आपने बहुत सारी अतरंगी, खौफनाक घटनाएं सुनी होगी, लेकिन राजस्थान से सामने आई एक घटना आपके फैरों तले ज़मीन हटा देगी। आपने पोस्टमॉर्टम के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि जिंदा लोगों का पोस्टमॉर्टम भी किया जाता है। जी हां यह सच है लेकिन इसमें वास्तव का पोस्टमॉर्टम नही किया गया बल्कि बीमा कंपनी को धोखा देने के लिए कागज़ों पर पोस्टमॉर्टम किया गया है। राजस्थान के दौसा जिले में एक ऐसे ही गिरोह को पुलिस ने पकड़ लिया है। पुलिस ने गिरोह में शामिल 15 लोगों को गिरफ्तार किया है।
पहला मामला नही, ऐसे कई मामले सामने आए..
पुलिस के अनुसार, साल 2016 में यहां कोतवाली थाने में दिल्ली निवासी अरुण की सड़क दुर्घटना में मौत का मामला दर्ज किया गया था। पुलिस को पता चला कि अरुण नाम के शख्स की मौत नहीं हुई थी और वह अब भी जिंदा है। बावजूद इसके हादसे को दिखाया गया और दस्तावेजों में फर्जी पोस्टमॉर्टम भी कराया गया। साल 2019 में मामले का पता चलने के बाद एसओजी और पुलिस ने डॉक्टरों, पुलिस, वकीलों आदि को गिरफ्तार किया था। जांच के बाद पता चला कि यह कोई पहला या अकेला मामला नहीं है, बाद में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें सड़क दुर्घटना नहीं होने के बावजूद भी कागजों में सड़क दुर्घटना दिखाई गई। गैंग ने शख्स को मरा हुआ बताकर फर्जी पोस्टमॉर्टम किया था। सीआईडी सीबी व जयपुर रेंज के आईजी कार्यालय ने भी इन मामलों की जांच की।
10 लाख रुपये का क्लेम लेने के लिए किया पूरा प्लान..
यह सारा फ्रॉड बीमा कंपनी के सर्वर के जरिए 10 लाख रुपये का क्लेम लेने के लिए किया गया था, जो मिल भी गया। पुलिस की जांच में जांच अधिकारी रमेश चंद व पोस्टमार्टम करने वाला चिकित्सक सतीश व वकील चतुर्भुज की मिलीभगत सामने आई। पुलिस ने लंबी पड़ताल के बाद कुल 3 मामलों का खुलासा किया है।