उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति वसूली अध्यादेश 2020 पर बुधवार को उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को 25 मार्च तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
संविधान बचाओ देश बचाओ आंदोलन की तरफ़ से याचिकाकर्ता अधिवक्ता असमां इज्ज़त, माहा प्रसाद व मो. कलीम मुख्य न्यायधीश जस्टिस गोविन्द माथुर की बेंच के समक्ष पेश हुए और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्सालवेज़ ने जिरह की.
मीडियाविजिल से बात करते हुए कोलिन ने बताया कि इसकी अगली सुनवाई 27 तारीख को होगी. इस मामले में याचिकाकर्ता अधिवक्ता असमां ने भी कोर्ट की कार्यवाही पर हमसे बात की।
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक उन्होंने अध्यादेश को चुनौती इस आधार पर दी है कि सरकार द्वारा बनाये गये ट्रिब्यूनल में कोई भी जुडिशियल मेम्बर नहीं होगा (जुडिशियल मेम्बर के बिना कोई भी ट्रिब्यूनल कानूनी रूप से अवैध है). अध्यादेश के जरिये बना कानून पारित होने के बाद से लागू होगा जबकि यह घटना और एफआइआर 2019 की है. इसलिए यह पुराने आरोपितों पर लागू नहीं होगा.
उनका कहना है कि ट्रिब्यूनल का आदेश ही अंतिम आदेश है जिसमें अपील में जाने के अधिकार से वंचित किया गया है.
संविधान बचाओ देश बचाओ के संयोजक अमीक जामेई भी कोर्ट में मौजूद रहे. जामेई ने मीडियाविजिल से बात करते हुए कहा कि वे 19 दिसंबर को सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान हुई घटना में फंसाये गये सभी निर्दोषों के साथ हैं.
उन्होंने कहा, “हमारा न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है. हमें उम्मीद है कि हम कोर्ट से स्टे हासिल कर लेंगे.”