सुप्रीम कोर्ट की सलाह: PIL दायर करने वाले होमवर्क करें, हर चीज़ नहीं माँग सकते!

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शीर्ष अदालत ने हर मामले में जनहित याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने वालों से कहा कि उन्हें मामले का होमवर्क करना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि वे हर चीज़ की मांग नहीं कर सकते। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी नीति के संबंध में याचिका दायर करने में कमियों को इंगित करना जनहित याचिकाकर्ता की जिम्मेदारी है।  याचिका में कुछ आंकड़े और उदाहरण भी होने चाहिए।  याचिकाकर्ता सब कुछ अदालत या सरकार पर नहीं छोड़ सकता।

याची की मांग..

अदालत में मौजूद न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्न की पीठ ने इस सलाह के साथ ही जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया,जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 को लागू करने की मांग की गई थी, जिसमें कोरोना से मरने वालों के आश्रितों के लिए आजीविका की व्यवस्था और अन्य निर्देश देने की मांग की गई थी।

खामियों को इंगित करना जनहित याचिकाकर्ता की जिम्मेदारी: SC

वहीं, अदालत ने यह सलाह देते हुए कहा कि नीतिगत मामले में खामियों को इंगित करना जनहित याचिकाकर्ता की जिम्मेदारी है।  कमियों के साथ कुछ आंकड़े और उदाहरण भी पेश किए जाने चाहिए। अदालत ने उक्त याचिका पर सुनवाई से इंकार करने के साथ ही याचिकाकर्ता से अपने दावे के समर्थन में आंकड़े और उदाहरण के साथ एक नई याचिका दायर करने को कहा है।

सब कुछ अदालत या सरकार पर नहीं छोड़ सकते:SC

  कोर्ट ने याचिका से नाखुशी जताते हुए कहा कि जनहित याचिका के साथ दिक्कत यह है कि आप कई मांगें करते हैं। यदि आप एक मांग करे, तो हम उससे निपट सकते हैं, लेकिन आप सब कुछ मांगने का दावा करते हैं। इस के साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता  से कहा की आप सब कुछ अदालत या सरकार पर नहीं छोड़ सकते। नीति के क्रियान्वयन में कमी दर्शाने वाले उदाहरण या आंकड़े तो दर्शाने ही होंगे।

उचित याचिका और उचित मांग के साथ अदालत में आएं: SC

याचिकाकर्ता सी. अंजी रेड्डी की ओर से पेश अधिवक्ता श्रवण कुमार ने अदालत को बताया कि उन्होंने आंध्र प्रदेश के रमेश का उदाहरण दिया है। रमेश ने कोरोना महामारी के दौरान गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए मुफ्त और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर लाखों रुपये खर्च किए। वकील की इस दलील पर पीठ ने कहा कि आपको उचित याचिका और उचित मांग के साथ अदालत में आना चाहिए।  सिर्फ आंध्र प्रदेश के एक रमेश कुमार के मामले के आधार पर हम देश के लिए निर्देश नहीं दे सकते। इसी के साथ कोर्ट ने सवालिया कि उनके बारे में दी गई जानकारी का स्रोत क्या है? कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इंकार करते हुए दोबारा याचिका को सुधार के साथ दायर करने को कहा है।