मेघालय की ‘सबसे भ्रष्ट’ सरकार में BJP शामिल, मोदी-शाह शपथग्रहण में, पर इस कलाबाज़ी पर ख़बर नहीं!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
ओप-एड Published On :


द टेलीग्राफ में आज की लीड का शीर्षक है, चुनाव के लिए जो चमड़ी बेहद पतली है वही चिट्ठी के बाद बेहद मोटी है। अखबार में इसके तहत दो खबरें छपी हैं। पहली नई दिल्ली डेटलाइन से संजय के झा की है। इसका  शीर्षक है, चुनावी कलाबाजों से मिलिये। इसमें कहा गया है, कांग्रेस ने सोमवार को भाजपा पर भ्रष्टाचार के मामले में “पाखंडी” होने का आरोप लगाया और मेघालय में उस पार्टी को समर्थन देने का हवाला दिया जिसे उसने पहले भ्रष्ट करार दिया था। कर्नाटक में एक भाजपा विधायक के खिलाफ रिश्वत के आरोप और अडानी विवाद पर केंद्र की निष्क्रियता पर कांग्रेस सांसद विन्सेंट पाला ने पुराने वीडियो चलाए जिसमें कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मेघालय में कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी सरकार को भ्रष्ट बताते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद पाला ने कहा, “भाजपा अब एनपीपी के साथ सरकार बना रही है। इस तरह वे देश के लोगों को बेवकूफ बनाते हैं।” 

द टेलीग्राफ की आज की दूसरी खबर पटना डेटलाइन से है। देवराज की इस खबर का शीर्षक है, अगर यह सीबीआई है, तो इसे विपक्ष होना चाहिए। इसके अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने राष्ट्रीय जनता दल की नेता राबड़ी देवी से सोमवार को उनके घर पर छह घंटे तक पूछताछ की। उनके पति लालू प्रसाद के यूपीए शासन में रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे में नौकरी के बदले जमीन का एक मामला सामने आया था। यह घटनाक्रम राबड़ी के छोटे बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद सहित विपक्षी नेताओं द्वारा भाजपा के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने के एक दिन बाद आया है। सीबीआई के करीब एक दर्जन अधिकारी सुबह साढ़े नौ बजे बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर पहुंचे। 

द टेलीग्राफ ने अपनी इन दोनों खबरों के साथ दो बॉक्स भी बनाए हैं। इनमें से एक में नरेन्द्र मोदी की फोटो है और दूसरी में राबड़ी देवी की। एक का शीर्षक है, मतदान से पहले और दूसरी का रविवार (को)। पहली में नरेन्द्र मोदी का बयान है, “यहां के युवक कह रहे हैं कि नियुक्ति में भ्रष्टाचार …. पक्षपात है। ये सब देखकर मेघालय ने तय किया है कि दिल्ली और शिलांग दोनों में भाजपा की सरकार होनी चाहिए।” इसके साथ बताया गया है कि कोनराड संगमा की सरकार की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था। इसके नीचे उसी बॉक्स में चुनाव के बाद शीर्षक से कहा गया है, भाजपा एनपीपी का समर्थन करती है और अपने दोनों विधायकों के लिए मंत्रिमंडल में जगह की मांग करती है। 

यह सब बताते हुए मुझे ना खाऊंगा ना खाने दूंगा की याद आ रही है। दूसरे बॉक्स में तेजस्वी यादव और आठ अन्य विपक्षी नेताओं का बयान है, विपक्षी दलों के सदस्यों के खिाफ केंद्रीय एजेंसियों का खुला दुरुपयोग यह संकेत देता लगता है कि हम लोकतंत्र से  एकतंत्र (निरंकुशता) में पहुंच गए हैं। इसके नीचे शीर्षक सोमवार है और राबड़ी देवी की तस्वीर के साथ बताया गया है कि सीबीआई ने राजद नेता और तेजस्वी की मां राबड़ी देवी से 14 साल पुराने मामले में छह घंटे तक पूछताछ की। कहने की जरूरत नहीं है कि आज के अखबारों में भाजपा की इस कलाबाजी की खबर नहीं के बराबर है। है भी तो दो अलग सूचनाओं की तरह, दोनों अलग-अलग।  जैसे टाइम्स ऑफ इंडिया में राबड़ी देवी से पूछताछ की खबर पहले पन्ने पर सबसे ऊपर सिंगल कॉलम में है। द हिन्दू में दोनों खबरें अगल-बगल चार-चार कॉलम में हैं। लेकिन शीर्षक आज शपथ लेगें जैसा सामान्य सा है जबकि दूसरी खबर का शीर्षक है, नौकरी के लिए जमीन घोटाले में राबड़ी देवी से पूछताछ। इन खबरों से साफ है कि छापे का असर और कम से कम प्रचार के रूप में तो हो रहा है लेकिन सबसे भ्रष्ट से गठजोड़ और कांग्रेस से साथ सरकार बनाने की खबर लोगों को नहीं मिल रही है। 

