ससंद सत्र समाप्त, अडानी को मिले 20 हजार करोड़ पर जवाब नहीं और ख़बर कहीं नहीं!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
ओप-एड Published On :


20,000 करोड़ रुपए का सवाल सिर्फ राहुल गांधी का है या भ्रष्टाचार दूर करने का दावा करने वाली सरकार से हर किसी को पूछना चाहिए? 

आज कोई एक खबर लीड नहीं है, इंडियन एक्सप्रेस में गुजराती ठग पर विशेष खबर जरूर है

 

आज के सभी अखबारों में लीड अलग है। इंडियन एक्सप्रेस की लीड, छह बार की दर वृद्धि के बाद आरबीआई ने पॉज से चौंकाया, रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा – दूसरे अखबारों में सेकेंड लीड है पर कई अन्य अखबारों में यह खबर लीड नहीं है। भले सेकेंड लीड है। यह खबर, द हिन्दू और टाइम्स ऑफ इंडिया में अलग शीर्षक से सेकेंड लीड है। हिन्दुस्तान टाइम्स में भी यह खबर लीड के टक्कर में है। यहां लीड (अगर यही है तो) दिलचस्प है। शीर्षक है, प्रधानमंत्री ने भाजपा के लिए ’24 के लक्ष्य तय किये, विपक्ष को ‘मोनार्किक’ (राजतंत्रवादी) कहा। हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर एक और लीड है। इसका शीर्षक है, गतिरोध को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाने के खेल में बजट सत्र समाप्त हुआ। मुझे लगता है कि आज की सबसे महत्वपूर्ण खबर यही है और सभी अखबारों में इसे ही आम तौर पर लीड बनाया जाना चाहिए था। लेकिन इस खबर के साथ विपक्ष का यह आरोप भी है कि इस बार सदन का नहीं चलना इसलिए खास था कि सरकार ने चलने नहीं दिया। 

विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा है, अपने 50 साल के विधायी कैरियर में मैंने कभी नहीं देखा कि सरकार सिर्फ एक सवाल से बचने के लिए ससंद के दोनों सदनों को चलने नहीं दिया। द टेलीग्राफ ने इसे पहले पन्ने पर अपने कोट कॉलम में छापा है वरना इसकी चर्चा आम तौर पर नहीं है। वह भी तब सब नरेन्द्र मोदी भ्रष्टाचार दूर करने के मुद्दे पर सरकार में आए थे और भ्रष्टाचार की माला जपते रहते हैं। इसके लिए लाखों शेल कंपनियां बंद करने का दावा किया पर अदानी की शेल कंपनियां चलती रहीं और बाद में सरकार ने ही कह दिया कि विदेशी शेल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रश्न ही नहीं उठता। ऐसे में अदानी की कंपनी में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किसका है? इस सवाल का कोई जवाब नहीं है और सरकार जांच करवाने को भी तैयार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जो जांच हो रही है वह सरकार की मजबूरी है उसने नहीं करवाया है ना कोई संतोषजनक जवाब दिया है और ना अखबारों ने पूछा है या इसपर कोई चिन्ता जताई है। 

आइए, इसी बहाने कुछ और अखबारों की लीड देख लें।

1.टाइम्स ऑफ इंडिया 

ड्राफ्ट एनसीएफ (नेशलम करीकुलम फ्रेमवर्क का मसौदा) : 8 बोर्ड टेस्ट, कक्षा 9-12 में ज्यादा विकल्प। (स्पष्ट है कि यह विद्यार्थियों से संबंधित खबर है)।

2.द हिन्दू 

ऑनलाइन प्लैटफॉर्म को पीआईबी के बताए फेक न्यूज को हटाना होगा। उपशीर्षक है, केंद्र ने आईटी कानून में संशोधन किया; मध्यस्थ धारा 79 के भरोसे नहीं रह सकते हैं जो अब उन्हें उपयोगकर्ताओं द्वारा पोस्ट की गई सामग्री से प्रतिरक्षा देता है, पीआईबी के अलर्ट भेजते ही उन्हें सरकार विरोधी पोस्ट को हटाना पड़ेगा।

