अपील की है। बताया गया है कि ट्विटर भी जाँच में पूरा सहयोग कर रही है। अमरीकी सीनेट की कमिटी ने ट्विटर को 23 जुलाई तक उनके समक्ष पेश होकर सवालों के जवाब देने को कहा है। हमारे देश में भी महाराष्ट्र की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने एडवाइज़री जारी करके लोगों को सावधान रहने को कहा है।
इस प्रकरण से ये स्पष्ट है कि तकनीक जितना आगे बढ़ रहा है, मानवीय विवेक और तर्कशीलता को ज़िंदा रखना उतना ही आवश्यक होता जा रहा है। सार्वजनिक जीवन में सक्रिय लोगों के अलावा आम जनता को भी तकनीक के प्रयोग के साथ साथ उसकी सीमाओं और खामियों से अवगत रहना चाहिए। तभी हमारा देश ऐसे किसी हैक या सुनियोजित षड्यंत्र का शिकार होने से बचा रहेगा।
अनुपम, युवा-हल्लाबोल आंदोलन के संस्थापक हैं।