गिरीश मालवीय
आज पीएम मोदी इंदौर आ रहे है आज इंदौर में स्वच्छ भारत की शान में बड़े बड़े कसीदे पढ़े जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी शहरी स्वच्छ सर्वे 2018 में विजेता इंदौर, भोपाल को पुरस्कार प्रदान करेंगे इस दौरान प्रधानमंत्री स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 की विस्तृत रिपोर्ट का भी विमोचन करेंगे अब यह स्वच्छ भारत क्या है यह पहले समझ लीजिए
2 अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई,महात्मां गांधी की 150वीं वर्षगांठ-2 अक्टूबर, 2019 तक भारत को खुले में शौच से मुक्त करना इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है………….
मध्य प्रदेश सरकार, प्रदेश में कुल 122 लाख घर मानती है। जिसमें से सिर्फ 32 लाख घरों में शौचालय की उपलब्धता है। बाकी लोग खुले में शौच जाते हैं। इस तरह से स्वच्छ भारत अभियान के तहत 90 लाख घरों में शौचालय बनाना तय किया। यानी 10 हजार रुपए प्रति शौचालय भी मानें तो 9 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च है। जबकि अक्टूबर-2014 से दो हजार रुपए प्रति शौचालय और अतिरिक्त जुड़ेंगे। कुल 90 लाख में से अब तक 36 लाख शौचालय बनाने का सरकारी दावा है………….. बाकी अभी बनने है
अब इसमें कितना बड़ा घोटाला हो रहा है ये समझिये
बड़वानी में स्वच्छ भारत मिशन को डेढ़ करोड़ से ज्यादा की चपत लग गई है. पूरे स्वच्छता अभियान में घोटाले का खुलासा जिला पंचायत द्वारा कराई गई जांच में उजागर हुआ है. जांच दल ने सेधवा जनपद पंचायत की 38 ग्राम पंचायतों के पांच हजार से ज्यादा शौचालयों की जांच में करीब डेढ़ करोड़ का भ्रष्टाचार पाया है……
मध्य प्रदेश में भोपाल जिले की कालापानी पंचायत में ठेकेदार सैयद कबीर ने कथित तौर पर 400 शौचालयों को कागजों में बनाया दिखाकर पैसा ग्रामीणों के नाम पर निकाल लिया. गुना जिले के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट नियाज अहमद खान ने यहां स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने करीब 42,000 शौचालयों के दरवाजों के निर्माण में अनियमितता पकड़ी है
भोपाल में लक्ष्य पूरे करने की हड़बड़ी में आनन-फानन मॉड्यूलर टॉयलेट की मनमाने दामों पर खरीद में करोड़ों के वारे-न्यारे किए गए. भोपाल नगर निगम ने करीब छह करोड़ रु. की लागत से 1,800 मॉड्यूलर टॉयलेट खरीद का प्रस्ताव रखा था, जिसमें एक ही कंपनी से 12,000 रु. औसत कीमत वाले टॉयलेट 32,500 रु. में खरीदे गए
विदिशा में स्वच्छता योजना के तहत बनाए गए 1309 शौचालय लापता हैं। दस्तावेज बोलते हैं कि 1809 शौचालय बनाए गए हैं परंतु फिजीकल वेरिफिकेशन में मात्र 500 ही मिले। 1309 शौचालय कहां गए, किसी को नहीं पता इस शौचालय घोटाले का पता तब चला जब स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वेब पोर्टल में शौचालय निर्माण से सम्बंधित जानकारी अपडेट करना थी। वो भी हितग्राही के फोटो के साथ। इस मामले में सर्वे दल जांच करने निकला तो ये चौंकाने वाला मामला सामने आया……………..
ऐसे ही पोजिशन लगभग हर जिले में है कितने आंकड़े बताऊँ ओर आप कितना पढियेगा ओर ऐसा ही शौचालय घोटाला हर राज्य में है लेकिन ये जब तक है कुछ सामने नही आएगा
मध्यप्रदेश की जमीनी हकीकत यह है कि गर्मी का मौसम आते-आते आबादी का एक बड़ा हिस्सा पीने के पानी के लिये परेशान होने लगता है, प्रदेश के 30 हजार से ज्यादा गांवों में पेयजल संकट की स्थिति है पीने को पानी नही है तो शौचालय में ढोलने को पानी कहा से लाया जाएगा इसी समस्या को लेकर पिछले साल मध्यप्रदेश में एक महिला IAS अधिकारी ने शौचालय निर्माण के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह लगाता हुआ एक लेख लिखा तो उसे सरकार ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया
यह तो मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार की हकीकत है अब मोदी जी के कारनामे पढिए वो हकीकत जानिए जो 2017 में सामने आयी थी लेकिन उसके बारे में क्या किया गया किसी को कुछ पता नही है
इस खबर के अनुसार वर्ल्ड बैंक ने मोदी सरकार की स्वच्छ भारत योजना को उस कर्ज को दिए जाने पर रोक लगा दी जिसका उसने वादा किया था,
2015 में सैंक्शन किया गया यह स्वच्छ भारतके लिए लोन सोशल सेक्टर में वर्ल्ड बैंक की ओर से अभी तक की सबसे बड़ी लेंडिंग था जो राज्यों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए दिया जाना था लेकिन शर्त यह थी कि विभिन्न चरणों में वास्तविक परिणामों की स्वतंत्र जांच रिपोर्ट वर्ल्डबैंक को सौपी जाएगी
इसके तहत 14.7 करोड़ डॉलर की पहली किस्त जुलाई 2016 और 22.9 करोड़ डॉलर की दूसरी किस्त जुलाई 2017 में जारी की जानी थी
लेकिन 2017 में वर्ल्ड बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार पहली डेडलाइन को पूरा नहीं कर सकी थी और यह दूसरी डेडलाइन को भी चूक सकती है क्योकि मिनिस्ट्री ऑफ वॉटर सप्लाई ऐंड सेनिटेशन द्वारा इस लोन के लिए इंडिपेंडेंट सर्वे कराने का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है ओर मिनिस्ट्री ने अभी तक इसके लिए कंसल्टेंट भी हायर नहीं किया है
ये हकीकत है स्वच्छ भारत मिशन की , वैसे क्या भरोसा जिस तरह बिहार में चूहे बाँध की दीवार कुतर गए ऐसे ही 15 से 20 करोड़ टॉयलेट भी तो चूहे खा ही सकते हैं…….
लेखक आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ हैं। इंदौर में रहते हैं।