3.द टेलीग्राफ में आज विशेष लीड है और शीर्षक भी विशेष है। यहां दो खबरों को लीड बनाया गया है और दोनों के अलग शीर्षक मिलकर एक बनते हैं। अगर किसी दिन खबर नहीं हो तो उसदिन जनहित की खबर को (जो पहले से तैयार रखी जा सकती है या उसी जिन ढूंढ़ी जा सकती है) लीड बनाना चाहिए। पहले ऐसा होता भी था।

एक खबर का शीर्षक है, हनुमान जयंती शांतिपूर्ण रही। दूसरी खबर का शीर्षक है, बिना खाए रहने वाले बच्चे। इन दोनों खबर का एक संयुक्त शीर्षक …. से जुड़ा हुआ है। दोनों खबरों का मुख्य शीर्षक है, न्यू इंडिया में यह खबर है …. ताकि यह खबर न बन जाए। समझने के लिए तस्वीर देखिये। 

4.अमर उजाला 

नए फॉर्मूले से तय होंगे सीएनजी व पीएनजी के दाम, घटेंगी कीमतें। 

5.नवोदय टाइम्स

आईपीसी व सीआरपीसी में संशोधन पर विचार कर रहा है केंद्र 

उपशीर्षक है – एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल ने दी जानकारी।

जाहिर है आज अच्छी और बड़ी खबरें नहीं थीं तथा जो खबरें थीं उनमें कोई ऐसी नहीं थीं जिसे सब लीड बनाने पर सहमत होते। इसलिए किसी दूसरी खबर को भी लीड बनाने पर बाकी अखबार सहमत नहीं हुए। ऐसे में इंडियन एक्सप्रेस ने आज गुजराती ठग के  आरएसएस कनेक्शन पर अच्छी और विस्तृत जानकारी दी है। इस तरह कह सकते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाने की सरकारी बहादुरी के बाद के कश्मीर में गुजराती ठग किरण पटेल की कहानी का खुलासा इंडियन एक्सप्रेस ने किया है। इसमें बताया गया है कि उसने स्थानीय भाजपा और आरएसएस नेताओं से भी मिलना-जुलना किया। इनमें एक राजस्थान आरएसएस के पदाधिकारी त्रिलोक सिंह चौहान और 2015 बैच के आईएएस बसीरुल हक चौधरी शामिल हैं जो पुलवामा में उपायुक्त हैं। संपर्क करने पर उन्होंने टिप्पणी करने से मना कर दिया। चौहान से पुलिस पूछताछ कर रही है। संपर्क करने पर एक बड़े पदाधिकारी ने बताया कि चौहान ने जम्मू कश्मीर में विस्तारक के रूप में काम किया है। 

खबर के अनुसार किरण पटेल पहली बार 25-27 अक्तूबर 2022 तक श्रीनगर में रहा और अपनी पत्नी व बेटी के साथ गया था। पुलवामा के उपायुक्त चौधरी ने एसएसपी शेख जुल्फीकार को फोन कर सुरक्षा देने के लिए कहा था। सुरक्षा मिली भी पर जुल्फीकार ने इंडियन एक्प्रेस से बात करने से मना कर दिया। खबर में अन्य दौरों का भी विवरण है और ज्यादातर मामलों में यही कहा गया है कि संबंधित अधिकारी ने बात करने से मना कर दिया। पर दिलचस्प यह है कि कश्मीर में किरण का परिचय कराने वाले आरएसएस के चौहान ही थे। और इसीलिए पटेल के मामले में नियमों का पालन नहीं हुआ। 

अखबार में यह भी बताया गया है कि 2019 से पहले ऐसे मामलों में सुरक्षा देने का नियम और विस्तृत था (5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने की घोषणा की गई थी)। अखबार ने यह भी लिखा है – प्रसंगवश, पुलवामा के डीसी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 24 मार्च को एक पुरस्कार भी मिला था। यह वाराणसी जिले में टीबी उन्मूलन के लिए किए गए उनके काम के लिए था। खबर के अनुसार ठग किरण पटेल के मामले में निशात थाने के एसएचओ गौहर हुसैन अकेले अधिकारी हैं जिनका तबादला हुआ है। ललित होटल जहां से किरण पटेल को गिरफ्तार किया गया वह इसी थाना क्षेत्र में है। हुसैन ने इसम मामले में कुछ बोलने से मना कर दिया। 29 मार्च को जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने कश्मीर के मंडल आयुक्त विजय कुमार विधुरी से इस मामले के भिन्न पहलुओं की जांच कर सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा था। सात दिन हो गए। खबर में या वैसे भी इसकी कोई चर्चा नहीं है। इससे लगता है कि खबर पहले से तैयार करके रखी हुई थी और आज छापी गई है जब खबरें कम हैं या नहीं हैं।   

