पत्रकार को ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने को धमकाया! आंबेडकर और पेरियार का देश नहीं क्या?


सवाल ये है कि ऐसे प्रधानमंत्री मोदी की नाक के नीचे हो रही ऐसी घटनाओं पर दिल्ली पुलिस चुप क्यों है। क्या ऐसे उत्पातियों पर कार्रवाई न करके देश की एकता को ख़तरे में नहीं डाला जा रहा है। अगर इन पर नकेल न डाली गयी तो अखंड भारत की कल्पना भी क्षत-विक्षत हो जायेगी।


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दिल्ली के जंतर-मंतर पर बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय के नेतृत्व में आयोजित ‘भारत जोड़ो’ रैली में अल्पसंख्य समुदाय के ख़िलाफ़ ज़हरीली नारेबाज़ी और पुलिस की चुप्पी का मामला काफ़ी चर्चा में है, लेकिन इसी रैली में नेशनल दस्तक के पत्रकार अनमोल प्रीतम के साथ भी धक्का-मुक्की गयी। उन पर जयश्रीराम का नारा लगाने का दबाव डाला गया, जिसे उन्होंने इंकार कर दिया। उन्हें हिंदू विरोध बताकर घेरा गया।

 

 

 

नेशनल दस्तक बहुजन आंदोलन को समर्पित यूट्यूब चैनल और वेबसाइट है। उसने अपने पत्रकार के साथ हुई घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इससे साबित हुआ है कि दलित और पिछड़ों को हिंदू नहीं माना जाता।

 

 

ग़ौरतलब है कि नेशनल दस्तक से जुड़े लोग अंबेडकरवाद को झंडा बुलंद करते हैं और डॉ.आंबेडकर ने 1956 में हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था और इस दलितों की मुक्ति का एकमात्र रास्ता बताया था। यही नही, उन्होंने अपने समर्थकों को बाइस  प्रतिज्ञाएँ भी दिलायी थीं जिसमें राम को ईश्वर मानने से इंकार किया गया था।  दूसरी ही प्रतिज्ञा है – मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा! आप इस बाबत इस लिंक को क्लिक करके पढ़ सकते हैं-

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सवाल ये भी है कि जो लोग भारत में रहना है तो जय श्रीराम कहना है का नारा बुलंद कर रहे हैं, वे क्या भारत की एकता के लिए ख़तरा नहीं हैं। भारत में हर धर्म को मानने की इजाज़त है और इस संबंध में कोई किसी के साथ ज़बरदस्ती नहीं कर सकता। दक्षिण भारत में राम विरोध के लिए विख्यात पेरियार को महानायक माना जाता है। तमिलनाडु की पूरी द्रविड़ राजनीति उनके सम्मान को सर्वोच्च मानती है तो क्या उन पर जयश्रीराम थोपा जा सकता है। क्या द्रविड़ पार्टियों के कार्यकर्ताओं के साथ ऐसी जबरदस्ती की जाएगी तो देश एक रह पायेगा।

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यही नहीं, जिस कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के नेताओं को अपने पाले में रखकर बीजेपी सत्ता पाने का दाँव चलती है, वे भी राम को नहीं मानते। क्या उनके लिए भी जयश्रीराम का नारा लगाना अनिवार्य होगा। ज़ाहिर है, बीजेपी नेता विंध्याचल के पार जाते ही हिंदुत्व का उत्तरभारतीय संस्करण आल्मारी में बंद कर देते हैं। ध्यान दीजिए उत्तर भारत से लेकर गोवा तक के बीजेपी नेता गोमांस की कमी न होने देने का वादा करते नज़र आते हैं।

ऐसे में सवाल ये है कि ऐसे प्रधानमंत्री मोदी की नाक के नीचे हो रही ऐसी घटनाओं पर दिल्ली पुलिस चुप क्यों है। क्या ऐसे उत्पातियों पर कार्रवाई न करके देश की एकता को ख़तरे में नहीं डाला जा रहा है। अगर इन पर नकेल न डाली गयी तो अखंड भारत की कल्पना भी क्षत-विक्षत हो जायेगी।

याद रखिये, भारत तभी तक भारत है, जब तकि इसमें रामभक्तों के साथ-साथ रामविरोधियों के लिए भी जगह है। बीजेपी ही नहीं, डीएमके भी भारतीय है!