यह सब तब है जब एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार अमित शाह ने इसी 20 फरवरी को महाराष्ट्र के संदर्भ में कहा था, ‘‘ …. हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना का शरद पवार के चरणों में समर्पण कर दिया गया। उन्होंने (उद्धव ठाकरे) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट-आउट के साथ हमारे साथ विधानसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन नतीजे आने के बाद , उन्होंने (ठाकरे) पवार के चरणों में आत्मसमर्पण कर दिया” (इसके बाद शिवसेना का क्या हुआ आप जानते हैं और राज्यपाल पद छोड़ चुके हैं)। उन्होंने कहा, ‘‘हम सत्ता के लालची नहीं हैं और न ही हमने कभी अपने सिद्धांतों का बलिदान किया है। पिछला महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में लड़ा गया था। प्रधानमंत्री मोदी और मैंने अपनी रैलियों के दौरान खुले तौर पर यह बात कही थी। इसके बावजूद, उन्होंने (ठाकरे) विपक्ष के साथ हाथ मिलाया।” (इस बार भाजपा ने एनपीपी  से हाथ मिलाया है)।

आज इंडियन एक्सप्रेस में भी राबड़ीदेवी से पूछताछ की खबर तो पहले पन्ने पर है लेकिन मेघालय में भाजपा की चुनावी कलाबाजी की खबर नहीं है। यही स्थिति हिन्दुस्तान टाइम्स में है और इस तरह आप कह सकते हैं कि राबड़ी देवी से पूछताछ हेडलाइन मैनेजमेंट का हिस्सा हो सकता है और खबरें जैसे छपीं हैं उससे ऐसा नहीं मानने का कोई कारण नहीं है। अखबारों के पहले पन्ने पर खबरों की प्रस्तुति के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों की पिटाई और हत्या से संबंधित खबरों और वीडियो के फर्जी होने का मामला भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। द हिन्दू ने इससे संबंधित खबर पहले पन्ने पर पांच कॉलम में छापी है और बताया है कि फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में बिहार के जमुई जिले से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। अखबार में इसके साथ पुणे से शरद पवार की एक खबर भी है। इसके अनुसार उन्होंने कहा है कि केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की विपक्ष की चिन्ता पर प्रधानमंत्री को ध्यान देना चाहिए।

नीचे देश के ‘सबसे भ्रष्ट’ राज्य में चुनाव प्रचार और सरकार बनने से लेकर शपथग्रहण तक के कुछ शीर्षक देखिए। ये इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि सत्तारूढ़ पार्टी के पास इतने साधन हैं कि उसे चुनाव परिणाम का अंदाजा रहता ही है। अगर ऐसा न हो तो वैसे भी जीत के प्रति बहुत आश्वस्त नहीं होना चाहिए और ऐसे आरोप उसपर नहीं लगाना चाहिए जिसके साथ मिलकर सरकार बनाना पड़े। राजनीति में भले यह सब चलता है (हालांकि, महाराष्ट्र में शिवसेना ने साथ चुनाव लड़कर साथ छोड़ दिया तो बहुत बुरा लगा था) लेकिन कुछ लोगों को सब याद रहता है इसकी परवाह तो करनी ही चाहिए। पर  दुनिया की सबसे बड़ी, योग्य, सक्षम और न जाने कौन-कौन सी विशेषता वाली पार्टी इन बातों का ख्याल नहीं रखती है और जिसे सबसे भ्रष्ट कहा उससे गठजोड़ कर लिया। ‘स्वतंत्र’ सीबीआई का भी डर नहीं है और ना यह चिन्ता कि ‘सबसे भ्रष्ट पार्टी’ एनपीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने से छवि कैसी बनेगी। कुछ शीर्षक देखिए – मैं हिन्दी अखबार नहीं देखता और उनमें कुछ होता भी नहीं है इसलिए ये शीर्षक अंग्रेजी अखबारों के हैं, अनुवाद मेरा है।   