इन खबरों के बीच आज की कुछ और खबरों के शीर्षक पढ़ लीजिए – तमिलनाडु के राज्यपाल ने कहा है कि अगर राज्यपाल विधानसभा में पास किए गए किसी विधेयक पर सहमति न दें, रोक लें तो इसका मतलब है कि विधेयक खत्म हो गया। यह खारिज किए जाने की बजाय अच्छा शब्द है। उन्होंने यह भी कहा है कि स्टर्लाइट कॉपर स्मेलटर और कूडंकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट के खिलाफ विरोध के पीछे विदेशी धन है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्यपाल से ऐसी टिप्पणियों की अपेक्षा नहीं है। आयकर विभाग के सर्वेक्षण में मिले दस्तावेजों से साफ हो गया है कि ऑक्सफैम इंडिया को विदेश स्थित उन संस्थाओं से कई सालों तक अनुदान मिलते रहे, जो दूसरे देशों की विदेशी नीति को प्रभावित करने की कोशिश करते रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इन निष्कर्षों के बाद गृह मंत्रालय ने ऑक्सफैम इंडिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की। मेरा मानना है कि दोनों खबरें सही भी हों तो तमिलनाडु में पैसे आ गए, विरोध हो गया अभी कार्रवाई नहीं हो रही है और ऑक्सफैम मामले में पहले ही पता चल गया। और यह सब सरकार की जबरदस्त सतर्कता के बाद हो रहा है और सरकार थोड़े पैसों के मामले में इतनी सक्रिय और सतर्क है लेकिन 20,000 करोड़ के मामले में क्यों और कैसे चुप है। इसपर अखबारों को और जागरूक लोगों को चिन्ता क्यों नहीं है या है तो वो क्या कर रहे हैं इसकी खबर क्यों नहीं है। 

अमर उजाला में टॉप पर एक चौंकाने वाली खबर है, खाते में पैसे नहीं तो भी यूपीआई से भुगतान। रहस्य दूसरी लाइन से खुलता है, कर्ज की मिलेगी सुविधा, आरबीआई ने बढ़ाया दायरा, दिशा-निर्देश जल्द। आजकल जब रोज कर्ज लेने के लिए फोन आते हैं, सुबह शाम आते हैं तब कर्ज की यह सुविधा इतनी बड़ी खबर नहीं है जितनी प्रमुखता अमर उजाला ने दी है। सच तो यह है कि लोग कर्ज ले नहीं रहे हैं क्योंकि मंदी है  और चिन्ता का विषय यह है कि लोग पैसे खर्च नहीं कर रहे हैं। ऐसे में अगर कोई कर्ज ले भी तो लौटा पाएगा कि नहीं वही अनिश्चित है। लाखों करोड़ों लोग जब कर्ज लेकर भागे हुए हैं तब कर्ज देना बेशक खबर है पर सरकार का प्रचार नहीं हो सकता। पर आजकल ऐसी ही खबरें छपती हैं।    

कांग्रेस नेता एके एंटनी का बेटा भाजपा में शामिल। यह खबर कई अखबारों में सिंगल कॉलम में ही सही पर है। वंशवाद का विरोध करने वाली पार्टी ने एंटनी के बेटे को पार्टी में किसलिए लिया है – यह बताने की जरूरत किसी अखबार ने नहीं समझी। गैस की कीमत का नया फॉर्मूला सीएनजी,पीएनजी की कीमत कम करेगा – अमर उजाला में लीड है और कई अखबारों में पहले पन्ने पर है। केंद्रीय मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी घोषणा की। लेकिन ना किसी ने उनसे पूछा ना उनने बताया कि कीमत म होने की उम्मीद कबसे की जाए। आपको याद होगा पेट्रोल की कीमत को अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमत से जोड़ा गया था तब भी ऐसा ही कुछ कहा गया था और बाद में क्या हुआ। जो नहीं जानते हैं उन्हें बता दूं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम हो जाने के बावजूद यहां कीमतें कम नहीं हुईं और सरकार ने कानून बनाकर इसपर ज्यादा टैक्स लिया। एक देश एक टैक्स का प्रचार करने के बावजूद।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।