बिहार के मज़दूरों पर हुए आतंकी हमलों से बढ़ा ख़ौफ़, कश्मीर से लौटने की तैयारी में बिहारी मज़दूर!

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आतंकियों का निशाना बन रहे गैर-कश्मीरी खास तौर पर बिहार के मज़दूरों में एक हफ्ते के अंदर अपने दो साथियों की मौत के बाद दहशत और बढ़ गई है। आतंकियों द्वारा 10 अक्टूबर को भागलपुर के वीरेंद्र पासवान और शनिवार को बांका जिले के अरविंद कुमार साह की हत्या के बाद बिहार के तमाम मज़दूर अब घाटी से निकलने की तैयारी कर रहे हैं। मज़दूरों के दिल में डर बैठ चुका हैं।

बांका के कई लोगों ने की घाटी छोड़ने की तैयारी…

अरविंद कुमार साह की हत्या के बाद गृह जिले बांका के कई लोगों ने घाटी छोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके अलावा पूर्वी बिहार के कोसी, सीमांचल और अन्य जिलों के लोग भी घाटी को अलविदा कहने को तैयार हैं। हिंदुस्तान कि एक खबर के अनुसार, सहरसा जिले के मनोज कुमार, रोहित कुमार, सुपौल जिले के अरविंद कुमार, संजीव कुमार ने भी परिवार के साथ घाटी छोड़ने का फैसला किया है। घाटी के मौजूदा हालात से सभी के मन में दहशत है।

मालिक के पास पैसे का बकाया लेकिन जान के डर से घर वापस आ गए…

सीमांचल के ज़्यादातर मज़दूर अररिया, किशनगंज के अलावा पूर्णिया के मज़दूर जम्मू-कश्मीर में काम की तलाश में गए हुए हैं। बतााय जाता है कि कोसी और सीमांचल के हज़ारों मज़दूर जम्मू-कश्मीर समेत आसपास के इलाकों में छह महीनेे केेेे लिए काम करने जाते हैं। इनमें कई ऐसे मज़दूर भी हैं जिन्होंने कई महीनों तक काम किया और मालिक के पास पैसे का बकाया है लेकिन अब जान के डर से घर वापस आ गए हैं। एक तो लॉकडाउन के चलते मज़दूरों की परेशानी पहले ही बढ़ गई थी, और अब उन्हें कोई मज़दूरी नहीं मिली, ऊपर से जो भी पैसा कर्ज़ लेकर गए थे, लौटने पर कर्ज़दार उन्हें परेशान कर रहा है। बता दें कि आतंकी हमले के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन और बिहार सरकार ने मुआवजे की घोषणा की है।


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