देश भर में प्रशांत भूषण को दोषी ठहराये जाने के खिलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आज उन्हें अपने बयान पर पुनर्विचार के लिए तीन दिन दिये। वहीं तीन दिन का समय दिये जाने को प्रशांत भूषण ने समय की बर्बादी क़रार दिया है। प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि मुझे समय देना कोर्ट के समय की बर्बादी होगी क्योंकि यह मुश्किल है कि मैं अपने बयान बदल लूं। इसके पहले प्रशांत भूषण ने माफी माँगने से साफ़ इंकार करते हुए एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा-
“कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के फैसले से मैं बहुत दुखी हूं। मैं इस बात को लेकर दुखी हूं कि मुझे पूरी तरह से गलत समझा गया। मैं इस बात से बेहद चकित हूं कि मेरी मंशा का बगैर कोई सबूत दिए कोर्ट अपने निष्कर्ष पर पहुंच गया। मेरा यह मानना है कि संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए किसी भी लोकतंत्र के भीतर खुली आलोचना जरूरी है। संवैधानिक व्यवस्था को बचाने का काम निजी और प्रोफेशनल दोनों स्तर पर होना चाहिए। मेरे ट्वीट उस दिशा में एक छोटा सा प्रयास हैं जिसे मैं अपना सबसे बड़ा कर्तव्य समझता हूं।”
गांधी को कोट करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि “मैं दया नहीं मांगूंगा। मैं उदारता की भी अपील नहीं करूंगा। मैं पूरी खुशी के साथ उस सजा के लिए खुद को पेश करता हूं जो कोर्ट मुझे देगा।” उन्होंने कहा कि “मेरे ट्वीट एक नागरिक के तौर पर अपना कर्तव्य निभाने का एक प्रामाणिक प्रयास थे। इतिहास के इस मोड़ पर अगर मैं नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्यों को पूरा करने में नाकाम हो जाता। कोर्ट जो भी जुर्माना देगा उसके लिए मैं तैयार हूं। मांफी मांग कर मैं बेहद तिरस्कृत महसूस करूंगा।”
आज सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कोर्ट से अपील की है कि प्रशांत भूषण को सजा नहीं दी जाए। इस पर पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि आप प्रशांत भूषण का जवाब देखे बिना ऐसी दलील नहीं दें। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि प्रशांत भूषण के जवाब में आक्रमकता झलकती है, बचाव नहीं। हम इन्हें माफ नहीं कर सकते। इससे गलत संदेश जाएगा। वो हम नहीं देना चाहते।
अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने कहा कि उनके पास पांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सूची है, जिन्होंने कहा था कि लोकतंत्र खतरे में है, जो भूषण ने कहा है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उनके पास उन 9 जजों की लिस्ट है जिन्होंने कहा था कि न्यायपालिका के उच्चतर स्तरों में भ्रष्टाचार है।
इससे पहले कोर्ट ने प्रशांत भूषण से पूछा कि क्या वो अपने कथन पर पुनर्विचार करना चाहते हैं? इसके जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा कि ‘मैं इस पर पुनर्विचार नहीं करना चाहता।” तीन दिन का समय दिये जाने को उन्होंने समय की बर्बादी क़रार दिया है। यानी प्रशांत इस मुद्दे पर हर सज़ा भुगतने को तैयार हैं, लेकिन बयान नहीं बदलेंगे।
सुबह केस की सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने सजा पर बहस टालने की मांग की। उनकी दलील थी कि उन्हें इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दायर करना है जिसके लिए तीस दिन का समय दिये जाने का प्रावधान है। उन्होने ये भी कहा कि यही बेंच पुनर्विचार याचिका पर सुनवायी करे, यह जरूरी नहीं है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जोसेफ़ कुरियन ने कहा था कि इस मामले की सुनवायी पांच या सात जजों की पीठ को करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इस मामले की सुनवायी विस्तृत रूप से हो ताकि व्यापक चर्चा और भागीदारी हो सके। इस मामले में दोषी व्यक्ति को अपील के दूसरे माध्यम का अवसर होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को ‘हर हाल में न्याय करना चाहिए, चाहे आसमान गिर पड़े।’
Recently retired judge of the SC Justice Kurian Joseph on the need for having some appeal against a Suo Moto conviction for Contempt of Court by the SC & the need for such issues of Constitutional importance to be placed before a 5/7 judge bench pic.twitter.com/HQCImJHoXv
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 19, 2020
ज़ाहिर है, सुप्रीम कोर्ट के रुख पर लगातार सवाल उठ रही हैं। पूरे देश में प्रशांत भूषण के पक्ष में प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति उनके दो ‘अपमानजनक’ ट्वीट के लिए 14 अगस्त को अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया गया था। न्यायालय की अवमानना कानून के तहत अवमानना के दोषी व्यक्ति को छह महीने तक की साधारण कैद या दो हजार रूपए जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।