  1. मेघालय देश के सबसे भ्रष्ट राज्यों में से एक: अमित शाह, 17.02.2023
  2. मेघालय सरकार देश की ‘सबसे भ्रष्ट’ सरकारों में: अमित शाह, 18.02.2034
  3. मेघालय में एनपीपी के नेतृत्व वाली सरकार के भ्रष्टाचार को भाजपा ने बढ़ावा दिया: कांग्रेस, 23.02.2023
  4. ‘(भाजपा ने) उन्होंने एनपीपी को सबसे भ्रष्ट बताया’: मेघालय में सरकार बनाने के लिए कॉनराड संगमा द्वारा भाजपा के समर्थन की मांग पर कांग्रेस, 03.03.2023
  5. मेघालय में सरकार बनाएगी बीजेपी, एनपीपी; यह पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के पुत्र कोनराड संगमा के लिए दूसरा कार्यकाल है, 03.03.2023
  6. कोनराड संगमा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया, 7 मार्च को मेघालय के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने की संभावना, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के समारोह में भाग लेने की उम्मीद, 03.03.2023 
  7. राजभवन जाने से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगमा ने कहा, “हमारे पास पूर्ण बहुमत है। भाजपा पहले ही अपना समर्थन दे चुकी है। कुछ अन्य लोगों ने भी अपना समर्थन दिया है।”
  8. कोनराड संगमा ने फिर से मेघालय के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता कोनराड संगमा ने दूसरी बार मेघालय के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा भी शामिल हुए। 07.03.2023

इससे मिलती-जुलती बिहार की कहानी है। प्रचारकों और खरीदे हुए मीडिया के दम पर भ्रष्टाचार का विरोध करने वाली पार्टी असल में भ्रष्टाचारियों से मिलकर सरकार बनाने और नाकाम रहने (या विरोध करने पर) सीबीआई को भेजने से नहीं चूकती है (अपवाद नीतिश कुमार हैं) आज के अखबारों में बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के घर पर छापा और राबड़ी देवी से पूछताछ की खबरें प्रमुखता से छपी हैं। लेकिन चिट्ठी से संबंध शायद ही किसी ने जोड़ा हो। मेघालय में कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा का सरकार बनाना वैसे भी खबर है लेकिन पता नहीं ऐसा कुछ कहीं छपा है या नहीं। हालांकि, इससे तथ्य नहीं बदलने वाला है भले भाजपा चुनाव जीतती रहे और सीबीआई के छापे पड़ते रहें। मेरा मानना है कि ऐसे ही चलता रहा तो देश में विपक्ष की राजनीति नहीं रहेगी। पहले कांग्रेस का राज था और अब भाजपा का हो जाएगा। इसका नुकसान लोकतंत्र को होगा, जनता को होगा पर यही राजनीति है और यह वोटर तय करते हैं। जनता अगर इतना नहीं समझ पा रही है कि भाजपा जिस कांग्रेस को या जिसे खुद सबसे भ्रष्ट कहा था, या जिस कांग्रेस को सबसे भ्रष्ट प्रचारित करती रही है उसके साथ मिलकर सरकार बना सकती है उसी के साथ सरकार बना रही है और भ्रष्टाचार पर सीबीआई के छापे भी चल रहे हैं तो असल में क्या हो रहा है – कोई समझा भी नहीं सकता है। 

बिहार का उदाहरण सामने है। यहां नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद उन्होंने विरोध किया था लेकिन भाजपा के साथ सरकार में रहे। एक दफा अलग होकर लालू यादव की पार्टी के साथ सरकार बनाई लेकिन लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया (ऐसे जैसे पहले पता नहीं था) और भाजपा से मिलकर सरकार बना ली। बाद से समय में लालू परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की कितनी और क्या जांच हुई सबको पता है। इसके बाद फिर चुनाव हुआ और नीतिश ने लालू यादव के राजद से साथ रहना तय किया और अभी तक हैं। नीतिश के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई की तो खबर नहीं है लेकिन मनीष सिसोदिया के पक्ष में चिट्ठी लिखने के अगले ही दिन राबड़ी देवी से पूछताछ के लिए सीबीआई का पहुंच जाना और इससे पहले इतने समय तक शांत रहना भाजपा के आरोपों का सच बताता है लेकिन उसकी परवाह किसे है? खबर तो नहीं ही बनती है।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।