
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच बिहार में राजनीति तेज होती दिख रही है। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने राज्य में 7 जून को वर्चुअल रैली करने की घोषणा की है, वहीं विपक्षी दलों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय जनता दल इस दिन थाली पीटकर सरकार की विफलताओं की पोल खोलेगी। वहीं बिहार के वामपंथी दलों ने भी एलान किया है कि बीजेपी की वर्चुअल रैली के खिलाफ वो 7 जून को जनता का राज्यव्यापी ‘फिजिकल प्रोटेस्ट’ आयोजित करेंगे। वामपंथी दल इस दिन विश्वासघात व धिक्कार दिवस मानने का एलान किया है।
दरअसल बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। इसी के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह 7 जून को बिहार में पहली वर्चुअल रैली करेंगे। अमित शाह का भाषण सुनाने के लिए इस रैली में 1 लाख लोगों की व्यवस्था की जा रही है। वहीं बीजेपी की वर्चुअल रैली को लेकर आरजेडी और वामपंथी पार्टियों ने जमकर हमला बोला है। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा है कि कोरोना की संख्या लगभग 2 लाख पहुंच गई है, ग़रीब पैदल चल भूखे मर रहे है लेकिन BJP डिजिटल रैली निकालेगी। भाजपा दुनिया की पहली ऐसी पार्टी है जो अपने लोगों के मरने पर जश्न मना रही है। तेजस्वी ने कहा कि 7 जून को हम थाली-कटोरा बजा के सरकार को जगाने का काम करेंगे।
सरकार ‘वर्चुअल’ रैली के ढोंग से ज़मीन की ‘एक्चुअल’ सच्चाई को छिपाना चाहती है।
इस विपदा में सरकार ने किसान, मज़दूर और भूखे की थाली खाली रखी है इसलिए इनकी असंवेदनहीनता के प्रतिकार में 7 जून को हम थाली-कटोरा बजा के सरकार को जगाने का काम करेंगे। pic.twitter.com/66XShqcXGm
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 3, 2020
वहीं बिहार के वाम दलों की बुधवार को संयुक्त बैठक जनशक्ति भवन में हुई, जिसमें भाकपा के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, जब्बार आलम, विजय नारायण मिश्र; भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, केडी यादव, माकपा के राज्य सचिव अवधेष कुमार, अरूण कुमार मिश्रा एवं फारवर्ड ब्लाॅक के अमेरिका महतो आदि ने हिस्सा लिया। बैठक की अध्यक्षता माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने की।
वामपंथी पार्टियों का कहना है कि कोरोना से लड़ने में विफल सरकार करोड़ों गरीब-मजदूरों के जीवन-जीविका को खतरे में डालकर वर्चुअल रैली कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को आभासी रैली नहीं, बल्कि रोजगार और कोरोना से बचाव की गारंटी करनी चाहिए।
वाम दलों का जनशक्ति भवन में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस.
Posted by CPI BIHAR on Wednesday, June 3, 2020
दिल्ली में वामदलों की बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में आयोजित इस बैठक से मांग की गई कि इनकम टैैक्स के दायरे से बाहर सभी परिवारों को 7500 रु. मासिक सहायता छह महीने तक दी जाए, सभी व्यक्तियों को 10 किलो अनाज की आपूर्ति की जाए, मनरेगा में 200 दिन का काम बढ़ी हुई मजदूरी के साथ दिया जाए और योजना का विस्तार शहरों तक किया जाए, सभी प्रवासी मजदूरों के परिवहन, भोजन-पानी का खर्च सरकार उठाए।
इसके साथ ही बैठक से मांग की गई कि भूख-प्यास भरी यात्रा में थकान व दुर्घटना से अन्यथा क्वारंटीन सेंटर में मौत का शिकार हुए मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपए का मुआजवा दिया जाए, क्वारंटीन सेंटर को संपूर्ण लाॅकडाउन अवधि तक चलाने व इसकी व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त किया जाए एवं किसानों के केसीसी सहित तमाम कर्ज-स्वंय सहायता समूह के कर्ज की माफी हो तथा तमाम किस्म की फसलों की अनिवार्य खरीद की गारंटी हो।
वाम नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है और कोरोना को लेकर अपनायी गई अफरा-तफरी की नीति ने देश को अराजकता के माहौल में धकेल दिया है। भारत के मजदूर वर्ग ने जो अकथनीय पीड़ा झेली है, उसे लोग कभी नहीं भूलेंगे और मोदी सरकार को कत्तई माफ नहीं करेंगे।
नेताओं ने कहा कि 7 जून को अमित शाह की वर्चुअल रैली जले पर नमक छिड़कने के जैसा है, इसलिए वाम दल इस दिन विश्वासघात -धिक्कार दिवस मनायेंगे और वर्चुअल रैली के प्रतिवाद में फिजिलकल प्रोटेस्ट का आयोजन पूरे राज्य में किया जाएगा। आभासी रैली नहीं बल्कि भोजन, रोजगार और कोरानो से सुरक्षा की गारंटी करो के नारे लगायेंगे।
नेताओं ने कहा कि दिल्ली-पटना की डबल इंजन की सरकार पूरी तरह से फ्लाॅप रही है और इन्होंने बिहार की पहचान को धूमिल करने का काम किया है। बिहार में कोराना की जांच सबसे कम है और आने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ सरकार का व्यवहार जानवरों जैसा है। पूरी सरकार सचिवालय की तीन किलोमीटर के दायरे में कैद है, और भ्रष्ट नौकरशाही के हवाले पूरा प्रदेश है। विपक्षी पार्टियों-सामाजिक संगठनों को दरकिनार कर सरकार ने तानाशाही तरीके से कोरोना से लड़ने का तरीका लिया है। फलतः कोरोना की बीमारी चिंताजनक स्थिति में पहुंचती जा रही है।